एनबीएफसी को नकदी मुहैया कराने के लिए रिजर्व बैंक नहीं उठाएगा कदम | निधि राय / मुंबई October 09, 2019 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने स्पष्टï कर दिया है कि वह गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए किसी भी विशेष तरलता सुविधा पर विचार नहीं कर रहा है। शोधकर्ताओं और विश्लेषकों के साथ टेलीकॉन्फ्रेंस में रिजर्व बैंक के उप गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने कहा, 'रिजर्व बैंक का कहना है कि व्यवस्था में पर्याप्त तरलता मौजद है और यह कर्जदाताओं को विचार करना है कि वह किसे कर्ज दें और मैं नहीं समझता कि फिलहाल हम एनबीएफसी के लिए किसी तरलता सुविधा पर विचार करने जा रहे हैं।'
वह इस प्रश्न पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि वित्तीय बाजार में एएए रैंकिंग से नीचे वाले संस्थानों को कर्ज देने को लेकर विश्वास की भारी कमी है और ऐसे संस्थानों द्वारा तरलता का संकट झेलने से वित्तीय प्रणाली पर और अधिक दबाव बढ़ सकता है, मौद्रिक संचरण बाधित हो सकती है और वृद्घि पर असर पड़ सकता है। एनबीएफसी संकट की शुरुआत पिछले वर्ष इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आईएलऐंडएफएस) की ओर से अपना ऋण चुकाने में चूक करने से हुई थी। आईएलऐंडएफएस के संकट में घिरने से दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड (डीएचएफएल) जिसने जुलाई में चूक किया और रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (आरकैप) जैसी दूसरी बड़ी एनबीएफसी प्रभावित हुईं। चूककर्ताओं की इस सूची में अंतिम नाम अल्टिको कैपिटल का जुड़ा जिसने सितंबर में चूक किया।
इस साल मई में रिजर्व बैंक एनबीएफसी और प्रमुख निवेश कंपनियों (सीआईसी) के लिए तरलता जोखिम प्रबंधन प्रणाली पर मसौदा दिशानिर्देश लेकर आया था। रिजर्व बैंक अभी भी इससे संबंधित साझेदारों से परामर्श कर रहा है और इस दिशा में वह आगे की कार्रवाई के साथ सामने आएगा। बैंकों या एनबीएफसी के सालाना समीक्षा प्रक्रिया में कुछ बदलाव करने के रिजर्व बैंक की योजना से जुड़े प्रश्न और क्या ये बदलाव वित्त वर्ष 2019 की जारी सालाना समीक्षा को प्रभावित करेंगे के जवाब में रिजर्व बैंक के उप गवर्नर एम के जैन ने कहा, 'रिजर्व बैंक ने अपने नियामकीय और निगरानी ढांचे को दुरुस्त करने का निर्णय लिया है और एक विशिष्टï कैडर तैयार कर रहा है। संस्थान से बाहर निगरानी के साथ साथ विश्लेषण खंड को भी मजबूत किया जा रहा है और एनबीएफसी की निगरानी के लिए भी हमने सभी प्रमुख स्तंभों- स्थान पर निगरानी, स्थान से बाहर निगरानी, बाजार खुफिया और कानूनी ऑडिटर के नजरिये को मजबूत किया जा रहा है।'
देश में वित्तीय प्रणाली के स्थायित्व को सुनिश्चित करने के लिए रिजर्व बैंक की ओर से उठाए जा रहे कदमों और रिजर्व बैंक कुछ आवास वित्त कंपनियों की ऋण चुकाने की क्षमता को किस तरह से देखता है, के बारे में पूछे जाने पर जैन ने स्पष्टï किया, 'रिजर्व बैंक वित्तीय प्रणालियों की घरेलू और बाहरी कारणों से उभरे झटकों को सहन करने की क्षमता का समय समय पर मूल्यांकन करता है और जोखिम से उबरने की उनकी क्षमता में इजाफा करने के लिए बचाव के कदम उठाता है। बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के बीच अंतरसंबद्घता होने से उभरे जोखिमों को भी मूल्यांकन में शामिल किया जाता है।'
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