एक्सचेंज अब कर सकेंगे बदलाव | दिलीप कुमार झा / मुंबई November 14, 2019 | | | | |
बाजार नियामक ने सभी जिंस डेरिवेटिव अनुबंधों के लिए अनुबंध शर्तों में बदलाव के संबंध में एक्सचेंजों को ज्यादा स्वायत्तता देने का निर्णय लिया है। अब एक्सचेंज मार्जिन, पेशकश की तारीख आदि के बारे में बदलाव कर सकते हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आज एक्सचेंजों को स्वयं कई तरह के बदलाव करने और कम से कम 10 दिन पहले नियामक तथा बाजार कारोबारियों को इसकी रिपोर्ट देने की अनुमति प्रदान की। नियामक ने एक्सचेंजों को उन सभी मौजूदा अनुबंधों के लिए बड़े बदलाव के लिए अनुबंध शर्तों में संशोधन की भी अनुमति दी है, जिनमें 'शून्य' ओपन इंटरेस्ट हो और जिन्हें शुरू किया जाना बाकी हो। ऐसे बदलावों के लिए प्रोडक्ट एडवाइजरी कमेटी (पीएसी) और एक्सचेंज की रेग्युलेटरी ओवरसाइट कमेटी (आरओसी) से मंजूरी की जरूरत होगी। ये बदलाव सेबी और बाजार कारोबारियों के लिए आवेदन की प्रस्तावित तारीख से कम से कम एक महीने पहले लाए जाने की जरूरत होगी।
अन्य बदलाव के तहत, सेबी ने एक्सचेंजों से बड़े संशोधनों के लिए पूर्व मंजूरी लेने को कहा है जिसके लिए नियामकीय मंजूरी से पहले पीएसी और आरओसी से स्वीकृति जरूरी होगी। सेबी द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है, 'जिंस डेरिवेटिव अनुबंधों के अनुबंध मानकों में संशोधन की अनुमति इस शर्त के अधीन है कि अनुबंध शर्तों में किसी तरह के बदलाव से पहले एक्सचेंजों को सेबी और बाजार कारोबारियों को इसके कारणों के बारे में जानकारी देनी होगी। हालांकि यह उन कुछ खास संशोधनों के लिए लागू नहीं होगा जिन्हें निगरानी उपाय के तौर पर स्थिति की जरूरत को देखते हुए तुरंत प्रभावी किया जाना जरूरी होगा।' मौजूदा समय में, एक्सचेंज इस तरह के बदलावों की मंजूरी के लिए सेबी से संपर्क करते हैं।
सेबी ने नॉन-मैटेरियल मॉडिफिकेशंस को सिंबल, डिस्क्रिप्शन, टिक साइज, स्टाइक्स, मार्जिन आदि के तौर पर वर्गीकृत किया है। 'शून्य' ओपन इंटरेस्ट वाले मैटेरियल मॉडिफिकेशंस यानी वस्तुगत संशोधनों को नियामक ने लास्ट ट्रेडिंग डे, टे्रडिंग यूनिट, कीमत, डिलिवरी सेंटर, प्रीमियम और डिस्काउंट के तौर पर परिभाषित किया है। तीसरी श्रेणी में व्यापक विचार-विमर्श के साथ 30 दिन पहले सेबी की मंजूरी अनिवार्य है। इसे सेबी ने कॉन्ट्रैक्ट लॉन्च कैलेंडर, ट्रेडिंग पीरियड, डेली प्राइस लिमिट के तौर पर परिभाषित किया है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के सहायक निदेशक किशोर नार्ने ने कहा, 'अनुबंध शर्तों में बदलाव पारदर्शिता लाएगा। इसके सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह के प्रभाव भी होंगे। लेकिन संक्षिप्त अवधि के नोटिस के साथ इन बदलावों पर अमल करने वाले एक्सचेंजों को अब संशोधनों की प्रक्रिया को आसान बनाने की जरूरत होगी।'
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