एआईएफ के लिए डायरेक्ट प्लान पर विचार | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई November 19, 2019 | | | | |
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) और पोर्टफोलियो प्रबंधन योजनाओं (पीएमएस) के लिए डायरेक्ट प्लान पेश करने की योजना पर विचार कर रहा है। इस मामले से नजदीकी से जुड़े तीन अधिकारियों का कहना है कि इससे निवेशकों को लाखों रुपये का खर्च बचाने में मदद मिल सकेगी और शुल्क-आधारित मॉडल पर निर्भर रहने वाले पारिवारिक व्यावसायिक घरानों और स्वतंत्र सलाहकारों को फायदा होगा। डायरेक्ट प्लान में वितरकों को चुकाया जाने वाला कमीशन या शुल्क शामिल नहीं होता है जिससे इन योजनाओं में कम निवेश खर्च आता है। मौजूदा समय में सिर्फ म्युचुअल फंड की ऐसी योजनाओं की पेशकश करते हैं।
ऐम्बिट ऐसेट मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक सिद्घार्थ रस्तोगी ने कहा, 'बड़ी तादाद में ग्राहक और पारिवारिक घराने डायरेक्ट योजनाओं के बारे में पूछ रहे हैं। नियामक पीएमएस और एआईएफ के लिए अग्रिम कमीशन समाप्त कर या सीमित कर लागत को तर्कसंगत बनाने की कोशिश कर सकता है।' एआईएफ में निवेश करने के लिए न्यूनतम आकार मौजूदा समय में 1 करोड़ रुपये है और पीएमएस के लिए यह 25 लाख रुपये है। पीएमएस और एआईएफ, दोनों ही अक्सर प्रदर्शन के आधार पर निर्धारित और अलग अलग शुल्क वसूलते हैं। इसका एक हिस्सा कमीशन के तौर पर वितरकों को चुकाया जाता है। उदाहरण के लिए, पीएमएस का संचालन करने वाली किसी घरेलू ब्रोकरेज फर्म के लिए यह शुल्क 0.75 प्रतिशत या शुरुआती और आखिरी एनएवी के औसत के आधार पर प्रत्येक तिमाही में 0.5 प्रतिशत पर है।
मान लीजिए, कोई निवेशक उस एआईएफ योजना में 1 करोड़ रुपये का निवेश करता है जो 10 प्रतिशत का प्रतिफल देती हो। यदि निवेशक वितरक कमीशन पर 100 आधार अंक की बचत करता है तो वह 10वें वर्ष के अंत में रेग्युलर प्लान की तुलना में 24.5 लाख रुपये की ज्यादा आय हासिल कर सकता है। 15 वर्षीय अवधि के दौरान, यह आय बढ़कर 60.7 लाख रुपये तक हो सकती है। वहीं 200 आधार अंक यानी दो प्रतिशत की बचत की स्थिति में डायरेक्ट योजनाएं आपको समान अवधि के अंत में 51.2 लाख रुपये और 1.29 करोड़ रुपये दिला सकती हैं।
एक बड़े मल्टी-फैमिली ऑफिस के वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'नियामक संबद्घ हितधारकों से परामर्श कर रहा है, क्योंकि इस कदम का उद्योग पर दूरगामी असर दिख सकता है। मौजूदा समय में, जो वितरक म्युचुअल फंडों से कमाई नहीं कर सकते हैं, वे पीएमएस और एआईएफ की ओर आकर्षित हो रहे हैं।' नियामक ने हाल में पोर्टफोलियो प्रबंधकों के लिए मसौदा प्रस्ताव जारी किए हैं जिनमें न्यूनतम पूंजी आकार बढ़ाकर 50 लाख रुपये किया गया है। आसान नियामकीय ढांचे और डेट क्षेत्र में बढ़ते निवेश की वजह से एआईएफ में निवेश पिछले साल 60 प्रतिशत बढ़कर 1.19 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। निवेश के लिए सेबी के साथ पंजीकृत सलाहकारों की की सेवा लेने वाले कुछ म्युचुअल फंड निवेशक इस विकल्प पर पहले से ही अमल कर रहे हैं।
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