हैंडसेट विनिर्माण नीति पर उद्योग चिंतित | सुरजीत दास गुप्ता / नई दिल्ली September 26, 2019 | | | | |
मोबाइल हैंडसेट के लिए सरकार के बहुप्रचारित चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) से पुर्जों के आयात की लागत बढ़ गई है। ऐसे में देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। भारत को एक मोबाइल हैंडसेट विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए रूपरेखा निर्धारित करने वाली नीति आयोग की प्रस्तुतियों पर आधारित उद्योग के आकलन के अनुसार, वर्ष 2018-19 में स्थानीय मोबाइल हैंडसेट विनिर्माण में 18 फीसदी का औसत मूल्यवद्र्धन हुआ। लेकिन घरेलू मोबाइल हैंडसेट की 24.20 अरब डॉलर यानी करीब 1,62,309 करोड़ रुपये की बिक्री पर पुर्जों का आयात बिल बढ़कर 99,816 करोड़ रुपये हो गया।
वर्ष 2017-18 में देश में 25 अरब डॉलर यानी करीब 1,67,675 करोड़ रुपये मूल्य के घरेलू मोबाइल हैंडसेट का उत्पादन हुआ लेकिन उनके विनिर्माण के लिए 84,000 से 98,000 करोड़ रुपये मूल्य के पुर्जों का आयात काफी कम यानी 12 से 15 फीसदी के मूल्यवद्र्धन पर हुआ। आईसीटी क्षेत्र के संगठन एमएआईटी का मानना है कि सरकार की राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति (एनईपी) 2019 में अनुमान जाहिर किया गया है कि भारत 2025 तक 80 अरब डॉलर मूल्य के मोबाइल हैंडसेट का उत्पादन और निर्यात करेगा। संगठन का कहना है कि इससे केवल आयात में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी होगी।
यदि हम मान लेते हैं कि मूल्यवद्र्धन दोगुना यानी 30 से 35 फीसदी होता है (कमोबेश चीन का मौजूदा स्तर) तो पुर्जों का आयात बिल बढ़कर 3,30,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो मौजूदा स्तर से तीन गुना अधिक है। एमएआईटी ने सरकार से बातचीत में यह भी कहा कि शुल्क में कटौती के बावजूद पीएमपी देश में बड़े पैमाने पर पुर्जों के विनिर्माण को रफ्तार देने में सफल नहीं रही है। यही करण है कि 485 अरब डॉलर के वैश्विक मोबाइल हैंडसेट बाजार में भारत की हिस्सेदारी महज 5 फीसदी है।
चूंकि पुर्जों का विनिर्माण बड़े पैमाने पर करना फायदेमंद होता है और जब तक निर्यात को बढ़ावा नहीं दिया जाता तब तक भारतीय बाजार उसके लिए पर्याप्त नहीं है। एमएआईटी के अलावा इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया, मोबाइल डिवाइस विनिर्माताओं के संगठन इंडियन सेल्युलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) और ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम जैसे प्रमुख संगठनों ने नीति आयोग से अपनी बातचीत में कहा कि पीएमपी कार्यक्रम को 2023 तक स्थगित करने के अलावा सरकार को निर्यात बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
आईसीईए ने कहा कि पीएमपी कार्यक्रम सफल नहीं रहा है और यह मुख्य तौर पर प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, चार्जर एवं बैटरी पैक तक सीमित है। जबकि मैकेनिक्स, कैमरा मॉड्यूल्स, कनेक्टर, स्पीकर एवं माइक्रोफोन जैसे अहम पुर्जों का विनिर्माण नहीं किया जा रहा है। उद्योग के आकलन के अनुसार, भारत फिलहाल 1.2 अरब डॉलर के मोबाइल हैंडसेट का निर्यात करता है। लेकिन एनईपी 2019 के तहत 2025 तक 110 अरब डॉलर के मोबाइल हैंडसेट निर्यात का लक्ष्य रखा गया है।
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