राज्यों में पर्यटकों को खींचने की होड़ | टीई नरसिम्हन / September 27, 2019 | | | | |
पहले राज्यों के पर्यटन बोर्ड अपने यहां देसी-विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए धार्मिक स्थलों या स्मारकों का सहारा लेते थे लेकिन अब यह स्थिति पूरी तरह बदल गई है। अब उनका जोर खानपान, अनछुए पर्यटक स्थलों को प्रचारित करने, रोमांचक पर्यटन और संस्कृति पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर जो चुनौती पेश की है, हर कोई उस पर खरा उतरना चाहता है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लोगों से वर्ष 2022 तक 15 घरेलू पर्यटक स्थल घूमने का आह्वïान किया है। राज्य पर्यटन बोर्डों ने इस मौके को हाथोंहाथ लिया है। उन्हें लगता है कि यह दर्शकों को आकर्षित करने का बेहतरीन मौका है। वे ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अनोखी योजनाएं बना रहे हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के पर्यटन बोर्ड अपने गौरवशाली इतिहास को नए ढंग से पेश कर रहे हैं। दूसरी ओर गुजरात जैसे राज्यों का जोर अध्यात्म पर्यटन पर है और गैर गुजराती पर्यटकों को लुभा रहे हैं। केरल नए जमाने के पर्यटकों के हिसाब से रणनीति बना रहा है।
थॉमस कुक इंडिया जैसी ट्रैवल एजेंसियां भी इसमें कूद पड़ी हैं। उन्होंने 'ट्रैवलप्लेज 2022' अभियान के जरिये देश के 15 सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों की सूची जारी की है। विसास-थॉमस कुक इंडिया (हॉलिडेज, एमआईसीई) के प्रेजिडेंट और कंट्री प्रमुख राजीव काले ने कहा कि वर्ष 2022 तक 15 घरेलू पर्यटक स्थल घूमने के आह्वïान से इस क्षेत्र में तेजी आएगी। इसमें बहुत संभावनाएं हैं लेकिन अभी तक इसका फायदा नहीं उठाया गया है। हालांकि यह चुनौती ज्यादा खर्च करने वाले पर्यटकों पर निर्भर करेगी जो घरेलू पर्यटक स्थलों के बजाय विदेश घूमना पसंद करते हैं। इसकी वजह यह है कि कई देशों में घूमने का खर्च लगभग उतना ही है, जितना घरेलू पर्यटक स्थलों में आता है। कई राज्यों के पर्यटक विभागों ने अपने योजनाओं के बारे में विस्तार से बात करने से इनकार कर दिया लेकिन केरल के पर्यटक विभाग के निदेशक पी बालाकिरण ने कहा, 'हमने ज्यादा खर्च करने वाले पर्यटकों और घुमंतू लोगों के लिए अपने अभियान और योजनाएं शुरू कर दी हैं।'
केरल का प्रचार 'रोमांच की भूमि' के तौर पर किया जा रहा है और बालाकिरण ने एक साल में रोमांचकारी पर्यटन में पर्यटकों की भागीदारी दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही उत्तरी केरल को नए पर्यटक स्थल के तौर पर प्रचारित किया जाएगा जो अब तक राज्य के पर्यटक मानचित्र से दूर है। वहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। गुजरात पर्यटन के प्रवक्ता के मुताबिक राज्य में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर्यटकों के आकर्षण सबसे बड़ा केंद्र है। इसके अलावा सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े लोथल और धौलावीरा को भी व्यापक पैमाने पर प्रचारित करने की योजना है। पर्यटकों को अपनी विराट संस्कृति से रूबरू कराने के लिए सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों को एक पैकेज के रूप में पेश करने की तैयारी है। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 2016-17 से 2018-19 के बीच पर्यटकों की संख्या में करीब 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। गुजरात पर्यटन निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जेनू देवन ने कहा कि प्रधानमंत्री की चुनौती से यह संख्या और बढ़ सकती है। कई राज्यों में यूनेस्को से मान्यता प्राप्त कई विश्व धरोहर स्थल हैं और उन राज्यों के पर्यटन विभाग पर्यटकों को लुभाने के लिए इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। उदाहरण के लिए तमिलनाडु में पर्यटकों को लुभाने के लिए संस्कृति के प्रचार पर जोर दिया जा रहा है। तमिलनाुड पर्यटन विकास निगम के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि पिछले दो वर्षों में कई आयोजनों के जरिये पर्यटकों को लुभाने पर नए सिरे से काम चल रहा है। केरल मॉनसून संगीत महोत्सव और चैंपियंस बोट लीग (सीबीएल) का आयोजन कर रहा है।
कई राज्यों के पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को लुभाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में नए सिरे से अपनी ब्रांडिंग की है। मध्य प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ उन राज्यों में शामिल हैं जो सोशल मीडिया पर जोरशोर से अपने पर्यटक स्थलों का प्रचार कर रहे हैं। ओयो के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा दी गई चुनौती में इन राज्यों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों से देशभर के ऐसे पर्यटक स्थलों के बारे में पूछताछ बढ़ी है जो ज्यादा लोकप्रिय नहीं हैं। ओयो के एच1 2019 आंकड़ों के मुताबिक चैल, अल्मोड़ा, अलवर, चिकमंगलूर, कुर्ग और यरकौड में सबसे ज्यादा बुकिंग की गई। पिछले साल के मुकाबले इन स्थानों में 119 फीसदी अधिक बुकिंग कराई गई। प्रधानमंत्री की चुनौती के कारण जो ऑनलाइन उत्साह पैदा हुआ है, अगर वह हकीकत की जमीन पर उतरता है तो इससे घरेलू पर्यटन उद्योग की तस्वीर बदल सकती है।
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