बड़े बंदरगाहों पर लौह अयस्क ढुलाई में फिर से तेजी दर्ज की गई है। इस वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान लौह अयस्क ढुलाई में सालाना आधार पर 32 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की गई है। लौह अयस्क की खेपों में वित्त वर्ष 2019 में 16 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। कमजोर निर्यात मांग के साथ-साथ फरवरी 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद गोवा में इस धातु के खनन पर प्रतिबंध से हालात बदतर हो गए। प्रतिबंध के बाद राज्य में 88 खदानों का परिचालन ठप हो गया। इसके अलावा कर्नाटक से निर्यात भी प्रतिबंधित किया गया जिससे प्रमुख बंदरगाहों पर लौह अयस्क ढुलाई प्रभावित हुई। कर्नाटक प्रमुख लौह अयस्क उत्पादक राज्य है। वित्त वर्ष 2020 में लौह अयस्क ढुलाई में सुधार दर्ज किया गया है और लगभग सभी जिंसों की तुलना में अयस्क ढुलाई में सर्वाधिक वृद्घि दर्ज की गई है। पारादीप और विशाखापत्तनम में परिचालन बढ़ा है। उद्योग के एक जानकार ने कहा, 'लौह अयस्क पेलेट और निचले दर्जे के अयस्क की मांग वैश्विक बाजारों में बढ़ी है। खासकर ब्राजील में वेल की खदानों में संकट और ऑस्ट्रेलिया में कुछ खदानों में परिचालन बंद होने से चीन जैसे बाजारों के लिए लौह अयस्क मांग बढ़ी है। निर्यात मांग के अलावा, घरेलू उत्पादन और इसके नतीजतन लदानों में तेजी आई है, क्योंकि व्यावसायिक खनिक उन खदानों से उत्पादन बढ़ाने की संभावना तलाश रहे हैं जिनकी लीज अवधि 31 मार्च, 2020 तक समाप्त हो रही है।'
