सरकारी कंपनियों पर भी एजीआर की मार | देव चटर्जी, कृष्ण कांत और शाइन जैकब / मुंबई/नई दिल्ली November 08, 2019 | | | | |
दूरसंचार सेवाओं का लाइसेंस रखने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियां स्पेक्ट्रम पर उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश की तपिश महसूस कर रही हैं और उन पर वित्तीय बोझ पडऩे का खतरा मंडरा रहा है। इनमें गेल इंडिया लिमिटेड, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन, ऑयल इंडिया लिमिटेड, दिल्ली मेट्रो और रेलटेल शामिल हैं। वे इस बारे में दूरसंचार विभाग से स्पष्टीकरण मांगने की योजना बना रही हैं। न्यायालय ने सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को सरकार द्वारा तय समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के मुताबिक अपने पिछले लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम बकाये का भुगतान करने को कहा है।
कानून की जानकारी रखने वालों के एक वर्ग का कहना है कि सार्वजनिक उपक्रमों और छोटी कंपनियों को न्यायालय के आदेश के मुताबिक एजीआर के आधार पर अपना पिछला बकाया चुकाना पड़ेगा क्योंकि यह आदेश लाइसेंस रखने वाली सभी कंपनियों पर लागू होगा। लेकिन इन कंपनियों के अधिकारी इससे सहमत नहीं हैं। एक अधिकारी ने कहा, 'दूरसंचार हमारा प्रमुख कारोबार नहीं था, इसलिए हमें नहीं लगता है कि इसका हम पर कोई असर होगा। फिर भी हम इस बारे में सरकार से स्पष्टीकरण मांगेगे।'
सरकार ने दूरसंचार उद्योग की समस्याओं के निराकरण के लिए सचिवों की एक समिति का गठन किया है और कुछ सरकारी कंपनियां समिति से स्पष्टीकरण मांगने की योजना बना रही हैं। गेल के एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी को 2002 में 15 साल के लिए आईएसपी का लाइसेंस मिला था, जिसकी अवधि 2017 में खत्म हो गई। गेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'गेल इंडिया ने इस आईएसपी लाइसेंस से कोई कारोबार नहीं किया, इसलिए हमारी कोई देनदारी नहीं बनती।' रेलटेल के एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी न्यायालय के आदेश से पडऩे वाले प्रभाव का आकलन कर रही है। दिल्ली मेट्रो के एक अधिकारी ने कहा कि अभी इस मुद्दे पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि सकल राजस्व की परिभाषा से स्पष्ट है कि लाइसेंस और गैर-लाइसेंस गतिविधियों से हुई आय तथा लाइसेंस रखने वाले को विविध स्रोतों से हुई आय को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
एक वकील ने कहा इससे दूरसंचार विभाग का लाइसेंस रखने वाली वे सभी कंपनियां प्रभावित होंगी, जिनके पास राजस्व के दूरसंचार से इतर स्रोत हैं और एजीआर की गणना में उन स्रोतों को भी शामिल किया जाएगा। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि लाइसेंस अवधि के लिए गेल की लाइसेंस शुल्क के तौर पर कुल देनदारी 23,378 करोड़ रुपये होगी। यह इस दौरान गेल के कुल राजस्व पर आधारित है। इसके अलावा शुल्क पर ब्याज और जुर्माना अलग से लगेगा।इसी तरह आईएसपी और एनएलडी का लाइसेंस रखने वाली पावर ग्रिड का लाइसेंस शुल्क का बकाया 10,344 करोड़ रुपये होगा। ऑयल इंडिया को अतिरिक्त लाइसेंस शुल्क के तौर पर 4,854 करोड़ रु. देने होंगे, जबकि डीएमआरसी की देनदारी 2,058 करोड़ रुपये की होगी।
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