पूंजीकरण वाली अग्रणी फर्मों की सूची से पीएसयू बाहर | दीपक कोरगांवकर और पुनीत वाधवा / मुंबई/नई दिल्ली October 07, 2019 | | | | |
कैलेंडर वर्ष 2019 में सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के शेयरों में एक्सचेंज पर तेज गिरावट से सरकारी उपक्रम बाजार पूंजीकरण के मामले में 10 अग्रणी कंपनियों की सूची से बाहर हो गई है। परिसंपत्ति के लिहाज से देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक और इस सूची में शामिल रहा इकलौता शेयर पिछले हफ्ते बाहर हो गया। बैंक का बाजार पूंजीकरण बजाज फाइनैंस से पीछे चला गया। रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एचडीएफसी, इन्फोसिस, आईटीसी, कोटक महिंद्रा बैंक और आईसीआईसीआई बैंक अब सबसे ज्यादा बाजार पूंजीकरण के साथ 10 अग्रणी कंपनियों की सूची में शामिल हैं। कैलेंडर वर्ष 2019 की शुरुआत से अब तक एसऐंडपी बीएसई पीएसयू इंडेक्स करीब 9.5 फीसदी टूटा है, वहीं इस अवधि में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स करीब 4 फीसदी चढ़ा है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, इनमें से काफी पीएसयू मिडकैप व स्मॉलकैप क्षेत्र में हैं, जिस पर कैलेंडर वर्ष 2019 में मार पड़ी है। इसके अलावा हिस्सेदारी बिक्री का प्रस्ताव और परिचालन के मोर्चे पर प्रदर्शन का भी धारणा पर असर पड़ा है। जनवरी 2008 में जब एसऐंडपी बीएसई पीएसयू इंडेक्स सर्वोच्च स्तर पर था तब पांच पीएसयू शेयर एसबीआई, ओएनजीसी, एनटीपीसी, एनएमडीसी और एमएमटीसी बाजार पूंजीकरण के लिहाज से 10 अग्रणी कंपनियों की सूची में शामिल थी। अभी ओएनजीसी 17वें स्थान पर है, एनटीपीसी 25वें, एनएमीडीसी 85वें, वहीं एमएमटीसी 419वें स्थान पर फिसल गई है। यह जानकारी आंकड़ों से मिली। एसऐंडपी बीएसई पीएसयू इंडेक्स शुक्रवार को 6,544 अंक पर बंद हुआ और 4 जनवरी 2008 के 11,093 के सर्वोच्च स्तर से करीब 41 फीसदी नीचे आया है। इसकी तुलना में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स इस अवधि में 82 फीसदी उछलकर 10,686 से 37,673 अंक पर पहुंच गया।
विनिवेश
सरकार अब चुनिंदा पीएसयू की हिस्सेदारी के विनिवेश पर विचार कर रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पेट्रोलियम, शिपिंग कॉरपोरेशन और कंटेनर कॉरपोरेशन के विनिवेश को मंजूरी दी जा चुकी है। पिछलो दो वर्षों में सरकार को विनिवेश से मिलने वाली रकम 80,000 करोड़ रुपये से लेकर एक लाख करोड़ रुपये सालाना के दायरे में रही है। विश्लेषकोंं ने कहा कि पीएसयू के निजीकरण से सुधार के एजेंडे को मजबूती मिल सकती है और ये चीजें इन शेयरों की दोबारा रेटिंग के लिए अहम हो सकती है।
यूबीएस के भारतीय शोध प्रमुख गौतम छाओछरिया ने डी. साहा के साथ एक रिपोर्ट में कहा है, एनएसई पीएसई इंडेक्स निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। हालांकि भारतीय कंपनियों की आय की रफ्तार सामान्य तौर पर कमजोर रही है, लेकिन सरकारी उपक्रमों के मामले में यह और कमजोर रही है। चूंकि क्षेत्र सिकुड़े मूल्यांकन पर कारोबार कर रहा है, ऐसे में हमारा मानना है कि निजीकरण की खबर से संभावित तौर पर कुल परिसंपत्ति वर्ग की दोबारा रेटिंग हो सकती है। दूसरी ओर चोकालिंगम का नजरिया पीएसयू शेयरोंं को लेकर तेजी का है, खास तौर से अच्छी खासी नकदी वाली कंपनियों के मामले में। उन्होंने कहा, राजकोषीय अवरोध को देखते हुए सरकार उनसे इस वित्त वर्ष में ज्यादा लाभांश देने के लिए कह सकती है। ऐसे में ये कंपनियां निवेशकों के लिए अच्छा लाभांश देने वाली कंपनी बन जाएगी।
|