डीएचएफएल के परिसमापन के विकल्प पर विचार कर रहे लेनदार
हंसिनी कार्तिक / मुंबई October 24, 2019
दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉरपोरेशन (डीएचएफएल) की परिसंपत्तियों की गुणवत्ता पर बढ़ती कयासबाजी को देखते हुए लेनदार अपना बकाया वसूलने के लिए वैकल्पिक तरीका अपनाने पर विचार कर रहे हैं। एक सूत्र ने कहा, अपना बकाया कर्ज को डीएचएफएल की इक्विटी में बदलने के मामले में लेनदार सतर्क हो गए हैं।
ऐसे में समझा जाता है कि लेनदार कंपनी से अपना बकाया वसूलने के लिए प्लान-बी पर काम कर रहे हैं और इसके तहत वे अपना बकाया वसूलने के लिए डीएचएफएल के परिसमापन या उसकी परिसंपत्तियां खरीदने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं। एनसीडी समेत बैंकों का कुल बकाया 47,000 करोड़ रुपये है जबकि सुरक्षित लेनदारों मसलन म्युचुअल फंडों व खुदरा एनसीडीधारकों का करीब 17,000 करोड़ रुपये बकाया है। डीएचएफएल के पास 90,000 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियां हैं और उसके खाते में खुदरा होमलोन की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है।
एक सूत्र ने कहा, लेनदार अभी फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट पर कंपनी के जवाब की प्रतीक्षा कर रहे हैं और अपना बकाया वसूलने के लिए वैकल्पिक उपायों पर फैसला अगले दो या तीन हफ्तों में होगा जब बैंक डीएचएफएल को दिए कर्ज पर प्रावधान करना शुरू करेंगे। डीएचएफएल को ज्यादातर बैंकों ने सितंबर तिमाही तक मानक परिसंपत्ति के तौर पर वर्गीकृत किया है, वहीं दिसंबर तिमाही में यह स्थिति बदल सकती है जब बैंकों को डीएचएफएल के कर्ज के हिसाब से 15 फीसदी प्रावधान करना पड़ सकता है। सूत्रों ने कहा कि गैर-लेनदारों ने बैंकों को अपनी सहमति दे दी है कि सभी लेनदारों के बकाए के निपटान के लिए डीएचएफएल की परिसंपत्तियों का परिसमापन निश्चित रूप से होना चाहिए। म्युचुअल फंड हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, जब तक डीएचएफएल की परिसंपत्तियों की बिक्री से मूलधन का उचित हिस्सा मिल जाएगा तो हमारे लिए यह ठीक रहेगा।
एक सूत्र ने कहा, समझा जाता है कि बैंक अब अपने बकाए का एक हिस्सा इक्विटी में बदलने के मामले में चिंतित हो गए हैं। जब तक इसकी पुष्टि नहीं होती कि दिलचस्पी वाले प्राइवेट इक्विटी निवेशक की तरफ से बैंक की डीएचएफएल में हिस्सेदारी कर्ज को इक्विटी में बदलने के 6 से 9 महीने के भीतर नहीं खरीदने की पुष्टि नहीं होती, बैंक प्रस्तावित समाधान योजना पर अपनी सहमति शायद नहीं देंगे।
प्रस्तावित समाधान योजना के मुताबिक, बैंक अपने बकाए का दो फीसदी इक्विटी में बदलने के लिए तैयार हैं। इस तरह से करीब 6,000 करोड़ रुपये का कर्ज इक्विटी में बदलेगा। बैंकों ने डीएचएफएल को दिलचस्पी रखने वाले पीई फर्म से बातचीत करने को कहा है कि यह रकम (6,000 करोड़ रुपये) एस्क्रो खाते में जमा कराई जानी चाहिए कि निवेशक ने डीएचएफएल की बहुलांश हिस्सेदारी खरीदने के लिए कंपनी से बाध्यकारी करार कर लिया है।
बैंक इस पर सहमत हैं कि पीई निवेशक व डीएचएफएल के बीच सौदे की शर्तें कुछ निश्चित दृष्टांत के साथ हो और वे उनके कारोबार को विनियमित करने में मदद के इच्छुक हैं। लेकिन वे निवेशक से सही मायने में प्रतिबद्धता चाहते हैं। पहले खबर मिली थी कि एयॉन कैपिटल डीएचएफएल की 51 फीसदी हिस्सेदारी लेने की इच्छुक है। हालांकि संपर्क किए जाने के बाद एयॉन कैपिटल ने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया। डीएचएफएल से जानकारी के लिए भेजे गए ईमेल का जवाब भी नहीं मिला।
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