दीपम नहीं बेचेगा बीएसएनएल की संपत्तियां! | मेघा मनचंदा / नई दिल्ली October 02, 2019 | | | | |
दूरसंचार विभाग (डीओटी) वित्तीय संकट में फंसी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर की संपत्तियां निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के माध्यम से नहीं बेचने पर विचार कर रहा है। इसकी वजह यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई नकदी के संकट से जूझ रही है और इसके लिए धन जुटाने की तेज प्रक्रिया अपनाने की जरूरत है। बीएसएनएल की हालत तेजी से पटरी पर लाने का एक माध्यम उसकी संपत्तियां बेचकर धन जुटाना है, जिनमें जमीनें, टेलीकॉम टॉवर और ऑप्टिकल फाइबर शामिल है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह माना जा रहा है कि अगर दीपम के माध्यम से ऐसा किया जाता है तो इस कवायद में उम्मीद से ज्यादा वक्त लग सकता है।
उन्होंने कहा, 'विनिवेश विभाग का एक पूरी तरह से परिभाषित ढांचा है कि इस तरह की संपत्तियां कैसे बेची जाएं और सिसे जुटाया गया धन सबसे पहले भारत की संचित निधि में जाता है, उसके बाद इसे कंपनी को दिया जाता है। इस प्रक्रिया में करीब एक साल लग सकते हैं।' दूसरा विकल्प यह है कि कंपनी खुद ऐसा करे। बहरहाल डीओटी का मानना है कि पिछले कई साल से इस तरह की कवायद बहुत सफल नहीं हुआ है। ऐसे में दूरसंचार विभाग दीपम का रास्ता अपना सकता है, जिसमें लंबा वक्त लगता है।
बीएसएनएल को इस समय हर महीने 800 करोड़ रुपये कम राजस्व मिल रहे हैं और यह कर्मचारियों को वेतन न भुगतान कर पाने की स्थिति से गुजर रही है। कंपनी केंद्र सरकार से कम अवधि के कर्ज पर निर्भर है, जिससे परिचालन संबंधी खर्च जुटाया जा सके। केंद्र सरकार पुनरुद्धार पैकेज तैयार कर रही है। विभिन्न प्रस्तावों की खूबियों व खामियों पर विमर्ष करने के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। प्रस्तावों में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पैकेज, मुफ्त में 4जी स्पेक्ट्रम का आवंटन और संपत्तियों बिक्री शामिल है।
एक नया प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक और बीमार सरकारी कंपनी महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के साथ इसके विलय का प्रस्ताव खारिज कर दिया था। बहरहाल दूरसंचार विभाग अभी राजस्व विभाग, आर्थिक मामलों के विभाग और नीति आयोग के साथ बात कर रहा है, जिससे इन दो सरकारी कंपनियों को चालू रखने के लिए जरूरी धन जुटाने के कर्ज की गारंटी मिल सके।
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