स्टॉक के जमावड़े से नीलामी के बाद प्रभावित होगा उत्पादन! | जयजित दास / भुवनेश्वर October 08, 2019 | | | | |
खदानों के मुहानों पर जमा लौह अयस्क के बड़े स्टॉक से उन नए खनिकों की राह में अड़चन आने वाली है जो नीलामी के बाद ये खदानें हासिल करेंगे। इन खदानों की पट्टा अवधि 31 मार्च, 2020 तक समाप्त होने वाली है। देश की सभी खदानों में लौह अयस्क का जखीरा बढ़कर 16.3 करोड़ टन हो गया है। ओडिशा और झारखंड ने संयुक्त रूप से 13.7 करोड़ टन अयस्क जमा किया है। इस जखीरे में 62 प्रतिशत तक लौह तत्त्व वाले निचले दर्जे के चूरे की अधिकता है जिसे घरेलू बाजार में कोई लेने वाला नहीं है। राष्ट्रव्यापी स्तर पर 329 खनन पट्टों की अवधि मार्च 2020 तक समाप्त हो रही है लेकिन अब केवल 48 खदानें ही क्रियाशील हैं जिनमें से 24 खदान ओडिशा में हैं।
फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (फिमी) को लगता है कि जब तक इस अटके हुए स्टॉक की बिक्री नहीं होती, तब तक उनके सामने खनन परिचालन शुरू करने और संभावित बोली लगाने वालों द्वारा व्यावहारिक रूप से खनन में बड़ी बाधा बनी रहेगी। फिमी के अध्यक्ष सुनील दुग्गल ने संगठन की हालिया सालाना आम बैठक में कहा था कि भावी बोलीदाता अपने लिए बोली नहीं लगा पाएंगे क्योंकि न तो कोई घरेलू खरीदार होगा और न ही अधिक निर्यात शुल्क के कारण निर्यात संभव होगा। इस तथ्य के अलावा खदानों के मुहानों पर उपलब्ध सीमित स्थान खदानों की पूरी क्षमता का उपयोग करने की राह में आड़े आएगा और उत्पादन सीमित कर देगा।
फिमी का मानना है लौह अयस्क के इस जमावड़े की बिक्री के लिए एकमात्रा रास्ता निर्यात ही है। और इस निचले दर्जे वाले चूरे का निर्यात संभव करने के लिए यह तर्क दिया गया है कि भारत सरकार को 62 प्रतिशत लौह तत्त्व वाले अयस्क पर 30 प्रतिशत शुल्क माफ करना चाहिए ताकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारतीय अयस्क को प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। लौह अयस्क के इस जमावड़े और आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके खतरनाक प्रभाव को लेकर व्यापारी खनिक अनिश्चित स्थिति में हैं। संशोधित खान एवं खनिज विकास और विनियमन (एमएमडीआर) अधिनियम 2015 के प्रावधानों के अनुसार पट्टेदार पट्टा वैधता समाप्त होने के छह महीने के अंदर अपने अयस्क का स्टॉक हटा सकते हैं।
एक खनिक ने कहा कि पट्टा अवधि खत्म होने के छह महीने के अंतराल में लौह अयस्क का पूरा जमावड़ा हटाना संभव नहीं है और अगर अयस्क की इस समय-सीमा में बिक्री नहीं होती है तो सरकार इस सामग्री को जब्त और नीलाम कर सकती है। इसलिए हमने सरकार से आग्रह किया है कि हमें अयस्क की आपूर्ति करने के लिए उसी प्रकार भंडारण की अनुमति दी जाए जैसे उपयोगकर्ता उद्योगों की आपूर्ति में उपलब्ध होती है। इस साल 24 जुलाई को ओडिशा के इस्पात और खदान विभाग ने मध्यवर्ती स्टॉकयार्ड में लौह अयस्क का भंडारण करने के लिए लाइसेंस प्रदान करने किए जाने के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना में कहा गया है कि इस स्टॉकयार्ड का उपयोग लाइसेंसधारी द्वारा राज्य के भीतर निजी उपभोग वाले लौह अयस्क के भंडारण के लिए ही किया जाएगा और व्यापारिक उद्देश्य या राज्य के बाहर निर्यात के लिए नहीं भेजा जाएगा। लाइसेंसधारी को कानून द्वारा आवश्यक सभी अपेक्षित मंजूरी और अनुमोदन लेना होगा और उसे बनाए रखाना होगा।
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