एनबीएफसी में फंडों का निवेश एक तिहाई घटा | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई November 14, 2019 | | | | |
जुलाई 2018 में इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज (आईएलऐंडएफएस) संकट के उजागर होने के बाद गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में म्युचुअल फंडों का कुल निवेश करीब 30 फीसदी घट गया है। केयर रेटिंग्स के अनुसार, एनबीएफसी में म्युचुअल फंडों का कुल निवेश अक्टूबर 2019 में 1.86 लाख करोड़ रुपये था जिसमें जुलाई 2018 के बाद 79,000 करोड़ रुपये यानी 30 फीसदी गिरावट आई। जबकि समान अवधि में प्रतिशत हिस्सेदारी 19 फीसदी से घटकर 12.8 फीसदी रह गई।
एनबीएफसी के वाणिज्यिक पत्रों में निवेश लगातार घट रहा है। एनबीएफसी के वाणिज्यिक पत्रों में म्युचुअल फंडों के निवेश की प्रतिशत हिस्सेदारी अक्टूबर 2019 में घटकर कुल प्रबंधनाधीन ऋण परिसंपत्तियों का 6.2 फीसदी यानी 90,000 करोड़ रुपये रह गई जो जुलाई 2018 के बाद का न्यूनतम स्तर है। एनबीएफसी और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) सहित वित्तीय सेवा क्षेत्र ऐतिहासिक तौर पर म्युचुअल फंडों का सबसे बड़ा उधारकर्ता रहा है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक हालिया परिपत्र के अनुसार, डेट एमएफ केवल सूचीबद्ध वाणिज्यिक पत्रों में निवेश कर सकते हैं भले ही गैर-सूचीबद्ध वाणिज्यिक पत्रों में उनका मौजूदा निवेश क्यों न परिपक्व हो रहा हो। वाणिज्यिक पत्र एक मौद्रिक प्रतिभूति है और बड़ी कंपनियां पूंजी बाजार से एक साल तक के लघु अवधि रकम जुटाने में इसका इस्तेमाल करती हैं।
मिरे ऐसेट ग्लोबल इन्वेस्टमेंट्स के प्रमुख (निर्धारित आय) महेंद्र जाजू ने कहा, 'सामान्य तौर पर जोखिम से बचने की कोशिश की जा रही है और म्युचुअल फंड चुनिंदा एनबीएफसी के अलावा निवेश नहीं करना चाहते हैं। सेबी के हालिया परिपत्र के तहत भी म्युचुअल फंडों को गैर-सूचीबद्ध वाणिज्यिक पत्रों में निवेश करने से रोका गया है जिससे इन पत्रों में निवेश प्रभावित होगा।' केयर के अनुसार, एनबीएफसी के कॉरपोरेट ऋण पत्रों में निवेश घटकर अक्टूबर 2019 में 96,000 करोड़ रुपये रह गया और प्रतिशत हिस्सेदारी भी घटकर 6.6 फीसदी रह गई जो जुलाई 2018 में 7.7 फीसदी थी। अक्टूबर 2019 के अंत में कॉरपोरेट ऋण पत्रों में प्रबंधनाधीन ऋण परिसंपत्तियों का निवेश सबसे अधिक 4 लाख करोड़ रुपये था। इस श्रेणी में फ्लोटिंग रेट बॉन्ड, गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर आदि शामिल हैं।
पिछले महीने के मुकाबले इस श्रेणी की परिसंपत्तियों में 3,100 करोड़ रुपये का सुधार हुआ है। प्रतिशत में यह घटकर प्रबंधनाधीन ऋण परिसंपत्तियों का 27.4 फीसदी रह गया। क्रेडिट सुइस की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, कमजोर समझी जाने वाली कुछ एनबीएफसी में म्युचुअल फंडों के निवेश में उल्लेखनीय गिरावट दिख रही है। जबकि कुछ दमदार एनबीएफसी में फंडों का निवेश बढ़ा भी है। इसी साल 11 नवंबर को जारी अनुसंधान नोट में कहा गया है, 'डेट बाजार को लंबी अवधि के बॉन्ड में निवेश वाले एनबीएफसी को चुनना होगा। लघु अवधि के पत्रों के लिए एनबीएफसी के बीच उधारी लागत का दायरा काफी बढ़ गया है। अतिरिक्त नकदी के बावजूद वह 400 आधार अंक बढ़कर ऐतिहासिक ऊंचाई को छू गया है। हाल में एनबीएफसी के वाणिज्यिक पत्रों की बिक्री में गिरावट के लिए विभिन्न प्रवृत्तियां दिखी हैं।'
नोटबंदी के बाद काफी मात्रा में रकम डेट म्युचुअल फंड की ओर चली गई जहां अधिकांश निवेश एनबीएफसी और एचएफसी द्वारा जारी लघु अवधि के पत्रों में किया गया। ये कंपनियां अपनी फंड लागत घटाने के लिए लघु अवधि उधारी की ओर अग्रसर हुईं। एनबीएफसी और एचएफसी ने लघु अवधि ऋण का इस्तेमाल दीर्घावधि ऋण के विस्तार में किया जिससे परिसंपत्ति और देनदारी में असंतुलन पैदा हो गया।
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