पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुंबई में गुरुवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार को प्रत्येक आर्थिक संकट का दोष संप्रग पर मढऩा बंद करना चाहिए क्योंकि उन्हें उनके समाधान के लिए पांच साल का पर्याप्त समय मिल चुका है। हालांकि सिंह ने यह स्वीकार किया कि उनके कार्यकाल में कुछ 'कमजोरियां' रहीं। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उनसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अमेरिका में की गई टिप्पणी के बारे में सवाल पूछा गया था। सीतारमण ने कहा था कि सिंह और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के कार्यकालों में बैंकिंग क्षेत्र सबसे बुरे दौर से गुजरा। सिंह ने कहा कि राजग सरकार को संप्रग की 'गलतियों' से सीखना चाहिए था और 'ठोस समाधान' मुहैया कराने चाहिए थे। सिंह ने कहा कि अगर राजग सरकार ने गलतियों से सीख ली होती तो घोटाले का आरोपी सराफ नीरव मोदी और अन्य ऋण डिफॉल्टर जनता का धन लेकर नहीं भाग पाते और बैंकों की हालत 'बद से बदतर' नहीं होती। सिंह ने महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले पांच साल में राज्य में सबसे ज्यादा कारखाने बंद हुए हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कारोबारी धारणा कमजोर हुई है और इस वजह से लगातार कारखाने बंद हो रहे हैं। उन्होंने मुद्रास्फीति के मामले में केंद्र को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि मुद्रास्फीति को दबाए रखने की सनक के चलते आज किसान परेशान हैं। सरकार की आयात-निर्यात नीति ऐसी है जिससे समस्याएं खड़ी हो रही हैं। सिंह ने वर्ष 2004 से 2014 के बीच प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में बात करते हुए कहा, 'हमारी सरकार में कुछ कमियां रहीं। लेकिन इस सरकार को हमारी गलतियों से सीखना चाहिए था और उन समस्याओं के ठोस समाधान मुहैया कराने चाहिए थे।' उन्होंने कहा, 'अर्थव्यवस्था को सेहतमंद बनाने से पहले इसकी बीमारियों की सही जांच होना जरूरी है। सरकार अर्थव्यवस्था को उबारने के समाधान ढूंढने में नाकाम रहने पर विरोधियों पर दोष डालने की कोशिश कर रही है।'
