संशोधित और कारगर पीसीए व्यवस्था► बैंकों की तरह करना होगा वित्तीय विवरण का खुलासा ► बड़ी एनबीएफसी के लिए अलग-अलग निगरानी व्यवस्था भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए 2022 तक त्वरित उपचारात्मक कार्रवाई (पीसीए) व्यवस्था और अलग-अलग निगरानी ढांचा बनाने की योजना बनाई है। यह केंद्रीय बैंक की मध्यावधि रणनीति ढांचे का हिस्सा है और इसे उत्कर्ष 2022 नाम दिया गया है। बैंक ने अपनी वैधानिक भूमिका में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए कई कदम उठाने की योजना बनाई है। इनमें एनबीएफसी के लिए संशोधित और कारगर पीसीए व्यवस्था बनाना भी शामिल है। इसका मतलब यह है कि एनबीएफसी को पूंजी जरूरतों, गैर-निष्पादित आस्तियों और परिसंपत्ति गुणवत्ता से जुड़े मानकों का सख्ती से पालन करना होगा।एनबीएफसी के लिए पुरानी निगरानी रेटिंग व्यवस्था भी वापस लाई जा सकती है। इसे कैमल्स रेटिंग कहा जाता है। आरबीआई यह सुनिश्चित करना चाहता है कि एनबीएफसी भी बैंकों की तरह अपने वित्तीय विवरण का खुलासा करें। आरबीआई ने 23 जुलाई को बताया था कि वह 2019 से 2022 तक मध्यावधि रणनीति व्यवस्था के रूप में उत्कर्ष 2022 को अपनाएगा। लेकिन बैंक ने इस बारे में विस्तृत दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस दस्तावेज को देखा है। इससे पता चलता है कि केंद्रीय बैंक एनबीएफसी के विनियमन और निगरानी की ऐसी व्यवस्था रहा है जिससे उनके और बैंकों के बीच नियामकीय फर्क नहीं रह जाएगा।अभी आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों की वित्तीय हालत को मजबूत रखने के लिए पीसीए को एक अग्रिम चेतावनी के रूप में इस्तेमाल करती है। पूंजी, परिसंपत्ति गुणवत्ता और एनपीए की सीमा का उल्लंघन होने पर केंद्रीय बैंक इसका इस्तेमाल करता है। पीसीए व्यवस्था 2002 से लागू है और आरबीआई ने 2017 में इसे सख्त बनाया था। इसके तहत कमजोर प्रदर्शन वाले बैंकों के विस्तार और लाभांश वितरण आदि पर रोक लगा दी गई थी। आरबीआई को 2020 में पीसीए व्यवस्था की समीक्षा करनी है और माना जा रहा है कि वह संशोधित नियमों में एनबीएफसी को भी शामिल करेगा। आरबीआई के रणनीतिक लक्ष्यों में कहा गया है कि जमा लेने वाली बड़ी और अहम एनबीएफसी के लिए अलग-अलग निगरानी व्यवस्था होगी जबकि छोटी एनबीएफसी के लिए संशोधित कैमल्स रेटिंग व्यवस्था बनाई जाएगी। 30 अक्टूबर तक देश में जमा लेने वाली एनबीएफसी की संख्या 81 थी जबकि जमा नहीं लेने वाली एनबीएफसी की संख्या 9,409 थी।
