डेट फंडों में विफल रहने के बाद निवेशक अब बड़े लिक्विड फंडों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। पिछले साल, सिर्फ एक फंड की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 50,000 करोड़ रुपये से अधिक थीं। अब चार योजनाएं इस आंकड़े को पार कर चुकी हैं। इस श्रेणी में सबसे बड़ी योजना एचडीएफसी लिक्विड फंड की एयूएम 86,446 करोड़ रुपये है। पूंजी प्रवाह में तेजी सिर्फ फंडों के आकार की वजह से नहीं आ रही है बल्कि ये योजनाएं शानदार रिकॉर्ड वाले फंड हाउसों से जुड़ी हुई हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ पंजीकृत निवेश सलाहकार दीपेश राघव कहते हैं, 'यह धारणा है कि छोटे फंड हाउस ज्यादा व्यवसाय हासिल करने के लिए प्रतिफल पर जोर देंगे, जिससे उन्हें जोखिमपूर्ण निवेश का सामना करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी तरफ, बड़े फंड हाउस अपनी साख और पहचान को सुरक्षित बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।'अन्य विश्लेषक भी उनके विचार से सहमत हैं। पॉजीटिव वाइब्स कंसल्टिंग ऐंड एडवायजरी में पार्टनर एवं कंसल्टेंट मल्हार मजूमदार कहते हैं, 'छोटे फंडों द्वारा संकेंद्रण जोखिम के मामले दिखे हैं। सभी बीमा कंपनियों में अपना निवेश फैलाने के बजाय उन्होंने सिर्फ कुछ कंपनियों के पत्रों में निवेश किया।' बड़े एयूएम वाले फंड में निवेश करना समझदारी है, पर इसे निवेश के लिए एकमात्र प्राथमिकता नहीं समझा जाना चाहिए। बड़े फंड सामान्य तौर पर अधिक डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो वाले होते हैं। लेकिन निवेशकों को खर्च अनुपात, पोर्टफोलियो की गुणवत्ता, और फंड हाउस के रिकॉर्ड जैसे अन्य मानकों पर ध्यान देने की जरूरत है। लिक्विड फंडों के डायरेक्ट प्लान में, खर्च अनुपात 0.07-0.08 प्रतिशत हो सकता है और कई योजनाओं के लिए यह 0.20 प्रतिशत तक हो सकता है। ज्यादा खर्च अनुपात से योजना के प्रतिफल पर प्रभाव पड़ता है।निवेश प्रबंधकों का कहना है कि कई बड़े फंड सॉवरिन गारंटी के साथ सरकारी बैंकों और कंपनियों के ट्रेजरी बिल या पत्र लेते हैं। लिक्विड फंड में निवेश करते वक्त फंड द्वारा दिए जा रहे प्रतिफल को निर्णायक मानक के तौर पर समझें। उन फंडों पर विचार करना बेहतर है जो उनके निवेश के साथ कम जोखिम से जुड़े हों। फंडों का आकार भी यह दर्शाता है कि यह संस्थागत रकम है जो इन बड़ी योजनाओं में निवेश की जा रही है। संस्थागत रकम सामान्य तौर पर प्रवाही होती है जिसे कंपनियां निवेश के कुछ दिन के अंदर ही निकाल सकती हैं। ऐसे घटनाक्रम अक्सर तब होते हैं जब कंपनियों को अग्रिम कर चुकाना होता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ऐसी भारी निकासी से पोर्टफोलियो का प्रतिफल प्रभावित हो सकता है? निवेश प्रबंधकों का कहना है कि ऐसा नहीं होगा। फंड प्रबंधक इस घटनाक्रम को समझते हैं और इस तरह की बिक्री की जरूरत को ध्यान में रखकर निवेश करते हैं। निवेशकों को यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि फंड प्रबंधक का दांव कितना सुरक्षित है, लिक्विड फंडों में डिफॉल्ट का जोखिम होता है या प्रतिभूति पर रेटिंग घट सकती है, जिससे अल्पावधि में प्रतिफल में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है। डेट फंड में तभी निवेश करें जब आप इसमें जोखिम को सहन करने में सक्षम हों।
