अब 12 मिनट में मिलेगी कस्टम से मंजूरी | |
दिलाशा सेठ / नई दिल्ली 11 19, 2019 | | | | |
भारतीय सीमा शुल्क विभाग बाहर से आने वाले माल को केवल 12 मिनट के भीतर मंजूरी देने की तैयारी कर रहा है। अभी इसमें 12 घंटे लग जाते हैं। यह काम मानव हस्तक्षेप रहित सुगम स्वचालित सुविधा के तहत संभव होगा, जिसे सरकार अगले महीने से लागू करने जा रही है। इसमें ब्लॉकचेन, मशीन लर्निंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया जाएगा। मशीन के जरिये माल के निपटान की सुविधा शुरुआत में 3,800 आयातकों के लिए पेश की जाएगी। इन आयातकों को सीमा शुल्क विभाग द्वारा अधिकृत आर्थिक ऑपरेटर (एईओ) योजना के तहत मान्यता दी गई है, जो तय जोखिम शर्तों को पूरा करते हैं। कुल आयात में इनकी हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'हम भविष्य के लिहाज से सुधार लागू करने के लिए तैयार हैं, जिससे मशीन के जरिये उस माल को मंजूरी या क्लियरेंस दिया जाएगा, जिसे जोखिम मुक्त मान लिया गया है। यह सुविधा शुरू में सरकारी मान्यता प्राप्त ऑपरेटरों को ही दी जाएगी। इन आयातकों का अनुपालन का रिकॉर्ड बेहतर रहा है। इस व्यवस्था में माल को अधिकारियों द्वारा जांच का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।' इस कदम से समय और पैसे दोनों की बचत होगी तथा विश्व बैंक के कारोबार सुगमता सूचकांक में भारत को अपनी रैंकिंग सुधारने में भी मदद मिलेगी। इस साल भारत की समग्र रैंकिंग 14 स्थान सुधरकर 63वें पायदान पर रही और 'सीमापार व्यापार' श्रेणी में इसकी रैंकिंग 12 स्थान सुधरकर 68वें स्थान पर रही।
रिपोर्ट के अनुसार मुंबई के न्हावा-शेवा बंदरगाह में आयात के लिए 82 घंटे लगते हैं, लेकिन कस्टम जांच और मंजूरी में महज 12 घंटे लगते हैं। लेकिन मशीन से मंजूरी मिलने पर इसमें केवल 12 मिनट लगेंगे। एईओ व्यापार में सुविधा देने की योजना है और फिलहाल इसके सदस्यों को मूल्यांकन और जांच में सहूलियत तथा माल के आयात से पूर्व हुई उसकी घोषणा को स्वीकार करने की अनुमति होती है। इन्हें सीधे बंदरगाह तक जाने दिया जाता है और शुल्क भुगतान बाद में करने जैसी सुविधा दी जाती हैं।
शुरुआत में जो माल मशीन से मंजूरी के लिए पात्र नहीं होगा और जिसमें किसी तरह का जोखिम माना जाएगा, उसे सीमा शुल्क विभाग हवाई अड्डों पर इमेज स्कैनर और बंदरगाहों पर एक्स-रे स्कैनर से जांचेगा। एक अधिकारी ने कहा, 'इससे उच्च जोखिम वाले माल की जांच का समय भी काफी घट जाएगा।' इमेज यानी तस्वीर को भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जाएगा। इसके लिए सरकार ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करेगी।
ब्लॉकचेन क्र्रिप्टोकरेंसी में इस्तेमाल होने वाली तकनीक है। इसके उपयोग से सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों को कागजी दस्तावेज रखने की जरूरत नहीं होगी। कुल मिलाकर भारत में हवाई कार्गो का निपटान सबसे तेजी से होता है, उसके बाद समुद्री मार्ग से आने वाले माल का निपटारा होता है और अंतर्देशीय कंटेनरों के निपटान की गति सबसे धीमी है। हवाई मार्ग से आने वाले करीब 55 से 60 फीसदी कार्गो को 48 घंटे से भी कम समय में निपटा दिया जाता है, जबकि समुद्र से आने वाले केवल 21 फीसदी माल का ही इतने समय में निपटारा हो पाता है। 48 घंटे में महज 13 फीसदी अंतर्देशीय कंटेनरों का निपटान होता है।
करीब 60 फीसदी समुद्री कार्गो को कस्टम मंजूरी मिलने में 72 घंटे से भी अधिक समय लगता है।सरकार निर्यातकों के लिए भी मशीन से मंजूरी देने की व्यवस्था का मूल्यांकन कर रही है। इसके लिए फैक्टरी स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक सील की सुविधा शुरू की जाएगी। एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'फैक्टरी से निकलने वाले प्रत्येक कंटेनर पर ई-सील लगी होगी, जिसे टोल-प्लाजा पर ई-सील रीडर से पढ़ा जा सकेगा।'
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