एस एस मल्लिकार्जुन राव ने 3 अक्टूबर को पंजाब नैशनल बैंक की कमान संभाल ली। राव इससे पहले इलाहाबाद बैंक के एमडी व सीईओ थे। करीब पांच महीने बाद पीएनबी के साथ ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय हो रहा है। सोमेश झा ने उनसे विलय की रूपरेखा और कॉर्पोरेट कर में कमी से होने वाले असर जैसे विभिन्न पहलुओं पर बात की। पेश हैं मुख्य अंश :
कॉर्पोरेट कर में कटौती से बैंकों को किस तरह लाभ मिलेगा?
बैंकों को इससे कोई फायदा नहीं होगा। इसके उलट सरकार की इस पहल से डेफर्ड टैक्स ऐसेट्स (डीटीए) पर असर होगा। हम इस मुद्दे पर कर सलाहकारों की राय लेंगे और देखेंगे कि चीजें किस तरह प्रभावित होती हैं। इतना तो तय है कि कॉर्पोरेट कर में कमी से बैंकों को कोई लाभ नहीं होने जा रहा है। वैसे, चालू वित्त वर्ष में कर की गणनना के लिहाज से लाभ हो सकता है। कुल मिलाकर यह कर विशेषज्ञों से राय लेने का विषय है।
इसकी जरूरत क्यों है?
दो संभावनाएं दिख रही हैं। पहली बात तो यह कि अगर आप मौजूदा कर संरचना लागू करते हैं तो चालू वर्ष में देनदारी घटेगी, लेकिन डीटीए के लिहाज से कुछ उलझन पैदा होगी। दूसरा तरीका यह होगा कि नई कर संरचना लागू करने में विलंब किया जाए। यह तब होगा जब बैंकों के पास यह विकल्प होगा। हम इस विषय पर कानूनी सलाह ले रहे हैं।
आरबीआई बैंकों पर रीपो दरों में कटौती का लाभ आगे बढ़ाने का दबाव डाल रहा है, लेकिन बैंकों का मानना है कि जमा दरें रीपो दर से नहीं जुड़ी होने से उनके बहीखाते पर असर हो सकता है।
बिल्कुल, बहीखाते पर असर होगा। दिक्कत यह है कि जब आप बहीखाते के एक तरफ ब्याज दर घटाते हैं और रीपो रेट भी कम होती है तो बहीखाते पर इसका तत्काल असर होता है। एक विकल्प यह हो सकता है कि रीपो दर चालू खाते एवं बचत खाता जमाओं पर लागू किया जाए, लेकिन इसकी भी एक सीमा है क्योंकि कासा पर इसका असर पडऩे की आशंका हमेशा रहेगी। सावधि जमा खातों को रीपो दर जैसी परिवर्तनशील दरों से नहीं जोड़ा जा सकता। इसकी वजह यह है कि अनुबंध के दौरान ब्याज दरें नहीं बदलनी चाहिए। इसके निपटने का तरीका यह है कि आरबीआई को परिवर्तनशील दरों वाली जमा योजना की अनुमति देनी चाहिए और बैंकरों ने आरबीआई गवर्नर के साथ बैठक में इसका जिक्र भी किया है। रीपो दर के अलावा कोई बाहरी मानक दर है तो हम मुंबई इंटरबैंक ऑफर रेट आजमा सकते हैं। जी-सेक और ट्रेजरी दरों जैसी दूसरी मानक दरें भी हैं।
पीएनबी के साथ ओसीबी और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के विलय के बाद नई इकाई की संरचना किस तरह होगी?
विलय प्रक्रिया के तीन हिस्से- कारोबार, सूचना-प्रौद्योगिकी और कर्मचारी हैं। कर्मचारियों के मामले में वेतन और पद दो अलग पहलू हैैं। ये समान रहेंगी, सेवा शर्तें भी वही रहेंगी, इसलिए कोई दिक्कत नहीं होगी। एकीकरण भावनात्मक मुद्दा है और हमें कालांतर में यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रक्रिया में सकारात्मक जज्बा बरकरार रहता है। इन तीनों पक्षों से निपटने के बाद नई इकाई के लिए सबसे बड़ी चुनौती बाजार की अपेक्षाओं पर खरा उतरने और संगठन में पर्याप्त जोखिम नियंत्रण एवं अनुपालन ढांचा तैयार करने की होगी।
यह कैसे काम करेगा?
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नियंत्रण एवं अनुपाल से जुड़ी बातें कारोबारी इकाइयां जैसे मंडल कार्यालय सुनिश्चित करते हैं। संगठन बड़ा होता है तो इसे संभालने की चुनौती भी थोड़ी बढ़ जाती है। विलय के बाद यह तय किया जाएगा कि 11,000 से अधिक शाखाओं और 100,000 से अधिक कर्मचारियों के साथ नियंत्रण एवं अनुपालन का विकेंद्रीकरण किया जा सकता है। हम मंडल स्तर पर अनुपाल संबंधी भूमिका का विकेंद्रीकरण करेंगे और एक अलग इकाई बनाएंगे जो क्षेत्र एवं शाखा स्तर पर अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।
विकेंद्रीकृत ढांचे में बैंक के कर्मचारियों की संख्या पर क्या असर होगा?
पहले हम अपने मौजूदा कर्मचारियों की सेवा लेंगे। उसके बाद हम क्षमता मानदंडों एवं कर्मचारियों की संख्या पर विचार करेंगे।
कॉपोर्रेट ऋण खातों से जुड़ी शर्तों पर विलय के बाद क्या असर होगा?
अगर कॉर्पोरेट खाते समूह के तहत हैं तो उसमें कोई झमेला नहीं होगा। अगर बहु बैंकिंग समझौते के तहत कॉर्पोरेट खाते आते हैं तो कुछ मुद्दे पेश आएंगे। अगर ग्राहकों ने ओबीसी, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और पीएनबी से अलग-अलग ऋण ले रखे हैं तो हम ऋण समझौते की शर्तें सरल करने की कोशिश करेंगे। हालांकि ऐसे मामले वास्तव में कम हैं।
तीनों बैंकों की सहायक इकाइयों का क्या होगा?
ओबीसी और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की सहायक इकाइयां नहीं हैं और केवल पीएनबी की सहायक इकाई है। ओबीसी का केनरा एचएसबीसी ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स लाइफ इंश्योरर्स में संयुक्त उद्यम है और पीएनबी का मेट लाइफ के साथ संयुक्त उद्यम (पीएनबी मेटलाइफ) है। हम नियामकीय दिशानिर्देशों पर भी ध्यान देंगे और उसी हिसाब से आगे बढ़ेंगे।
क्या किसी बैंक को बीमा
कंपनी में हिस्सेदारी रखने की अनुमति है?
किसी बैंक की एक बीमा कंपनी में हिस्सेदारी हो सकती है और दूसरी में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत से कम रहेगा।
केनरा एचएसबीसी ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स लाइफ इंश्योरेंस में अपनी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से कम करेंगे?
ऐसा करना होगा। अगर हिस्सेदारी अभी बेची जाती है तो इसे बाजार में बेचनी होगी और इससे मूल्यांकन पर असर होगा। हम आईआरडीए से इसके लिए उपाय मांग रहे हैं। हम इसे अगले कुछ दिनों में आगे बढ़ाएंगे।
ऐसा समझा जा रहा है कि बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक का पूर्ण वियल दिसंबर 2020 तक होगा। क्या विलय में इतना समय लग जाता है?
यह इस बात पर निर्भर करता है कि तकनीक के एकीकरण में आप कितना समय लगाते हैं। मानव संसाधन और कारोबारी एकीकरण बिना किसी खास झमेले के तत्काल हो सकता है। अगर विलय पूर्व गतिविधि गंभीरता से की जाए तो एकीकरण में लगने वाला समय कम हो जाता है।
क्या आप कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देंगे?
इसकी कोई जरूरत नहीं है। हमें सभी कर्मचारियों की जरूरत है।