ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के खिलाफ हो रही लामबंदी | अभिषेक रक्षित / कोलकाता September 27, 2019 | | | | |
एसोसिएशन आफ वेपर्स इंडिया (एवीआई) केंद्र सरकार के ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को न्यायालय में चुनौती दे सकता है। एवीआई देश में वेपिंग ग्राहकों का समर्थन करने वाला संगठन है। इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है, लेकिन एवीआई के सदस्यों ने कानूनी लड़ाई लडऩे का सुझाव दिया है। उनका मानना है कि इससे ई-सिगरेट के बारे में कुछ तथ्य सामने लाए आएंगे और साफ हो सकेगा कि इस पर देश भर में प्रतिबंध लगाए जाने का फैसला क्यों किया गया है। एवीआई के के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'हमारे कुछ सदस्य वकील हैं। कोई अंतिम फैसला करने से पहले हम इस मसले पर उनसे कानूनी उपचार पर चर्चा करेंगे। आंतरिक रूप से इसके कानूनी समाधान पर चर्चा हुई है, लेकिन अभी कोई फैसला नहीं किया गया है।' हाल ही में दो ई-सिगरेट आयातकों प्लम वेपर और वोके वेपर्स ने ई-सिगरेट की अनुमति न देने के केंद्र के फैसले के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की है।
यह पूछे जाने पर कि क्या एवीआई इस याचिका में सह याची बन सकती है, चौधरी ने कहा, 'पहले हमें याचिका देखनी होगी, जो उन्होंने दाखिल की है। हमारा मकसद उनसे अलग है। हम कानूनी उपचार पर फैसला करने के बाद ही इस मामले में अंतिम कदम उठाएंगे।' इसके पहले एवीआई कर्नाटक, जम्मू कश्मीर और दिल्ली में वेप प्रतिबंध को कानूनी चुनौती दे चुका है। बहरहाल केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध को लेकर अध्यादेश जारी किए जाने के बाद एवीआई ने वेपिंग को सिगरेट छोडऩे के लिए विकल्ल के रूप में इस्तेमाल के रूप में अभियान चलाया है और दावा किया है कि यह सिगरेट की तुलना में कम नुकसानदेह है। ई-सिगरेट पर प्रतिबंध हटाने की मांग के अलावा एवीआई केंद्र से ई सिगरेट में निकोटीन की मात्रा सीमित करने की मांग कर रहा है और उसने अधिकतम 20 एमजी निकोटीन की सिफारिश की है।
वहीं दूसरी ओर एवीआई यह भी चाहता है कि केंद्र इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलिवरी डिवाइस (ईएनडीएस) की गुणवत्ता के नियंत्रण को लेकर नियम लाए और जोखिम के अनुपात में तंबाकू पर कराधान की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा, 'तंबाकू पर कर जोखिम को ध्यान में रखकर लगाया जाना चाहिए। अगर किसी प्रारूप में तंबाकू के इस्तेमाल से स्वास्थ्य को ज्यादा जोखिम है तो उस पर कर ज्यादा होनी चाहिए और अगर जोखिम कम है तो उसी अनुपात में कम कर होना चाहिए।' ई सिगरेट आयातकों के कारोबारी संगठन ट्रेड रिप्रजेंटेटिव आफ ईएनडीएस (ट्रेंड्स) और अन्य साझेदार सांसदों व सरकार की समितियों के वरिष्ठ सदस्यों से संपर्क कर रहे हैं, जिससे इस मसले को संसद में उठाया जा सके।
जागरूकता अभियान चलाने के साथ ट्रेंड्स राजनेताओं से संपर्क कर उनसे ई-सिगरेट पर प्रतिबंध का विरोध करने को कह रही है। ट्रेंड़्स के संयोजक प्रवीण रिखे ने कहा, 'हम चाहते हैं कि संसद में अध्यादेश को विधेयक बनाकर पेश किए जाने पर इस विषय पर विस्तार से चर्चा हो। हमने इस मसले पर सरकार सहित विपक्षी दलों के तमाम सांसदों से संपर्क साधा है।' इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहींं है, लेकिन ट्रेंड्स का अनुमान है कि भारत में वेपिंग बाजार करीब 350 करोड़ रुपये का है, जो देश के कुल तंबाकू उद्योग का एक प्रतिशत भी नहीं है। 100 से भी कुछ कम कारोबारी वेपिंग उपकरणों का आयात करते हैं।
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