प्याज निर्यात पर भारत के प्रतिबंध से एशिया में बढ़े दाम | रॉयटर्स / मुंबई/ढाका October 02, 2019 | | | | |
प्याज की अत्यधिक कीमतों के कारण काठमांडू से लेकर कोलंबो तक यह रसोईघरों का सपना बनकर रह गया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि एशिया के इस प्रमुख खाद्य की बिक्री करने वाले दुनिया के सबसे बड़े विके्रता भारत ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। मॉनसून में विस्तार के बाद भारी बारिश से कटाई और आपूर्ति घट गई थी। नेपाल की गृहिणी सीमा पोखरेल की तरह इस क्षेत्र के खरीदार घबराए हुए हैं। काठमांडू में सब्जी खरीदते हुए पोखरेल ने कहा कि दामों में बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है। केवल पिछले ही महीने में प्याज की कीमतें दोगुनी से अधिक हो चुकी हैं। चाहे पाकिस्तान की चिकन करी हो या बांग्लादेश की बिरयानी या फिर भारत का सांबर, एशियाई उपभोक्ता खास व्यंजनों के लिए भारतीय प्याज की आपूर्ति पर निर्भर हो चुके हैं। चीन या मिस्र जैसे प्रतिस्पर्धी निर्यातकों की तुलना में खेपों के लिए लगने वाला कम समय इस जल्द खराब होने वाली जिंस का स्वाद सुरक्षित रखने में खास भूमिका निभाता है। पिछले रविवार भारत ने देश से पूरा निर्यात प्रतिबंधित कर दिया था क्योंकि स्थानीय दाम उछलकर 4,500 रुपये प्रति टन हो गए थे जो करीब छह सालों का शीर्ष स्तर था। सामान्य से अधिक और लंबे समय तक चलने वाली बारिश की वजह से गर्मियों में बोई जाने वाली इस फसल की आवक में देरी के कारण ऐसा हुआ था।
सरकारी अधिकारियों और कारोबारियों ने कहा कि इस प्रतिबंध के बाद से बांग्लादेश जैसे देश दाम कम करने के उद्देश्य से आपूर्ति बढ़ाने के लिए म्यांमार, मिस्र, तुर्की और चीन जैसे देशों को पसंद करने लगे हैं। लेकिन मात्रा में आई इस बड़ी कमी की भरपाई करना मुश्किल रहेगा। भारत के कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के अनुसार देश ने वित्त वर्ष 2018-19 में 22 लाख टन ताजा प्याज का निर्यात किया है। कारोबारियों का अनुमान है कि यह एशियाई देशों द्वारा किए गए कुल आयात की तुलना में आधे से भी ज्यादा है। ढाका के एक व्यापारी मोहम्मद इदरीस ने कहा कि वैकल्पिक आपूर्ति के दामों में हो रहे इजाफे से उन आयातकों का सिरदर्द बढ़ेगा जो कहीं और से सब्जी लेने की कोशिश कर रहे हैं। बांग्लादेश की राजधानी में उपभोक्ताओं को प्रति किलोग्राम 120 टका (1.42 डॉलर) भुगतान करने के लिए कहा जा रहा है जो एक पखवाड़े की तुलना में दोगुने और दिसंबर 2013 के बाद से सबसे ज्यादा दाम हैं। इदरीस ने कहा कि एशिया और यूरोप में अन्य जगहों में भी दाम बढ़ रहे हैं। दूसरे निर्यातक देश अपने दाम बढ़ाकर भारत के प्रतिबंध का फायदा उठा रहे हैं।
इस मुसीबत से निपटने के लिए बांग्लादेश सरकार ने सरकार द्वारा संचालित ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ बांग्लादेश (टीसीबी) के माध्यम से सब्सिडी वाले प्याज की बिक्री शुरू की है। टीसीबी के प्रवक्ता हुमायूं कबीर ने कहा कि हम प्याज आयात करने के लिए सभी संभावित विकल्प तलाश रहे हैं। हमारा लक्ष्य सबसे कम समय में आयात करना है। लेकिन इस क्षेत्र के देशों में अधिकारी जिन दूसरी जगहों (ईरान और तुर्की भी संभावित आपूर्तिकर्ता हैं) से आयात की संभावना तलाश रहे हैं, वहां से खेपों में समय लगेगा। इदरीस ने कहा कि मिस्र से खेप आने में एक महीना लगता है और चीन से लगभग 25 दिन, जबकि भारत से खेप आने में कुछ ही दिन लगते हैं। असेंशल फूड कमोडिटीज, इम्पोर्टर्स ऐंड ट्रेडर्स के अध्यक्ष जी राजेंद्रन ने कहा कि वैकल्पिक आयात की आवश्यकता इतनी गंभीर है कि श्रीलंका जैसे देश पहले ही मिस्र और चीन को ऑर्डर दे चुके हैं। श्रीलंका में प्याज की कीमतें एक सप्ताह में 50 प्रतिशत तक बढ़कर 280-300 श्रीलंकाई रुपया (1.7 डॉलर) प्रति किलोग्राम हो चुकी हैं।
मलेशिया के कृषि उप मंत्री सिम जे जिन ने कहा कि अन्य देशों के पास स्थिति संभलने की उम्मीद करने के अलावा शायद कोई विकल्प न हो। भारतीय प्याज के दूसरे सबसे बड़े खरीदार मलेशिया को उम्मीद है कि प्रतिबंध अस्थायी होगा और घबराने की कोई वजह नहीं दिखती है। गर्मियों में बोई जाने वाली इस फसल के बाजार में आने से पहले कीमतों में कोई खास गिरावट नहीं आएगी। नवंबर के मध्य तक ऐसा होने की उम्मीद नहीं है।
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