नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ के दिन आज वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने भारत की क्रेडिट रेटिंग 'स्थिर' से घटाकर 'ऋणात्मक' कर दी। रेटिंग घटाने के पीछे मूडीज ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी रहने, ग्रामीण परिवारों पर वित्तीय दबाव, रोजगार सृजन कम होने और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में नकदी संकट का हवाला दिया है। हालांकि मूडीज ने भारत की दीर्घावधि की सॉवरिन रेटिंग बीएए2 को बरकार रखा है, जो नीचे से दूसरा निवेश ग्रेड स्कोर है, साथ ही उसने कहा है कि ऋणात्मक परिदृश्य से संकेत मिलता है कि निकट भविष्य में इसमें सुधार होने की संभावना कम ही है। दो साल पहले नवंबर 2017 में मूडीज ने भारत की रेटिंग बीएए3 से बढ़ाकर बीएए2 कर दिया था। रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'परिदृश्य को ऋणात्मक करने के मूडीज के निर्णय से पता चलता है कि आर्थिक विकास के निचले स्तर पर बने रहने का जोखिम बढ़ रहा है। आर्थिक एवं संस्थागत मोर्चे पर जारी आंशिक सुस्ती को दूर करने में सरकार और नीतियों का प्रभाव मूडीज द्वारा पहले लगाए गए अनुमान से कम रही है, जिसकी वजह से धीरे-धीरे कर्ज का बोझ बढ़ रहा है, जो पहले से ही उच्च स्तर पर है।' रिपोर्ट में कहा गया है, 'इससे कारोबारी निवेश और उच्च वृद्घि को मदद देने के लिए आगे के सुधारों की संभावना भी कम हुई है।' हालांकि दो अन्य वैश्विक रेटिंग एजेंसियां - फिच रेटिंग्स और एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत का परिदृश्य स्थिर रखा है। भारत के क्रेडिट परिदृश्य के साथ ही तकनीकी और वित्तीय क्षेत्र की आठ कंपनियों की रेटिंग भी घट दी गई, जिसका असर शेयर बाजार पर दिखा। शुरआत में तेजी से कारोबार कर रहे बाजार पर बाद में बिकवाली हावी हो गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 330 अंक गिरकर 40,324 पर बंद हुआ। इससे पहले कारोबार के दौरान सेंसेक्स 40,749.33 की नई ऊंचाई पर पहुंच गया था। निफ्टी भी 104 अंक गिरकर 11,908 पर बंद हुआ। डॉलर के मुकाबले रुपया 31 पैसे की गिरावट के साथ तीन हफ्ते के निचले स्तर 71.28 पर बंद हुआ। बॉन्ड के प्रतिफल में तेजी देखी गई। 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल 0.78 फीसदी बढ़कर 6.56 फीसदी पर पहुंच गया। मूडीज के इस कदम पर नाराजगी जताते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है और मुद्रास्फीति काबू में है तथा बॉन्ड प्रतिफल निचले स्तर पर है। ऐसे में निकट भविष्य में विकास का परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि परिदृश्य घटाए जाने के बाद सरकार के अधिकारियों ने मूडीज के प्रतिनिधियों से बात की और भारत का पक्ष रखा। उन्होंने कहा, 'अगर आप आईएमएफ के अनुमान को देखें तो विकास अनुमान में कटौती करने के बावजूद उसने हमें प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से विकास करने वाले देशों में शुमार किया है। मध्यम अवधि में हम फिर उच्च वृद्घि हासिल करेंगे।' अतनु चक्रवर्ती ने कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्घि दर कम रही है और पिछले अनुमानों की तुलना में साल के अंत तक यह कम रहेगी, लेकिन परिदृश्य में बदलाव करने की यह पर्याप्त वजह नहीं है। उन्होंने कहा, 'हालांकि हम मूडीज तथा अन्य रेटिंग एजेंसियों के साथ आने वाले दिनों और महीनों में बातचीत करना जारी रखेंगे।' अप्रैल-जून तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्घि दर 5 फीसदी थी जो 2013 के बाद सबसे कम है। नॉमिनल जीडीपी वृद्घि दर 8 फीसदी रही जो 2002-03 की तीसरी तिमाही के बाद सबसे कम है। अधिकारियों को जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी की वृद्घि दर 5 फीसदी से कम रहने की आशंका है लेकिन इसके बाद दूसरी छमाही में सुधार की संभावना है। भारतीय रिजर्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित कई संस्थाओं, कई शोध एवं रेटिंग कंपनियों और यहां तक कि मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने 2019-20 के लिए भारत की विकास दर के अपने अनुमानों में कटौती की है। वित्त मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, 'आईएमएफ ने अपने ताजा विश्व आर्थिक परिदृश्य में कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार 2019 में 6.1 फीसदी और 2020 में 7 फीसदी रहेगी। भारत की संभावित वृद्घि दर में कोई बदलाव नहीं आया है और आईएमएफ तथा अन्य बहुस्तरीय संस्थाओं का आकलन भारत के सकारात्मक परिदृश्य को दर्शाता है।' मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई वित्तीय और दूसरे सुधारवादी कदम उठाए हैं। वैश्विक मंदी को देखते हुए सरकार ने सक्रियता के साथ कई नीतिगत फैसले लिए हैं। इन उपायों से भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में सकारात्मक परिदृश्य बनेगा, पूंजी निवेश आकर्षित होगा और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने पिछले कुछ महीनों के दौरान कई क्षेत्रों के लिए विशेष उपाय किए हैं और कॉरपोरेट कर में कटौती की घोषणा की है। मूडीज की रिपोर्ट में कहा गया है, 'मूडीज को उम्मीद है कि इन उपायों से अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा लेकिन इनसे उत्पादकता और वास्तविक जीडीपी की पिछली दरें बहाल होने की संभावना नहीं है।' रिपोर्ट के मुताबिक मंदी के विभिन्न पहलुओं और वास्तविक अर्थव्यवस्था तथा वित्तीय व्यवस्था की ढांचागत खामियां इस वित्त वर्ष में 6.6 फीसदी जीडीपी वृद्घि के मूडीज के अनुमान के और कम रहने का संकेत देती हैं। अपनी रिपोर्ट में एजेंसी ने इस वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे के जीडीपी का 3.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
