टाटा संस को 95 फीसदी लाभांश टीसीएस से | कृष्णकांत / मुंबई October 18, 2019 | | | | |
टाटा समूह की होल्डिंग एवं प्रवर्तक कंपनी टाटा संस समूह की अन्य कंपनियों के निवेश एवं वृद्धि के वित्तपोषण के लिए टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टीसीएस) पर लगातार निर्भर दिख रही है। वित्त वर्ष 2019 में टाटा संस को सूचीबद्ध कंपनियों से प्राप्त कुल लाभांश में टीसीएस का योगदान 95 फीसदी रहा। हालांकि यह एक साल पहले के मुकाबले लगभग बराबर है लेकिन पांच साल पहले के मुकाबले इसमें वृद्धि दिखती है। वित्त वर्ष 2014 में टीसीएस ने समूह की अन्य कंपनियों से प्राप्त कुल लाभांश में 85 फीसदी योगदान किया था। टीसीएस में टाटा संस की 72 फीसदी हिस्सेदारी है।
होल्डिंग कंपनी को पिछले वित्त वर्ष के दौरान टीसीएस से लाभांश और शेयर पुनर्खरीद के रूप में करीब 19,600 करोड़ रुपये की आय हुई जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह आंकड़ा करीब 18,600 करोड़ रुपये रहा था। समूह की अन्य सूचीबद्ध कंपनियों ने वित्त वर्ष 2018 में टाटा संस को कुल मिलाकर 1,010 करोड़ रुपये का इक्विटी लाभांश दिया जो एक साल पहले के 901 करोड़ रुपये के मुकाबले अधिक है। यह विश्लेषण वित्त वर्ष के अंत में लाभांश भुगतान और वित्त वर्ष 2005 के बाद समूह की विभिन्न कंपनियों में टाटा संस की शेयर हिस्सेदारी के विश्लेषण पर आधारित है। विश्लेषकों का कहना है कि टीसीएस समेकित आधार पर लगातार टाटा संस और समूह की वित्तीय सेहत की धुरी बनी हुई है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, 'टीसीएस और टाइटन कंपनी (पूर्व में टाइटरन इंडस्ट्रीज) को छोड़कर समूह की अधिकतर कंपनियों को 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद वित्तीय और परिचालन के मोर्चे पर संघर्ष करना पड़ा है। टाटा संस ने टीसीएस से प्राप्त अपने हिस्से के लाभांश का इस्तेमाल समूह की अन्य कंपनियों को इक्विटी सहायता देने में किया है। इसके अलावा उसने अपने कारोबार को विविध बनाते हुए नए क्षेत्रों में दस्तक दी है।'
इसकी झलक आंकड़ों में भी मिलती है। टाटा संस की बहीखाते में वृद्धि और गैरसूचीबद्ध सहायक इकाइयों एवं संयुक्त उद्यमों सहित समूह की अन्य कंपनियों में उसके इक्विटी निवेश में वृद्धि हुई है। इसमें मुख्य तौर पर टीसीएस से प्राप्त लाभांश आय का इस्तेमाल किया गया। उदाहरण के लिए, पिछले पांच वर्षों के दौरान टाटा संस ने समूह की कंपनियों में करीब 30,000 करोड़ रुपये का वृद्धिशील इक्विटी निवेश किया है। समूह की इन कंपनियों में गैरसूचीबद्ध वेंचरों के अलावा दूरसंचार, प्रसारण, खुदरा, आवास एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं।
होल्डिंग कंपनी ने पिछले साल जून में अपनी दूरसंचार कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज के 50,000 करोड़ रुपये के बकाये ऋण का भी भुगतान किया। पिछले पांच वर्षों के दौरान टाटा संस को शेयर पुनर्खरीद एवं इक्विटी लाभांश से कुल करीब 62,500 रुपये की आय हुई। समान अवधि में टाटा संस की उधारी बढ़कर करीब 14,500 करोड़ रुपये हो गई थी। इसके मुकाबले समूह की अन्य सूचीबद्ध कंपनियों होल्डिंग कंपनी को महज 3,800 करोड़ रुपये का लाभांश दिया। कुल मिलाकर टीसीएस ने 2004 में सूचीबद्ध होने के बाद टाटा संस को लाभांश एवं शेयर पुनर्खरीद के रूप में अब तक करीब 83,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। यह समान अवधि में टाटा संस को प्राप्त कुल लाभांश का करीब 90 फीसदी है।
विश्लेषकों का कहना है कि टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा पावर एवं टाटा केमिकल्स जैसी बड़ी कंपनियों से कोई आय न होने के बावजूद टीसीएस से अच्छी कमाई होने से टाटा संस एवं समूह को निवेश की रफ्तार बरकरार रखने में मदद मिलती है। उदाहरण के लिए, राजस्व एवं परिसंपत्ति के लिहाज से टाटा समूह की सबसे बड़ी कंपनी टाटा मोटर्स ने लगातार तीसरे साल लाभांश नहीं दिया है। जहां तक समूह की अन्य कंपनियों का सवाल है तो 2008 के आर्थिक संकट के बाद उनके लाभांश भुगतान में मामूली वृद्धि अथवा स्थिरता दिखी है।
पिछले 10 वर्षों के दौरान टाटा स्टील के लाभांश भुगतान में सालाना महज 3.8 फीसदी की चक्रवृद्धि दर से बढ़ोतरी हुई है। टाटा संस को पिछले वित्त वर्ष के दौरान टाटा स्टील से करीब 495 करोड़ रुपये की लाभांश आय हुई जो वित्त वर्ष 2009 में 342 करोड़ रुपये रही थी। पिछले पांच वर्षों के दौरान टाटा पावर और टाटा केमिकल्स से प्राप्त लाभांश आय लगभग स्थिर रही है। टाइटन लाभांश भुगतान में दो अंकों की वृद्धि को बरकरार रखते हुए पिछले वित्त वर्ष के दौरान 444 करोड़ रुपये का भुगतान किया। हालांकि समूह के स्तर पर देखा जाय तो यह आंकड़ा काफी छोटा है। टाटा संस ने राइट्स इश्यू अथवा तरजीही शेयर आवंटन के जरिये टीसीएस से प्राप्त लाभांश का इस्तेमाल टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा पावर और इंडियन होटल्स के बहीखाते को दुरुस्त करने में किया गया।
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