कारोबार के आकार और गतिविधियों की समीक्षा ► यूसीबी के लिए आसान नहीं होगा कारोबार बढ़ाना ► वित्तीय व्यवस्था के लिए अहम संस्थाओं के दायरे में आएंगे ► वाणिज्यिक बैंक या एसएफबी में तब्दील हो सकते हैं शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के नए नियामकीय ढांचे के तहत के उनके कारोबार के लिए 20 हजार करोड़ रुपये की सीमा तय की जा सकती है। साथ ही यूसीबी की कुछ खास गतिविधियों (खासकर रियल्टी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में) पर भी लगाम लगाने की तैयारी है ताकि उनके कारोबार को बढऩे से रोका जा सके। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि क्योंकि उनके कामकाज पर निगरानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (पीएमसी बैंक) में वित्तीय अनियमितताओं के सामने आने के बाद यूसीबी के लिए नियमों को सख्त बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। यही वजह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय इन बैंकों की नियामकीय और कारोबारी व्यवस्था के बारे में चर्चा कर रहे हैं।एक वरिष्ठ नियामकीय अधिकारी ने कहा कि यूसीबी पर आर गांधी और वाई एच मालेगम समिति की 2015 और 2011 की रिपोर्ट में इस क्षेत्र के लिए पर्याप्त सिफारिशें की गई हैं। ये दो रिपोर्टें नए नियमों का आधार हो सकती हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि यूसीबी के कारोबार का आकार और उनकी गतिविधियों की समीक्षा की जा रही है। केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच चर्चा में ये विषय आए हैं।यूसीबी की न्यूनतम हैसियत के नियमों के बारे में यह कहा गया कि उनके पूंजीगत ढांचे को देखते हुए इस मुद्दे को देनदारी के पहलू से देखा जा सकता है। यूसीबी को एक सीमा तक जमा स्वीकार करने की अनुमति दी जा सकती है और कुछ मायनों में इसे बीमित राशि से जोड़ा जा सकता है। इससे वे पहले की तरह अपना विस्तार नहीं कर पाएंगे। बीमित राशि को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने की संभावना है। आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच चल रही चर्चा में यूसीबी क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या के संचारी प्रभाव का हमेशा के लिए समाधान करने की योजना है। वित्तीय संस्थाओं को व्यवस्था के लिए अहम माना गया है। चाहे वे बैंक हों या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां। लेकिन यूसीबी का ऐसा वर्गीकरण नहीं किया गया है। कुछ बड़े यूसीबी विदेशी विनिमय, मुद्रा और सरकारी प्रतिभूति बाजारों में सक्रिय हैं। उन्हें केंद्रीय बैंक की नकदी समायोजन सुविधा हासिल है और वे अधिसूचित वाणिज्यिक बैंकों की तरह कारोबार करते हैं।एक अन्य नियामकीय अधिकारी ने कहा, 'भले ही कोई यूसीबी वाणिज्यिक बैंक की तरह बड़ा न हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि जब कुछ गलत होता है तो फिर इनका संचारी प्रभाव कम गंभीर नहीं होता है क्योंकि ये बैंक निपटान व्यवस्था का हिस्सा हैं।' यूसीबी के नए नियमों में कुछ बड़े बैंकों को वाणिज्यिक बैंक में बदलने की संभावना पर भी विचार किया जा सकता है, बशर्तें वे इसके इच्छुक हों।अगर कोई छोटा यूसीबी लघु वित्त बैंक (एसएफबी) का लाइसेंस लेना चाहता है तो इससे जुड़े मुद्दों की भी समीक्षा हो सकती है।यूसीबी के वाणिज्यिक बैंक में तब्दील होने के विकल्प को संशोधित दिशानिर्देशों में जगह मिल भी सकती है या नहीं। लेकिन यूसीबी को एसएफबी लाइसेंस देने के लिए आरबीआई को इस तथ्य से भी निपटना होगा कि इनमें से कुछ बैंक ऐसा कारोबार कर रहे हैं जिसकी अनुमति एसएफबी को नहीं है। इससे यह स्थिति पैदा हो सकती है जहां कई यूसीबी को एसएफबी लाइसेंस का पात्र बनने के लिए ये कारोबार छोड़ने पड़ेंगे।
