नीदरलैंड की दिवालिया अदालत होगी जेट की सीओसी का हिस्सा | आशिष आर्यन और सुब्रत पांडा / नई दिल्ली/मुंबई September 26, 2019 | | | | |
नैशनल कंपनी लॉ अपील ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने गुरुवार को नीदरलैंड की दिवालिया अदालत के प्रशासक को जेट की लेनदारों की समिति का हिस्सा बनने और इसकी बैठक में हिस्सा लेने की अनुमति दे दी। इस मामले में एनसीएलएटी ने एनसीएलटी के मुंबई पीठ के आदेश को खारिज कर दिया, जिसने कहा था कि नीदरलैंड की अदालत के प्रशासक का भारत में न्यायाधिकार नहीं है, लिहाजा वह जेट एयरवेज की सीओसी की बैठक में हिस्सा नहीं ले सकता या विमानन कंपनी की भारतीय परिसंपत्ति पर दावा नहीं कर सकता। एनसीएलटी ने नीदरलैंड की दिवालिया अदालत की कार्यवाही को भारत में अमान्य करार दिया।
20 सितंबर को जेट एयरवेज के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल और नीदरलैंड की दिवालिया अदालत के प्रशासक ने एनसीएलएटी को बताया था कि उन्होंने अपासी सहयोग की शर्तों को अंतिम रूप दे दिया है। विमानन कंपनी की सीओसी ने हालांकि नीदरलैंड की दिवालिया अदालत के प्रशासक की बैठक में मौजूदगी पर एतराज जताया था, लेकिन ट्रिब्यूनल ने उनके एतराज को खारिज कर दिया था। एनसीएलएटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय ने कहा था, वे यहां होने चाहिए, उन्हें अपना दावा क्रमवार लगाना है।
दोनों पक्षों को एक साथ काम करना चाहिए और परिसंपत्तियों की वैल्यू अधिकतम करने के लिए उन्हें यहां होना चाहिए। डीएसके लीगल के पार्टनर अजय शॉ ने कहा, एनसीएलएटी का आदेश नियम के बजाय अपवाद है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समझौते की अनुपस्थिति में भारत की दिवालिया कार्यवाही में नीदरलैंड की दिवालिया कार्यवाही को लेकर हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है। शॉ ने कहा, एनसीएलएटी के फैसले से नीदरलैंड के प्रशासक को भारतीय इकाई की सीओसी की बैठक में हिस्सा लेने की इजाजत मिलेगी और इसके जरिए रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल व नीदरलैंड के प्रसासक के बीच सहयोग सुनिश्चित होगा और यह दोनों के बीच आपसी सहमति से तय शर्तों के मुताबिक होगा।
भारत के अलावा जेट एयरवेज नीदरलैंड में दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रही है, जो कंपनी के लिए यूरोपीय परिचालन का क्षेत्रीय केंद्र है। दो यूरोपीय लेनदारों एच एसर फाइनैंस कंपनी और वालेनबॉर्न ट्रांसपोर्ट की शिकायत के बाद विमानन कंपनी को दिवालिया घोषित किया गया।
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