तेजी से गिरे ईवी बैटरी के दाम | युवराज मलिक / बेंगलूरु October 20, 2019 | | | | |
वैश्विक बाजार में बैटरी सेल की कीमतों में तेज गिरावट हुई है। हालांकि भारत सरकार की हाल की सक्रियता और निजी क्षेत्र के कुछ उद्यमियों द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने के बावजूद भारत में ईवी के स्थानीय विनिर्माण को गति पकडऩा अभी बाकी है। कुछ भारतीय व वैश्विक कारोबारियों द्वारा ईवी सेल विनिर्माण संयंत्र लगाने की कवायद को अभी मूर्त रूप लेना बाकी है, क्योंकि स्थानीय बाजार मजबूत नहीं है। ईवी में बैटरियों की भूमिका अहम है। वाहन की कुल लागत में इनकी कीमत करीब 30 प्रतिशत होती है। बहरहाल इसे बनाने का प्राथमिक कच्चा माल, लीथियम ऑयन सेल अभी भी चीन और दक्षिण एशियाई देशों से बड़े पैमाने पर आयात होता है।
तमाम ईवी विनिर्माताओं के अनुमान के मुताबिक बैटरी सेल की औसत लागत घटकर 200 डॉलर प्रति किलोवाट घंटे रह गई है, जो तीन साल पहले 1,200 डॉलर प्रति किलोवाट घंटे थी। उदाहरण के लिए इलेक्ट्रिक कार महिंद्रा ई2ओ प्लस की बैटरी 16 किलोवाट प्रति घंटे की बैटरी अब पूरी तरह से चार्ज होने पर 120 किलोमीटर के करीब चलती है। बहरहाल कम दाम का पूरा लाभ मिलने में अभी वक्त लगेगा। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और बीएचईएल जैसे स्थानीय उद्यमी अभी बैटरी सेल विनिर्माण इकाई लगाने को लेकर इंतजार करने की रणनीति अपना रहे हैं।
हीरो मोटोकॉर्प समर्थित बेंगलूरु की स्मार्ट इलेक्ट्रिक स्कूटर विनिर्माण कंपनी अथर एनर्जी रे सह संस्थापक और सीईओ तरुण मेहता ने कहा, 'इस समय औसत लागत 200 डॉलर प्रति किलोवाट घंटे है और यह जल्द ही घटकर 150 डॉलर प्रति किलोवाट घंटे हो सकती है।' यह सकारात्मक विकास है, लेकिन बैटरी के दाम का भविष्य नकारात्मक नजर आता है क्योंकि इस समय सभी बैटरी सेल का बाहर से आयात होता है। 5 बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से दो (सैमसंग और पैनासोनिक) दक्षिण कोरिया के, दो (कंटेंप्रेरी एंपरेक्स टेक्नोलॉजी (सीएटीएल) और बीवाईडी कंपनी) चीन की और एक एलजी जापान के हैं।
इसके अलावा भारत के पास लीथियम का कोई भंडार नहीं है, जो लीथियम ऑयन बैटरी का प्रमुख घटक है और इस समय इस्तेमाल की जा रही बैटरियों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. लीथियम के साथ सेल मैन्युफैक्चरिंग या पैकेजिंग केमिकल्स की लागत 25-30 प्रतिशत होती है और शेष लागत मूल्यवर्धन की होती है। इलेक्ट्रिक से चलने वाली वाणिज्यिक तिपहिया बनाने वाली ईलर मोटर्स के संस्थापक और सीईओ सौरभ कुमार ने कहा, 'इस समय समस्या यह है कि सभी तैयार सेल का आयात बाहर से होता है. भारत में एक भी सेल आपूर्तिकर्ता नहीं है।'
ईवी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'महिंद्रा एक चीनी कंपनी से सेल खरीद रही है। विदेश में उसकी असेंबलिंग होती है और यहां पैक मॉड्यूल मिलता है। कंपनी यहां सिर्फ बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (बीएमएस) और थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम बना रही है।'
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