रोशनी के बाजार पर सुस्ती का अंधेरा | रामवीर सिंह गुर्जर / October 02, 2019 | | | | |
लाइटिंग सामान कारोबारियों के लिए इस साल दीवाली फीकी रह सकती है। दीवाली पर साजो सज्जा के लिए ज्यादातर लाइटिंग सामान जैसे लड़ी-झालर, दिये, बल्ब, एलईडी और भगवान की रोशनी वाली मूर्तियों की खूब मांग रहती है। कारोबारियों के मुताबिक इस साल इनकी बिक्री पर आर्थिक सुस्ती का असर दिख रहा है। लाइटिंग सामान पिछले साल के मुकाबले सस्ता होने के बाद भी इस साल कम ही बिका है। लाइटिंग के सामान में से ज्यादातर चीन से आयात किया जाता है। दिल्ली का भागीरथ प्लेस देश में लाइटिंग के सामान की बिक्री का प्रमुख केंद्र हैं। यहां से कई राज्यों को लाइटिंग का सामान भेजा जाता है। इस बाजार में 4,500 इलेक्ट्रिकल कारोबारी हैं। यहां सालाना 1,500 से 2,000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार होने का अनुमान है। लाइटिंग का 60 से 70 फीसदी सामान दीवाली पर ही बिकता है। इस साल इस सामान का कारोबार घटकर 1,100 से 1,500 करोड़ रुपये ही रह जाने का अंदेशा है।
लाइटिंग सामान के थोक कारोबारी शौर्य गुप्ता कहते हैं कि दीवाली के लिए बड़े खरीदार ज्यादातर खरीदारी कर चुके हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल बिक्री 25 से 30 फीसदी कम हुई है। गुप्ता को लगता है कि बिक्री कम होने की सबसे बड़ी वजह आर्थिक सुस्ती के माहौल को बताते हैं। इसी बाजार के लाइटिंग सामान कारोबारी प्रवीण कुमार राणा ने बताया कि लाइटिंग के सामान पर आर्थिक सुस्ती की मार तो पड़ी ही रही है, बिहार और दूसरे राज्यों में आई बाढ़ ने भी मांग में बहुत कमी करा दी है। जम्मू-कश्मीर से भी लाइटिंग उपकरणों के ऑर्डर नहीं मिले हैं।
प्रवीण ने कहा कि इस साल दाम में कोई भी इजाफा नहीं हुआ है बल्कि कई तरह के सामान की कीमत तो पहले से घट गई है फिर भी बिक्री कम है। उन्होंने बताया कि एलईडी स्ट्रिप के जिस पैकेट की कीमत पिछले साल 200 रुपये तक थी, वह इस साल 150 रुपये में बिक रहा है। भागीरथ प्लेस के इलेक्ट्रिकल बाजार में 35 मीटर की एक झालर की कीमत 200 से 220 रुपये, 25 मीटर वाली एलईडी झालर की कीमत 600 से 900 रुपये है। लाइटिंग वाला दीपक 80 रुपये और लाइटिंग वाली मूर्तियां 300 रुपये से लेकर 600 रुपये तक बिक रही हैं। गुप्ता को इस बात पर हैरत है कि दाम कम होने के बाद भी इस साल बिक्री नहीं बढ़ी है।
लाइटिंग सामान के एक कारोबारी ने बताया कि जीएसटी पर सख्ती के कारण भी बिक्री में गिरावट देखी जा रही है। पहले कच्चे बिल पर खूब काम होता था और अब कच्चे बिल पर सख्ती की वजह से पक्के बिल पर काम होने लगा है। पहले खरीदार आगे भंडारण के लिए भी बड़ी मात्रा में माल खरीदते रहे हैं। अब दीवाली पर बिकने लायक और कम ही माल खरीद रहे हैं क्योंकि उन्हें आर्थिक सुस्ती के माहौल में आगे बिक्री घटने का डर है। दिल्ली इलेक्ट्रिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत अहूजा ने कहा कि कारोबार में सुस्ती की वजह से लाइटिंग सामान की बिक्री पिछले साल से 30 फीसदी घट सकती है। लाइटिंग वाली मूर्तिर्यों के खुदरा कारोबारी अभिषेक कहते हैं कि अभी तो खरीदार आने ही शुरू हुए हैं। बिक्री कम या ज्यादा रहने का सही अंदाजा तो 15 अक्टूबर के बाद ही हो पाएगा। लाइटिंग सामान के एक आयातक ने बताया,'हमें आर्थिक सुस्ती के कारण बिक्री घटने का अंदेशा पहले से था, इसलिए पिछले साल से इस साल 20 लाख रुपये कम का माल मंगाया है'।
ज्यादातर लाइटिंग सामान चीन से आयात होते हैं। राणा कहते हैं कि 80 फीसदी से अधिक झालर, लडिय़ां, एलईडी लड़ी, दीपक, बल्ब, रोशनी वाली मूर्तियां चीन से आयात की जाती है। उन्होंने कहा कि इस बार बाजार में चीनी सामान के बहिष्कार जैसा कुछ नहीं दिख रहा है। यूं भी बहिष्कार की बातें सोशल मीडिया व अन्य मंचों पर ही ज्यादा दिखती है, बाजार में कम। लाइटिंग कारोबारियों नजरें अब खुदरा खरीदारों पर नजर टिकी हुई है। लेकिन उन्हें आर्थिक सुस्ती का माहौल और थोक बिक्री में गिरावट को देखते हुए खुदरा ग्राहकों से भी कारोबार कम मिलने का खटका है।
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