धान खरीद को लेकर छत्तीसगढ़ और केंद्र सरकार के बीच जारी विवाद अब नया मोड़ लेता दिख रहा है। विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस मसले पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हुई। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अधिक कीमत पर धान की खरीद करने की अनुमति के लिए केंद्र पर दबाव बढ़ा रही है। चुनावों के दौरान कांग्रेस ने सरकार बनने पर धान की अधिक कीमत देने का वादा किया था। इसलिए राज्य सरकार ने 2018-19 खरीफ विपणन वर्ष में 2,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर धान की खरीद की थी। केंद्र द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दाम चुकाने की वजह से राज्य सरकार के खजाने पर अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा है। दाम बढ़ाने की मांग के साथ ही राज्य सरकार चाहती है कि केंद्र सरकार केंद्रीय पूल में धान की खरीद का कोटा 24 लाख टन से बढ़ाकर 34 लाख टन करे। धान की अधिक कीमत की वजह से सरकारी सोसाइटियों में धान की आवक काफी बढ़ गई है। सरकार ने प्रति हेक्टेयर 15 क्विंटल धान खरीदने की सीमा लगाई है, वहीं प्राधिकरणों को अनुमान है कि मौजूदा सत्र में 87 लाख टन धान की आवक होगी। पहले राज्य सरकार की ओर से 15 नवंबर से धान खरीद शुरू करना प्रस्तावित था जिसे अब 15 दिन बढ़ा दिया गया है। भाजपा सांसद सुनील सोनी ने कहा, 'कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछे बिना चुनावों से पहले धान की कीमत 2,500 रुपये प्रति टन करने का ऐलान कर दिया था। अब राज्य में कांग्रेस की सरकार है, ऐसे में केंद्र पर इसे थोपना सही नहीं है।' सर्वदलीय बैठक के अलावा बघेल ने इस मसले पर चर्चा के लिए राज्य के सभी सांसदों को भी आमंत्रित किया था। हालांकि भाजपा ने बैठक का बहिष्कार किया था।
