विमान किराया बढ़ाने पर जोर | अरिंदम मजूमदार / नई दिल्ली November 20, 2019 | | | | |
देश की दूसरी बड़ी विमानन कंपनी स्पाइसजेट के प्रमुख अजय सिंह ने विमान किराया कम रखने को लेकर जारी प्रतिस्पद्र्धा की वजह से आगे चलकर भारतीय विमानन क्षेत्र का भी हाल दूरसंचार क्षेत्र जैसा हो जाने की चेतावनी दी है। अजय सिंह ने दूरसंचार सेवाओं का शुल्क बढ़ाने की संचार कंपनियों की हालिया घोषणाओं का स्वागत करते हुए आज कहा कि विमानन कंपनियों को भी इससे सबक सीखना चाहिए अन्यथा उन्हें भी वित्तीय दबावों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, 'हमारे लिए दूरसंचार क्षेत्र से सीख लेना अहम है। हमें तत्काल कदम उठाने और परिचालन लागत भी नहीं जुटा पा रही कीमत पर टिकट बेचने से परहेज करने की जरूरत है।' उनका इशारा दूरसंचार क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों से जारी प्रतिस्पद्र्धा के चलते संचार कंपनियों को पेश आ रही वित्तीय परेशानियों की ओर था। भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को सितंबर तिमाही में अब तक का अपना सबसे बड़ा घाटा उठाना पड़ा है। एयरटेल और वोडा-आइडिया ने 1 दिसंबर से अपनी सेवाओं की दरें बढ़ाने की घोषणा की है जबकि रिलायंस जियो ने अगले कुछ हफ्तों में शुल्क बढ़ाने की बात कही है।
भारतीय एयरलाइंस भी यात्रियों को आकर्षित करने के लिए तगड़ी प्रतिस्पद्र्धा के दौर से गुजर रही हैं। इसके लिए विमानन कंपनियों को व्यस्त त्योहारी मौसम में भी किराये को मेट्रो रुट पर 20-25 फीसदी सस्ता करना पड़ता है। किराये को लेकर जारी इस जंग से हवाई सफर करने वाले यात्रियों को तो सस्ते सफर का मौका मिल जाता है लेकिन विमानन कंपनियों की वित्तीय सेहत खराब होती जा रही है। स्पाइसजेट के मुखिया ने इस हालत के लिए सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पर निशाना साधा। उन्होंने इंडिगो का सीधा नाम न लेते हुए कहा, 'भारत के दूरसंचार एवं विमानन क्षेत्र में समानताएं हैं। दोनों क्षेत्रों में एकाधिकारवादी कंपनियां हैं, दोनों जगह सरकार से सब्सिडी पाने वाली एक सार्वजनिक कंपनी है और दोनों ही क्षेत्र कीमत तय करने में अनुशासनहीनता से जूझ रहे हैं।' सिंह के मुताबिक, इंडिगो चाहे तो किराया बढ़ा सकती है और फिर दूसरी एयरलाइंस भी उसका अनुसरण करेंगी। उन्होंने कहा, 'करीब 50 फीसदी बाजार हिस्सेदारी रखते हुए भी आप दूसरों का अनुसरण नहीं कर सकते हैं। आपको कीमतें बढ़ानी हैं और दूसरे उस राह पर चलेंगे।'
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या सरकार को टिकट मूल्य पर एक निचली सीमा तय करनी चाहिए तो उन्होंने कहा कि यह अच्छा विचार नहीं होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर फिर सरकार के लिए अधिकतम मूल्य तय करने का भी रास्ता खुल जाएगा। उन्होंने कहा कि किराया तय करने का काम उद्योग को ही करना चाहिए, न कि सरकार को। हालांकि बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इंडिगो के मुख्य कार्याधिकारी रणजॉय दत्ता से यह सवाल पूछा था कि क्या उनकी एयरलाइन अपनी 45 फीसदी हिस्सेदारी का इस्तेमाल किराया नियंत्रण में कर रही है तो उन्होंने इसे खारिज कर दिया। दत्ता ने कहा था, 'यह सोच गलत है कि अधिक बाजार हिस्सेदारी होने से कीमतें भी अधिक होंगी। लोड फैक्टर की जरूरतें कीमत निर्धारित करती हैं। कोई भी एकाकीपन में कीमत नहीं तय कर सकता है।'
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