देश की सबसे बड़ी फिनटेक फर्म पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा के पास बड़ी योजनाएं हैं। अगले दो साल में लाभ में आने के लिए उनकी नजर 50,000 करोड़ डॉलर के सकल लेनदेन पर है और इस तरह से शर्मा संभावित आईपीओ का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। करण चौधरी को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कई मसलों पर विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश... अपने भारतीय निवेश को सॉफ्टबैंक समूह कैसे देख रहा है। क्या आपको लगता है कि वीवर्क की नाकामी के बाद चीजें बदली है?पहली बात यह है कि सॉफ्टबैंक एक समूह है। एक ओर जहां सॉफ्टबैंक कॉरपोरेशन और सॉफ्टबैंक समूह जापान में है, वहीं सॉफ्टबैंक विजन फंड लंदन में है। ऐसे में इन दिनों जिस निवेश की बात हो रही है वह विजन फंड का है। फंड की रणनीति यह है कि उसे स्पष्ट रूप से रिटर्न चाहिए होता है। सॉफ्टबैंक ग्रुप और कॉर्प का निवेश मासा (मासायोशी के बेटे) के दांव से संबंधित होता है। मेरा मानना है कि न्यू यॉर्क में वीवर्क में जो हुआ वह उद्योग में निवेशकों, बोर्ड सदस्यों से लेकर उद्यमियों तक के लिए सबक है। हमें याद रखना चाहिए कि किसी भी चीज की असीमित आपूर्ति नहीं होती। यह सबक किसी अन्य की कीमत पर सीखी जाती है। मुझे भरोसा है कि सॉफ्टबैंक विजन फंड अच्छी पोर्टफोलियो वाली कंपनी खोज लेगा। हमें लगता है कि पेटीएम, ओयो व कई अन्य उसके लिए अहम हैं, ऐसे में कुल पोर्टफोलियो के आधार पर हमें भरोसा है कि वे निश्चित तौर पर अच्छा रिटर्न हासिल करेंगे। पेमेंट बैंक को लेकर काफी प्रचार हुआ है, लेकिन अब यह कमजोर पड़ता दिख रहा है। पेटीएम पेमेंट बैंक कैसे काम कर रहा है?हमने देश में एकमात्र लाभकारी पेमेंट बैंक कारोबार बनाया है। महज ढाई साल में हमारे पास 5 करोड़ से ज्यादा खाते खुले और हमें ग्राहकों के अधिग्रहण की इजाजत नहीं मिली। इसमें दो लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ और हमारे पास ग्राहकों की 2,500 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम जमा है। हमारे यहां 40 फीसदी से ज्यादा खाते सक्रिय हैं। कारोबारी मॉडल के तौर पर पेमेंट बैंक व्यावहारिक है, लेकिन पेमेंट बैंक के लिए स्मॉल फाइनैंस बनने का मतलब बनता है, जिसके लिए आरबीआई ने संपर्क की प्रक्रिया शुरू की है। हमें प्रसन्नता है कि नियामक ने इस बारे में सोचा। यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। यह पेमेंट बैंक के राजस्व मॉडल को और सहारा देगा। ऐसी खबरें थी कि पेटीएम, येस बैंक का अधिग्रहण करने की योजना बना रही है। क्या इस पर कोई बातचीत हुई है?इस मामले में हमने कभी किसी प्रवर्तक या बैंकर से मुलाकात नहीं की है। हमारे पास बैंक है और हम उसके साथ आगे बढ़कर खुश हैं। मैं खुद के बैंक को विश्व स्तर का संगठन बनाने को प्राथमिकता दूंगा। हमें कहीं और इक्विटी खरीदने की दरकार नहीं है। क्या पेटीएम ने पहली कंपनी को मिलने वाला फायदा गंवा दिया है या क्या आपको लगता है कि यह अभी भी पेमेंट के क्षेत्र में अग्रणी है?पेटीएम का मुख्य कारोबार पेमेंट गेटवे है, वहीं बैंकों का कारोबार बैंक खाता, यूपीआई और वॉलेट है। हमारा पेमेंट गेटवे ऑनलाइन, ऑफलाइन में बाजार का अग्रणी है। हमारे पास बहुलांश बाजार हिस्सेदारी है। लोग व्यक्ति से व्यक्ति के बीच रकम हस्तांतरण पर बात कर रहे हैं, जिसके बारे में हमारा मानना है कि यह रकम हस्तांतरण का कारोबार है और हमारे बैंक यह कारोबार कर रहे हैं। हमारी कंपनी देश में पहले नंबर की रकम हस्तांतरण कंपनी है। आपके प्रतिस्पर्धी गूगल व फोनपे का दावा है कि वे ज्यादातर यूपीआई हस्तांतरण को अंजाम दे रही हैं। क्या आप उनसे पिछड़ गए हैं?जब हम बैंक कारोबार पर नजर डाल रहे थे तो हमने पाया कि हमारे बैंक खाते अन्य ऐप से भी जुड़े हैं। हमने पाया कि एक तय रकम के काफी लेनदेन एक दिन में एक तरह के लोगों के बीच हो रहे थे। दूसरों के साथ हम भी रकम हस्तांतरण पर ग्राहकों को प्रोत्साहन दे रहे थे। लेकिन कुछ वजहों से अब हमने व्यक्ति से व्यक्ति के बीच रकम हस्तांतरण पर कैशबैक नहीं देने का ऐलान किया, पर अभी भी कारोबार में ठीक-ठाक बढ़ोतरी हो रही है। आप कब लाभ में आएंगे और आईपीओ पेश करेंगे?इस साल हम 100 अरब डॉलर का सकल लेनदेन और 35 अरब डॉलर का सकल मर्केंडाइज वैल्यू का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। हमारा जीएमवी अगले साल 70 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा और दो साल में सकल लेनदेन की कीमत 50,000 करोड़ डॉलर को छू जाएगा। पिछले साल हमारा सकल नुकसान 4,000 करोड़ रुपये था, जो इस साल 3,000 करोड़ रुपये रह जाएगा और अगले साल 1,500 करोड़ रुपये पर आ जाएगा। उसके बाद हम घाटा पूरी तरह समाप्त कर देंगे, ऐसे में अगले दो साल में हम समूह के स्तर पर लाभ में आ जाएंगे। लाभ में आने के बाद हम आईपीओ पर विचार करेंगे।
