कर कटौती, कम लागत का मिला लाभ | |
कृष्ण कांत / मुंबई 10 23, 2019 | | | | |
► बिक्री में कम वृद्धि के बावजूद अब तक नतीजे घोषित करने वाली कंपनियों का मुनाफा बढ़ा
► आय 7.6 फीसदी ही बढ़ी
जुलाई-सितंबर तिमाही के नतीजों की शुरुआत भारतीय उद्योग जगत के लिए सकारात्मक रही है। अब तक करीब 200 कंपनियों ने अपने तिमाही नतीजों की घोषणा की है, जिनका समेकित शुद्ध मुनाफा पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 15 फीसदी बढ़ा है। हालांकि पिछले साल की समान तिमाही में मुनाफा 23.3 फीसदी बढ़ा था और अप्रैल-जून 2019 तिमाही में इसमें 20.1 फीसदी का इजाफा देखा गया था। बहरहाल आय को लेकर चिंता बरकरार है। अब तक जिन कंपनियों के नतीजे आए हैं, उनकी समेकित आय पिछली जुलाई-सितंबर तिमाही के मुकाबले 7.6 फीसदी बढ़ी है, जो तीन साल में सबसे कम है। पिछले साल की समान तिमाही में इनकी कुल आय 28.1 फीसदी बढ़ी थी और जून 2019 तिमाही में इसमें 17.2 फीसदी का इजाफा हुआ था। इससे आने वाली कुछ तिमाहियों में आय में वृद्धि बरकरार रहने पर संशय है।
मुनाफे में वृद्धि मुख्य रूप से मार्जिन में सुधार और कर में कमी की वजह से हुई है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कच्चे माल और ऊर्जा व ईंधन पर खर्च घटने की वजह से कंपनियों का परिचालन मुनाफा मार्जिन साल भर पहले की तुलना में 320 आधार अंक बढ़ा है। कच्चे माल की लागत इस दौरान पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 13.8 फीसदी घटी और ऊर्जा एवं ईंधन की लागत भी 4 फीसदी कम रही। विश्लेषकों का कहना है कि कम उत्पादन और कच्चे माल की कीमतों में गिरावट से कंपनियों का मुनाफा बढ़ा है।
बिक्री एवं मार्केटिंग के आधुनिकीकरण एवं विवेकाधीन खर्च में कटौती जैसे लागत कम करने के उपायों से मार्जिन में सुधार हुआ है। कर के मद में कंपनियों का व्यय 3.3 फीसदी कम हुआ है, जबकि सितंबर 2019 तिमाही में कर पूर्व मुनाफे में वृद्धि 20.7 फीसदी रही। इससे कंपनियों पर प्रभावी कर देनदारी 22.9 फीसदी रही, जो पिछले साल 28.5 फीसदी थी। कुल मिलाकर देखें तो कर में कटौती से सितंबर 2019 तिमाही में कर-पूर्व आय करीब 3,900 करोड़ रुपये बढ़ी, जो इन कंपनियों के कर पूर्व मुनाफे का करीब 5.6 फीसदी है। विलंबित कर देनदारी में करीब 177 फीसदी का इजाफा हुआ।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान यूनिलीवर और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज सहित कई कंपनियों के विलंबित कर भुगतान में खासी वृद्धि देखी गई। आईडीएफसी सिक्योरिटीज के मुख्य रणनीतिकार एवं अर्थशास्त्री धनंजय सिन्हा ने कहा, 'कंपनियों की आय अब तक अनुमान के मुताबिक ही रही है। मांग जोर नहीं पकड़ पाई है ऐसे में सबकी नजरें दूसरी छमाही पर टिकी है।'
गैर-वित्तीय क्षेत्र की आय पर दबाव स्पष्ट तौर पर दिख रहा है। बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को छोड़कर नतीजे घोषित करने वाली बाकी कंपनियों का शुद्ध मुनाफा 2.9 फीसदी बढ़ा है, जो तीन साल में सबसे कम है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, 'कर कटौती और कम परिचालन लागत को अगर निकाल दें तो कंपनी जगत पर दबाव बना दिखेगा। अधिकांश कंपनियों की आय में वृद्धि कम रही है।'
हालांकि खुदरा ऋणदाताओं के लिए सितंबर 2019 तिमाही अच्छी रही है। निजी क्षेत्र के बैंकों और एनबीएफसी की समेकित शुद्ध ब्याज आय सालाना आधार पर 23.7 फीसदी बढ़ी है जबकि उनका शुद्ध मुनाफा 18.8 फीसदी बढ़ा है। आईटी सेवा क्षेत्र की कंपनियों की कुल शुद्ध बिक्री महज 6.6 फीसदी बढ़ा है, जो छह तिमाहियों में सबसे कम है। इनका शुद्ध मुनाफा वृद्धि 3.4 फीसदी रहा।हालांकि यह ध्यान देने वाली बात है कि अब तक जिन कंपनियों ने नतीजे जारी किए हैं, उनमें से 80 फीसदी मुनाफे में निजी बैंकों, रिटेल एनबीएफसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस, इन्फोसिस और विप्रो का योगदान है। वाहन, पूंजीगत वस्तुओं, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, धातु एवं खनन तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियों पर नरमी का ज्यादा असर पड़ा है और इस क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के नतीजे अभी आने बाकी हैं।
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