बिहार में सूक्ष्म वित्त (माइक्रो फाइनैंस)कंपनियां कर्ज वसूली में सबसे अधिक सफ ल रही हैं। इन कंपनियों ने करीब 40 लाख लोगों को 13,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज दिए, जिनसे राज्य में 10 हजार लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए। उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ सी) के प्रतिनिधियों को भी शामिल करने का आश्वासन दिया है। मोदी ने गुरुवार को पटना में राज्य मुख्यालय में बिहार में कार्यरत 45 माइक्रो फाइनैंस और एनबीएफ सी कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इन कंपनियों के मुताबिक उन्होंने बिहार के 40 लाख लोगों को 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के कर्ज आवंटित किए। पिछले वित्त वर्ष में 32 कंपनियों ने 39 लाख लोगों को करीब 8,000 करोड़ रुपये का ऋण दिया था। उप-मुख्यमंत्री ने बताया कि 20 से 25 प्रतिशत ब्याज दर के बावजूद इन कंपनी की वसूली दर 99.7 फ ीसदी है। राज्य के 8.72 लाख स्वयं सहायता समूह को 8,281 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था, जिनमें से करीब 99 फ ीसदी समूहों ने कर्ज लौटा दिए। मोदी ने कहा, 'माइक्रो फाइनैंस कंपनियों के ऋण वितरण के मामले में बिहार, तमिलनाडु और कर्नाटक के बाद तीसरे स्थान पर है। हालांकि कर्ज वापसी के मामले में यह सबसे आगे है।' मोदी ने कहा कि माइक्रो फाइनैंस संस्थाएं चिटफंड नहीं होती हैं। ये भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)से नियंत्रित होती हैं और जमा नहीं लेती हैं। इनकी वजह से दूर-दराज के गांवों में गरीबों को अपनी संपत्ति या जमीन गिरवी रखे बिना 40 हजार रुपये तक के कर्ज आसानी से मिल जाते हैं। उप-मुख्यमंत्री ने राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में इन कंपनियों के प्रतिनिधियों को भी शामिल करने का भरोसा दिया।
