विश्व बैंक संवारेगा रेल स्टेशन | शाइन जैकब / नई दिल्ली November 20, 2019 | | | | |
एक लाख करोड़ रुपये के महत्त्वाकांक्षी स्टेशन पुनरुद्घार कार्यक्रम को शीघ्र ही भारतीय रेल वित्त निगम (आईआरएफसी) और विश्व बैंक से रकम मिलने वाली है। इस मामले से जुड़े कई सूत्रों के मुताबिक भारतीय रेल स्टेशन विकास निगम (आईआरएसडीसी) आईआरएफसी से 541 करोड़ रुपये का ऋण लेने के अंतिम चरण में है। आईआरएसडीसी भारत में स्टेशन के पुनरुद्घार के लिए एक नोडल एजेंसी है। एजेंसी को मिलने वाली इस ऋण की रकम से आनंद विहार, बिजवासन और चंडीगढ़ स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। भारतीय रेलवे की उधारी और वित्त इकाई आईआरएफसी की ओर से स्टेशन पुनरुद्घार के लिए रकम देने का यह पहला मामला है। इसके अलावा कुछ अन्य रेलवे स्टेशनों के लिए रकम जुटाने के लिए विश्व बैंक से भी चर्चा जारी है।
इससे पहले इस साल आईआरएसडीसी ने कम से कम 10 उच्च क्षमता वाले स्टेशनों के पुनरुद्घार की खातिर रकम की व्यवस्था के लिए साझेदारी करने के उद्देश्य से निजी इक्विटी इकाइयों और पेंशन फंडों को आमंत्रित करने के लिए स्टेशनों की सूची पेश की थी। रेलवे सूत्रों के मुताबिक मैक्वेरी, सीडीपीक्यू प्राइवेट इक्विटी, नैशनल इन्वेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड और सॉवरिन फंडों सहित बड़ी इकाइयों को इसका हिस्सा बनाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक फंड इकाइयां अब वाणिज्यिक पुनरुद्घार में अधिक रियायत पाने की तलाश कर रही हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'आईआरएसडीसी ने रेलवे को सूचित किया है कि वह तीन खंडों स्टेशन पुनरुद्घार, स्टेशन परिचालन व प्रबंधन और वाणिज्यिक पुनरुद्घार के क्षेत्र में अपना कारोबार बढ़ाने जा रही है। स्टेशन पुनरुद्घार अवयव के लिए आईआरएसडीसी आईआरएफसी से ऋण लेगा।' आईआरएफसी के 541 करोड़ रुपये की ऋण को जमीन के मुद्रीकरण से चुकता किया जा सकता है। सरकार की योजना 1 लाख करोड़ रुपये की लागत से कम से कम 600 स्टेशनों के पुनरुद्घार की है। इनमें से करीब 50 स्टेशनों पर आईआरएसडीसी लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत से तुरंत काम शुरू करेगा।
उद्योग के एक सूत्र ने कहा, 'आईआरएसडीसी जिस मॉडल पर काम कर रहा है वह ऋण आधारित मॉडल नहीं है। इसमें स्टेशनों में इक्विटी का इस्तेमाल ऋण जुटाने के लिए किया जाएगा।' नए परिचालनों और रखरखाव खंड में आईआरएसडीसी ने हाल ही में पांच स्टेशनों - आनंद विहार, चंडीगढ़, सिकंदराबाद, पुणे और बेंगलूरु सिटी का परिचालन और प्रबंधन शुरू किया है। फिलहाल पुनरुद्घार का काम दो स्टेशनों हबीबगंज और गांधीनगर पर चल रहा है जो क्रमश: अगले वर्ष फरवरी और मार्च से उपयोग के लिए खोला जा सकता है। चूंकि आईआरएसडीसी के पास कोई परियोजना विकास फंड नहीं है लिहाजा उसने हाल ही में पांच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों- एनपीसीसी, इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स, मेकॉन, राइट्स, ब्रिजेज ऐंड रूफ कंपनी से साझेदारी की है। इसके तहत उन्हें 39 स्टेशनों के लिए योजना और व्यवहार्यता कार्य आवंटित किए गए हैं।
सरकारी अधिकारी ने कहा, 'आरंभ में वे अपना निवेश कर रहे हैं। एक बार ठेका मिल जाने के बाद उन्हें प्रीमियम का एक हिस्सा मिलने लगेगा।' हालांकि, आईआरएसडीसी ने उन्हें आश्वस्त किया है कि यदि तीन साल में ठेका नहीं मिलता हैं तो उन्हें उनके खर्च पर 8 फीसदी का रिटर्न दिया जाएगा। दिलचस्प है कि ओडिशा जैसे कुछ राज्य सरकारों ने आईआरएसडीसी से संपर्क कर भुवनेश्वर जैसे स्टेशनों का विकास करने केलिए कहा है। इन स्टेशनों पर राज्य की संस्कृति की झलकियां नजर आएंगी।
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