जीएसटी : केंद्र की कमाई बढ़ी, राज्यों की घटी | अभिषेक वाघमारे / नई दिल्ली October 09, 2019 | | | | |
चालू वित्त वर्ष में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत कर संग्रह की अनोखी स्थिति दिख रही है। कुल मिलाकर मासिक कर संग्रह पर आर्थिक मंदी का असर मामूली है। पहली छमाही में राष्ट्रीय संग्रह 5 प्रतिशत बढ़ा है। लेकिन जीएसटी संघीय कर संग्रह है। इसका संग्रह केंद्र व राज्य दोनों सरकारें करती हैं। उसके बाद इसका दोनों के बीच वितरण होता है। जीएसटी में केंद्र का हिस्सा केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) और राज्यों का हिस्सा राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी) साथ-साथ बराबर बढ़ता है। लेकिन इस साल अब तक ऐसी स्थिति नजर नहीं आ रही है।
वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 5 महीने के दौरान सीजीएसटी संग्रह 13 प्रतिशत बढ़ा है, जो राष्ट्रीय जीएसटी संग्रह के औसत से ज्यादा है। वहीं दूसरी तरफ 7 राज्यों का एसजीएसटी संग्रह (जिनके आंकड़े तुलनात्मक रूप से उपलब्ध हैं) इसी अवधि के दौरान 5 प्रतिशत कम हुआ है। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020 में वित्त वर्ष 2019 की तुलना में सीजीएसटी में 15 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था, जबकि अब तक 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। ऐसा तब हो रहा है, जब अर्थव्यवस्था की सामान्य वृद्धि दर बमुश्किल 8 प्रतिशत पहुंच रही है।
वहीं नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनंतिम मासिक खातों से पता चलता है कि इस दौरान खासकर तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में जीएसटी संग्रह सुस्त रहा है। वहीं आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और कर्नाटक में पहले के साल की तुलना में एसजीएसटी संग्रह में मामूली बढ़ोतरी हुई है। उल्लेखनीय है कि कुछ राज्यों ने सीजीएसटी का हिस्सा भी इन आंकड़ों में डाल दिया है (इस मामले में राज्यों के बीच कोई एकरूपता नहीं है)। केंद्र सरकार ने फिलहाल कर संग्रह बेहतर कर लिया है, जिसमें मजबूत वृद्धि दर नजर आ रही है। लेकिन कैसे?
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ऐसा एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) के सीजीएसटी में ज्यादा हस्तांतरण और एसजीएसटी में कम हस्तांतरण से हुआ है। अधिकारी ने कहा, 'सीजीएटी के एवज में आईजीएसटी समायोजन पिछले साल कम था और चालू साल में यह संतुलित हो गया है।' यह आंकड़े लेखा महानियंत्रक (सीजीए) द्वारा तैयार की गई सीजीएसटी खाते (सरकार कैश अकाउंटिंग का पालन करती है) में मासिक प्राप्तियों से मिलते हैं। जहां औसत मासिक प्राप्तियां करीब 35,000 करोड़ रुपये रही हैं, जुलाई में इसमें गिरावट आई है और यह 24,000 करोड़ रुपये रहा। लेकिन अगस्त महीने में इसमें भारी उछाल आया और यह 68,500 करोड़ रुपये हो गया। यह अतिरिक्त धन आईजीएसटी से केंद्र के जीएसटी राजस्व में बढ़े हस्तांतरण से आया है।
इसे अस्वाभाविक बताते हुए विशेषज्ञों ने कहा कि इस बढ़े हुए आईजीएसटी हस्तांतरण से केंद्र के जीएसटी राजस्व में भारी वृद्धि नजर आ रही है। नैशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनैंस ऐंड पॉलिसी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर आर कविता रॉव ने कहा, 'यह एकमुश्त समायोजन है, या केंद्र को आईजीएसटी हस्तांतरण राज्यों की तुलना में ज्यादा होता रहेगा, यह केंद्र के राजकोषीय संतुलन के लिहाज से अहम है।' रॉव जीएसटी पर 2013 में हुए अध्ययन के लेखकों में से एक हैं, जिसका गठन राज्य के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने किया था।
अगर यह देखा जाए कि किस राज्य के एसजीएसटी में कमी आई है, इससे भी मोटे तौर पर पता चलता है कि पिछले साल के समायोजन में अतिरिक्त आईजीएसटी कहां गया था। जहां तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राजस्व में कमी आई है, वहीं कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात और हरियाणा में मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे यह लगता है कि राजस्व संग्रह में कमी दर्ज करने वाले तीन राज्यों को पिछले साल आईजीएसटी का ज्यादा हिस्सा मिला था। इसके अलावा यह भी संभव है कि बढ़े हुुए हस्तांतरण का कुछ हिस्सा वित्त वर्ष की शुरुआत में हुआ है, जैसा कि अप्रैल से जून तक के आंकड़ों में नजर आता है। वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही में जहां सीजीएसटी में 28 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है, वहीं एसजीएसटी में 5 प्रतिशत की कमी आई है। जीएसटी कानून के तहत आईजीएसटी संग्रह आयात और एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर होता है। कारोबारियों को मिलने वाले आईजीएसटी क्रेडिक का इस्तेमाल उनके द्वारा सीजीएसटी या एसजीएसटी देनदारियों के समायोजन में होता है। उसके बाद आईजीएसटी को या तो सीजीएसटी या एसजीएसटी में या दोनों में स्थानांतरित कर दिया जाता है। यह इस पर निर्भर होता है कि क्रेडिट का इस्तेमाल कहां किया गया था।
अधिकारियों का कहना है कि आईजीएसटी के स्थानांतरण में कुछ अपरिभाषित क्षेत्र भी है। पहले के हस्तांतरण में स्पष्टता है, जिसकी वजह से आईजीएसटी के लाभार्थी के बारे में बेहतर निर्णय हो रहा है और इसकी वजह से सीजीएसटी में ज्यादा हस्तांतरण हो रहा है।
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