चीन छोडऩे वाली कंपनियों को आमंत्रित करेगा भारत | भाषा / वाशिंगटन October 20, 2019 | | | | |
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वह ऐसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खाका तैयार करेंगी जो चीन से आगे भारत को निवेश गंतव्य के रूप में देख रही हैं। उन्होंने कहा कि उद्योग जगत के ऐसे दिग्गज जो अपने कारोबार को चीन से बाहर ले जाना चाहते हैं, वे निश्चित रूप से भारत की ओर देख रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा, 'भारत के लिए जरूरी हो जाता है कि वह इन कंपनियों से मिले और उन्हें अपने यहां आमंत्रित करे।' अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में अपनी परिचर्चा के समापन पर भारतीय संवाददाताओं के समूह के साथ बातचीत में सीतारमण ने कहा, 'निश्चित रूप में मैं ऐसा करूंगी। मैं ऐसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की पहचान करूंगी, सभी अमेरिकी कंपनियों या किसी अन्य यूरोपीय देश की कंपनी या ब्रिटिश कंपनी जो चीन से निकलना चाहती है, मैं उनसे संपर्क करूंगी और भारत को निवेश के तरजीही गंतव्य के रूप में पेश करूंगी।' उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय सिर्फ अमेरिका और चीन के बीच जो चल रहा है सिर्फ उसी पर आधारित नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'इससे या तो स्थिति और खराब या किसी स्तर पर यह प्रभावित करेगा। लेकिन तथ्य यह है कि कंपनियों इसके अलावा भी कई और वजहों से अन्य स्थानों पर स्थानांतरित होना चाहती हैं।'
एक मामले से आईबीसी पर न उठाएं सवाल
सीतारमण ने कहा कि किसी एक मामले में अनिश्चितता से दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की दक्षता और क्षमता पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। सीतारमण से एक हालिया मामले के बारे में पूछा गया था जिसमें आईबीसी को लेकर कुछ खामियां उभरकर सामने आई थीं। उनकी यह टिप्पणी पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव (पीएमसी) बैंक में 4,355 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद आई है। यह ऋण घोटाला तब सामने आया जबकि रिजर्व बैंक ने पिछले महीने कुछ अनियमितताएं पकड़ी और बैंक पर अंकुश लगाए। सीतारमण ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हमें एक मामले को बढ़ाचढ़ाकर दिखाते हुए पूरे आईबीसी पर सवाल उठाना चाहिए।
अमेरिका से पूरी गति में चल रही कारोबारी बात
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता को लेकर पूरी गति से बातचीत चल रही है। उन्होंने जल्दी ही समझौता हो जाने की उम्मीद जाहिर की। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के मुख्यालय में सीतारमण की अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीवन म्यूचिन के साथ हुई मुलाकात में व्यापार सौदे को लेकर संक्षिप्त चर्चा हुई। म्यूचिन अगले महीने की शुरुआत में भारत की यात्रा करने वाले हैं। सीतारमण ने कहा कि वास्तव में मैंने वित्त मंत्री म्यूचिन के समक्ष इसका जिक्र किया, लेकिन इस मुद्दे पर भारत के वाणिज्य मंत्री और अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे जो जानकारी मिली है, वह यह कि वार्ता पूरी गति से चल रही है और उम्मीद है कि जल्दी ही समझौता हो जाएगा।'
क्रिप्टोकरेंसी पर सतर्कता बरत रहे तमाम देश
सीतारमण ने कहा कि कई देशों ने क्रिप्टोकरेंसी अपनाने को लेकर चेतावनी दी है। सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की बैठक में फेसबुक की प्रस्तावित क्रिप्टोकरेंसी लिब्रा को लेकर चली चर्चा के बीच यह टिप्पणी की। उनसे पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी इस पर अपनी राय रखी। सीतारमण ने कहा, 'हमारी ओर से रिजर्व बैंक के गवर्नर इस बारे में बोल चुके हैं। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि कई सारे देश क्रिप्टोकरेंसी अपनाने को लेकर सतर्क हैं।'
बहुपक्षीय सहयोग मजबूत करने की जरूरत
सीतारमण ने कहा कि मौजूदा वैश्विक आर्थिक जोखिमों और असंतुलन से निपटने में सरकारों की अपनी अपनी पहलों के अलावा बहुपक्षीय स्तर पर सहयोग की आवश्यकता बढ़ गई है। सीतारमण ने कहा कि देश अपने स्तर पर नपे-तुले और संतुलित राजकोषीय तथा मौद्रिक उपायों और बुनियादी सुधारों को लागू करें तो उन्हें अपनी संभावनाओं के अनुरूप आर्थिक वृद्धि हासिल करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था विकसित होनी चाहिए जिससे वैश्विक पूंजी के प्रवाह के बदलावों से अर्थव्यवस्थाओं के लिए खतरों का आकलन हो और कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की रक्षा के लिए मजबूत निगरानी तंत्र विकसित किए जाएं।
|