बैठकों में हैकिंग की सूचना नहीं देने से सरकार चिंतित | एजेंसियां / November 01, 2019 | | | | |
सरकार ने इस बात को लेकर चिंतित व्यक्त की है कि व्हाट्सऐप के साथ जून से अब तक उसके साथ हुई कई दौर की बातचीत हुई पर कंपनी ने एक बार भी पेगासस हैकिंग घटना का उल्लेख नहीं किया। सरकारी स्रोतों ने इसकी जानकारी दी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त के साथ सवाल उठाया कि यह व्हाट्सऐप संदेशों के स्रोत की जानकारी तथा जवाबदेही तय करने के लिए कोई कदम उठाने से सरकार को रोकने के लिए कंपनी की ओर से किसी तरह की रुकावट करने जैसी चाल तो नहीं है।
सरकार हैकिंग मामले के खुलासे के समय को लेकर भी सवाल कर रही है। यह इस कारण महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि केंद्र सरकार ने देश में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के उपाय के लिए उच्चतम न्यायालय से तीन महीने का समय मांगा है। सूत्रों ने कहा कि सरकार दुर्भावनापूर्ण संदेशों की सामग्री के बजाय उसका स्रोत जानने पर जोर देगी। फेसबुक की स्वामित्व वाली कंपनी व्हाट्सऐप के दुनिया भर में डेढ़ अरब से अधिक उपयोगकर्ता हैं। अकेले भारत में ही करीब 40 करोड़ व्यक्ति इसका उपयोग करते हैं। व्हाट्सऐप इससे पहले भी फर्जी खबरों के प्रसार को लेकर सरकार के निशाने पर रह चुकी है।
हालांकि व्हाट्सऐप ने शुक्रवार को कहा कि उसने हैकिंग मामले में ठोस कदम उठाया है और वह सभी नागरिकों की निजता की सुरक्षा की जरूरत पर भारत सरकार का समर्थन करती है। व्हाट्सऐप के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हम सभी भारतीय नागरिकों की निजता की सुरक्षा की जरूरत को लेकर भारत सरकार के बयान से सहमत हैं। इसी कारण हमने साइबर हैकरों की जवाबदेही तय करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं और इसी कारण व्हाट्सऐप अपनी सेवाओं के जरिए सभी उपयोग कर्ताओं के संदेशों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।'
हालांकि प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि व्हाट्सऐप ने सरकार के स्पष्टीकरण का जवाब दिया है या नहीं। व्हाट्सऐप का कहना है कि इस हैकिंग में शामिल हैकरों द्वारा उपयोग में लाई गई तकनीक के पीछे इजराइल की निगरानी फर्म एनएसओ ग्रुप का हाथ है जिसमें राजनायिकों, राजनीतिक हस्तियों, पत्रकारों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों आदि 1,400 उपयोगकर्ताओं के खाते हैक किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि व्हाट्सऐप ने वैश्विक स्तर पर सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी किए जाने का गुरुवार को खुलासा किया था। कंपनी ने बताया था कि कुछ भारतीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस जासूसी के शिकार हुए हैं। सरकार ने इसके बाद कड़ा रुख अपनाते हुए व्हाट्सऐप से मामले पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। सरकार ने यह भी पूछा कि व्हाट्सऐप ने लोगों की निजता की सुरक्षा के लिए क्या उपाय किए हैं। सूत्रों के अनुसार, कंपनी को चार नवंबर तक जवाब देने को कहा गया है।
रूस में विवादास्पद कानून लागू
रूस के इंटरनेट ट्रैफिक को अंतरराष्ट्रीय सर्वर से कटौती की अनुमति देने वाला विवादास्पद कानून शुक्रवार को प्रभाव में आ गया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मई में इस कानून पर हस्ताक्षर किए थे और इसके तहत रूसी इंटरनेट प्रदाताओं को अधिकारियों द्वारा उपलब्ध कराए गए तकनीकी उपकरण लगाने होंगे जिससे इंटरनेटल ट्रैफिक पर केंद्रीय नियंत्रण स्थापित किया जा सके। ये उपकरण प्रतिबंधित वेबसाइटों तक पहुंच को रोकने के लिए इंटरनेट सामग्री को फिल्टर भी करेंगे। कानून के समर्थकों का कहना है कि इसके जरिये यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि रूसी वेबसाइटें साइबर हमलों जैसे बाह्य हमलों के मामलों में अंतरराष्ट्रीय सर्वर से अलग कर दिया जाए और वे लगातार काम करती रहें।
हालांकि कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह सरकार द्वारा सेंसरशिप लगाने का एक और प्रयास है और पहले भी लिंक्डइन तथा टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाकर ऐसा किया जा चुका है। ह्यूमनराइट वॉच ने चेतावनी दी है कि नए कानून के बाद रूसी सरकार को अभिव्यक्ति की आजादी तथा ऑनलाइन सूचना पर अधिक नियंत्रण मिल जाएगा। देश में राजनीतिक वाद-संवादों के लिए इंटरनेट अहम माध्यम है।
|