परिपत्र वापस लेने पर भी स्थिति साफ नहीं | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली October 06, 2019 | | | | |
भले ही अप्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कर लगाने का परिपत्र वापस ले लिया है, लेकिन डीलरों द्वारा बिक्री के बाद की छूट पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। उद्योग जगत की ओर से तमाम सवाल उठाए जाने के बाद सीबीआईसी ने कहा, 'परिपत्र लागू करने को लेकर कई अभ्यावेदन आए, जिनमें इसे लेकर चिंता जताई गई थी। इसे देखते हुए बोर्ड इस परिपत्र को वापस ले रहा है।' इसके पहले जून महीने में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि बिक्री के बाद छूट पर डीलरों को 18 प्रतिशत वस्तु एवं सेवा कर का भुगतान करना होगा, जो सामान आपूर्तिकर्ता उन्हें देता है और अंतिम उपभोक्ता को छूट देने को कहता है।
इस परिपत्र के आने के बाद भ्रम की स्थिति पैदा हो गई कि कहां जीएसटी का भुगतान करना है, कहां नहीं करना है। उदाहरण के लिए अगर एक कंपनी डीलर को कार की बिक्री 10 लाख रुपये में करती है, लेकिन बाद में वह डीलर को 50,000 रुपये की छूट देती है। फर्म ने उस पर कोई बाध्यता नहीं रखी। ऐसे में डीलर को 50,000 रुपये पर कोई जीएसटी देने की जरूरत नहीं होती है। बहरहाल अगर कंपनी डीलर से कहती है कि वह पूरा लाभ ग्राहक को दे, तब डीलर को 50,000 रुपये सहित पूरी राशि पर जीएसटी का भुगतान क रना होता है।
इससे उद्योग जगत खासकर वाहन क्षेत्र की नाराजगी बढ़ गई, जो पहले से ही कम मांग की वजह से दबाव में है। उदाहरण के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि इस परिपत्र से जीएसटी के मौलिक सिद्धांत का उल्लंघन होता है। सीआईआई ने कहा था, 'इस सिद्धांत का मतलब यह है कि वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर कर के भुगतान का बोझ अंतिम उपभोक्ता द्वारा किया जाएगा।' सीआईआई ने मांग की कि परिपत्र में बदलाव किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया कि अतिरिक्त छूट सामान्यतया पुराना माल निकालने के लिए या कमजोर बाजार होने पर उत्पादों की बिक्री के लिए दी जाती है।
इस परिपत्र को वापस लिए जाने के बाद भी विवाद बना हुआ है। विशेषज्ञों ने मांग की है कि एक स्पष्टीकरण आना चाहिए जिससे यह साफ हो सके कि बिक्री के बाद दी गई छूट पर जीएसटी नहीं लगेगा क्योंकि परिपत्र वापस लिए जाने के बावजूद फील्ड ऑफिसर डीलरों का उत्पीडऩ कर सकते हैं। विशेषज्ञ यह जानना चाहते हैं कि क्या परिपत्र वापस लिए जाने का मतलब उद्योगों के पक्ष से सहमति है या फील्ड ऑफिसर अब भी जांच जारी रखेंगे और इस मामले में नोटिस जारी करते रहेंगे। ईवाई में पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि उद्योग को उम्मीद है कि परिपत्र वापस लिए जाने का मतलब यह है कि सरकार ने उद्योग का पक्ष स्वीकार कर लिया है और इससे फील्ड स्तर पर जांच व याचिकाएं खत्म हो जाएंगी।
इसके साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट का भी मसला है। क्लियरटैक्स के सीईओ अर्चित गुप्ता ने कहा कि परिपत्र वापस लिए जाने के साथ सीबीआईसी ने अब इस मसले को छोड़ दिया है कि बिक्री के बाद की छूट की स्थिति से कैसे निपटा जाएगा। मूल रसीद पर कर का दावा अभी किया जा सकता है। परिपत्र वापस लेने के बाद भी यह मामला सुलझा नहीं है। उन्होंने कहा, 'अभी त्योहारी सीजन चल रहा है और ऐसे में सीबीआईसी को कारोबारियों व आपूर्ति शृंखला में शामिल डीलरों को स्पष्ट संदेश देना चाहिए, जिन पर इस परिपत्र का असर पड़ेगा।'
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