यूपीआई ने मंदी को पीछे छोड़ा | युवराज मलिक / बेंगलूरु October 01, 2019 | | | | |
शुरुआती सुस्ती के बाद सरकार की यूनीफाइड पेमेंट्स प्लेटफॉर्म (यूपीआई) वृद्धि की राह पर चल पड़ा है। डिजिटल पेमेंट इंटरफेस पर लेन लेन की मात्रा व कुल मूल्य दोनोंं हिसाब से सितंबर महीने में तेजी आई है। सितंबर महीने में यूपीआई के माध्यम से रिकॉर्ड 95.502 करोड़ रुपये का लेन देन हुआ, जिनका कुल मूल्य 1,61,456.56 करोड़ रुपये है। यह अगस्त की तुलना में मात्रा के हिसाब से 4 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 4.5 प्रतिशत ज्यादा है। अगस्त में लेन देन की संख्या 91.835 करोड़ रही, जिनका कुल मूल्य 1,54,504.89 करोड़ रुपये था।
अगस्त 2016 में यूपीआई पेश कि ए जाने के बाद इस प्लेटफॉर्म पर सितंबर के आंकड़े सबसे ऊपर हैं। यूपीआई का प्रबंधन करने वाली नैशनल पेमेंट्स काउंसिल आफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक जून महीने से ही इन आंकड़ों में तेजी आनी शुरू हो गई थी। यह एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि मासिक आधार पर मार्च और मई में मात्रा के हिसाब से गिरावट दर्ज की गई थी। ताजा आंकड़ों को उपभोक्ता आर्थिक गतिविधियों के संकेतक के रूप में देखा जा सकता है, जबकि कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था में सुस्ती है। भारत की जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6 प्रतिशत से नीचे आ गई है। वहींं ऑटोमोबाइल क्षेत्र में ग्राहकों का खर्च कम हुआ है और दूरसंचार उद्योग का भारतीय उद्योगों पर कर्ज बढ़ रहा है।
बहरहाल नए आंकड़ों का यह भी मतलब है कि नकदी के बजाय डिजिटल लेनदेन बढ़ा है। सीधे सीधे यह नहीं कहा जा सकता है कि खपत बढ़ रही है। डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में तमाम कारोबारी उतर रहे हैं और मोबाइल भुगतान की स्वीकार्यता बढ़ी है। फोन पे, गूगल पे, पेटीएम और आधे दर्जन अन्य भुगतान सुविधा प्रदाता अपने ऐप से भुगतान करने पर ग्राहकों को प्रोत्साहनों व कैशबैक की पेशकश कर रहे हैं। बैंक भी खुद के बैंकिंग ऐप्लीकेशंस पर यूपीआई शुरू करने के लिए आगे आए हैं। साथ ही यूपीआई 2 ढांचे के तहल लोग अब यूपीआई के माध्यम से आईपीओ सबस्क्राइब कर सकते हैं। डिजिटल भुगतान पर जोर देने के पीछे सरकार खुद है। 2019 के केंद्रीय बजट में केंद्र ने घोषणा की थी कि कुछ कारोबारों में डिजिटल भुगतान शुल्क नहीं देना पड़ेगा, जिसे एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) कहा जाता है।
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