वैश्विक कारकों से तांबा उद्योग प्रभावित | टीई नरसिम्हन / चेन्नई October 28, 2019 | | | | |
मार्जिन पर दबाव और कमजोर वैश्विक परिदृश्य की वजह से घरेलू तांबा उद्योग की वित्तीय स्थिति प्रभावित हो सकती है। केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू उत्पादन में कमी (खासकर तुत्तूकुडी में वेदांत का कॉपर स्मेल्टर संयंत्र बंद होने की वजह से) से भारत तांबे का शुद्घ आयातक बना रहेगा, जबकि वैश्विक तांबा कीमतों पर दबाव बरकरार रहेगा और अमेरिका तथा चीन की बातचीत सफल नहीं होने तक वे 5,500-5,900 डॉलर प्रति टन के दायरे में रहेंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के तांबा उद्योग का कुल बिक्री राजस्व वित्त वर्ष 2015 से वित्त वर्ष 2019 की अवधि के दौरान 6.6 प्रतिशत तक घट गया। उद्योग का राजस्व काफी हद तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूद तांबा कीमतों पर निर्भर करता है। हालांकि एलएमई तांबा कीमतों में गिरावट आनी शुरू हो गई है।
घरेलू तौर पर, परिष्कृत तांबे का उत्पादन वित्त वर्ष 2014-18 के दौरान 9.6 प्रतिशत की सालाना चक्रवृद्घि दर से बढ़ा था। तुत्तूकुडी में 28 मई 2018 को स्टरलाइट के 400 केटी तांबा संयंत्र के स्थायी रूप से बंद होने की वजह से वित्त वर्ष 2019 के दौरान उत्पादन में 46.1 प्रतिशत तक की कमी आई। तुत्तूकुडी संयंत्र का देश की तांबा स्मेल्टिंग क्षमता में 40 प्रतिशत का योगदान रहा है। तुत्तूकुडी में स्टरलाइट स्मेल्टर के स्थायी तौर पर बंद होने, और इसे लेकर अनिश्चितता गहराने से रेटिंग एजेंसी का मानना है कि वित्त वर्ष 2020 के अंत तक संशोधित तांबा उत्पादन लगभग 450 किलोटन (केटी) होगा, जो उसके वित्त वर्ष 2019 के उत्पादन स्तर से 1.5 प्रतिशत की गिरावट है। इस साल अप्रैल से जुलाई के बीच तांबा उत्पादन 167 किलोटन पर था।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, 'इस संयंत्र के बंद होने से भारत तांबे के शुद्घ निर्यातक से अब शुद्घ आयातक बन गया है। मांग में वृद्घि की वजह से, भारत वित्त वर्ष 2020 के दौरान भी संशोधित तांबे का शुद्घ आयातक बना रहेगा, ज ब तक कि मदुरै अदालत इस स्मेल्टर को पुन: चालू होने के लिए कोई फैसला नहीं सुना देती।' भारत 18 साल बाद परिष्कृत तांबे का शुद्घ आयातक बन गया है। घरेलू तांबा कंपनियों ने वित्त वर्ष 2019 के दौरान सालाना आधार पर राजस्व में 32.1 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की है।
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