मैकलॉयड मामले पर एनसीएलटी पहुंचा बैंक | अभिषेक रक्षित / कोलकाता November 15, 2019 | | | | |
मैकलॉयड रसेल के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के कोलकाता पीठ में टेक्नो इलेक्ट्रिक ऐंड इंजीनियरिंग की अपील के बाद एक बैंक ने इसे चुनौती दी है। सितंबर तिमाही के लिए अपने वित्तीय परिणाम की घोषणा के वक्त बीएसई को भेजी नियामकीय जानकारी में मैकलॉयड ने कहा, 'तिमाही के दौरान, एक बैंकर ने डिफॉल्ट नोटिस जारी किया और विभिन्न विकल्पों के जरिये दी गई रकम की वापसी की मांग की। कथित बैंकर और अन्य ऋणदाताओं ने आईबीसी के तहत प्रक्रिया शुरू करने के लिए याचिका दाखिल कराई हैं, हालांकि एनसीएलटी द्वारा इन्हें स्वीकार किया जाना अभी बाकी है।'
सूत्रों का कहना है कि इस मामले पर सुनवाई अगले महीने होगी। मैकलॉयड और उसकी समूह कंपनियों के लिए अन्य ऋणदाताओं ने मैकलॉयड की परिसंपत्तियों के निपटान के खिलाफ रोक आदेश भी ले लिया है। इस साल दुनिया की सबसे बड़ी चाय उत्पादक का दर्जा खोने वाली विलियमसन मैगोर ग्रुप (डब्ल्यूएमजी) की कंपनी ने लगभग 2,000 करोड़ रुपये का कर्ज घटाने के लिए चाय बागानों की बिक्री की है। हाल के वर्षों के दौरान, इनमें अपने स्वयं के 52 चाय बागानों में से मॅकलॉयड ने असम और अफ्रीका के 19 बागान 765 करोड़ रुपये में बेचे हैं। इसका मकसद ऊंची लागत वाले ऋण घटाना, शेयर पुनर्खरीद करना और दैनिक परिचालन को मजबूत बनाना था। असम में लगभग 28 करोड़ रुपये में अन्य चाय बागान की बिक्री पर विचार चल रहा है। एनसीएलटी से अंतरिम रोक के बाद, यह सौदा रोक दिया गया है। कंपनी तब तक अन्य बागान भी नहीं बेच सकती जब तक एनसीएलटी अपनी रोक समाप्त नहीं कर देता।
इस घटनाक्रम से अवगत सूत्रों का मानना है कि टेक्नो ने परिसंपत्ति बिक्री पर रोक के खिलाफ अपना तर्क पेश करते हुए कहा है कि मैकलॉयड की बिक्री को रोकने से बचाने के लिए यह उपयुक्त रास्ता था। मैकलॉयड ने कहा है कि उसने मौजूदा वित्तीय हालात से मुकाबला करने के लिए विभिन्न कदम उठाए थे जिनमें परिचालन लागत घटाना, समूह की परिसंपत्तियों (चाय बागानों और बड़े भूखंडों) की बिक्री करना मुख्य रूप से शामिल थे।
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