कई तरह के संकट से घिर गया है सड़क क्षेत्र : गर्ग | मेघा मनचंदा / नई दिल्ली November 07, 2019 | | | | |
सड़कों के लिए भूमि अधिग्रहण का भारी मुआवजा देने, निर्माण और क्षतिपूर्ति दावों में उछाल आने और बिना ट्रैफिक वाली जगहों पर सड़कों का निर्माण करने से राष्ट्रीय राजमार्ग वाली सड़कें वित्तीय तौर पर अव्यावहारिक परिसंपत्ति बनती जा रही हैं। ये बातें पूर्व ऊर्जा सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कही है। राष्ट्रीय, राज्य, जिला और गांवों के स्तरों पर सड़क नेटवर्क का विस्तार करना देश की प्रगति के साथ साथ सभी नागरिकों के चौतरफा विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है। गर्ग ने कहा कि सड़क ढांचे में निवेश का आर्थिक गतिविधि को बढ़ाने और सामाजिक प्रगति के लिए योगदान करने में बहुत बड़ी भूमिका है। ऊर्जा मंत्रालय में पदभार संभालने से पूर्व गर्ग वित्त सचिव भी रहे थे।
गर्ग ने कहा, 'राष्ट्रीय राजमार्ग और सैद्घांतिक रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा पाने वाली सड़कों के अनियोजित और अत्यधिक विस्तार के कारण एनएचएआई पूरी तरह से ठप पड़ चुका है। इन दो प्रकार के राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 1.9 लाख किलोमीटर से पार हो चुकी है।' एनचएआई की ओर से जमीन की वास्तविक कीमत से कई गुना अधिक भुगतान किए जाने और उसकी निर्माण लागत ऊपर जाने से भी सड़क ढांचा वित्तीय तौर पर अव्यावहारिक हो चुका है। इसके कारण निजी निवेशकों और विनिर्माण कंपनियों ने नई सड़क परियोजनाओं से पूरी तरह से मुंह मोड़ लिया है। मॉडल पूरी तरह से हाइब्रिड एन्यूटी और ईपीसी मोड में बदल चुका है जहां सभी तरह का निवेश सरकार करती है। यह तरीका टिकाऊ नहीं है और इसे बदलना होगा। एनएचएआई को खुद में बदलाव करते हुए सड़क संपत्ति प्रबंध कंपनी के रूप में स्थापित होना चाहिए।
एनएचएआई द्वारा मंजूर किए गए और सैद्घांतिक तौर पर राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा पाई करीब 50,000-60,000 किलोमीटर सड़कों के निर्माण को ठंडे बस्ते में डाला जाए। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग ग्रिड का ब्लूप्रिंट तैयार कर उसकी मंजूरी दी जाए जिसमें वैसी सभी सड़कें शामिल हों जिन्हें वास्तव में 2030 तक राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में बदला जाना है। एनएचएआई को निश्चित तौर उचित आकार के सड़क खंड या जोडऩे वाली सड़क खंडों को परियोजना के तौर मान्यता देनी चाहिए ।
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