आयुष्मान भारत का हिस्सा बनेगा अपोलो हास्पिटल्स | अनीश फडणीस और सोहिनी दास / मुंबई September 25, 2019 | | | | |
देश के सबसे बड़े अस्पताल समूह अपोलो हास्पिटल्स ने दूसरे एवं तीसरे दर्जे के शहरों में आयुष्मान भारत कार्यक्रम का हिस्सा बनने की मंशा जताने के साथ ही महानगरों में इलाज की दरें बढ़ाने की जरूरत बताई है।आयुष्मान भारत योजना के पहले साल में ही लाखों भारतीयों को इलाज सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। इस योजना के तहत कुल 46 लाख लोगों ने अस्पतालों में इलाज करवाए और उनके इलाज पर 7,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके बावजूद देश के 32 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में संचालित हो रही इस योजना का हिस्सा बनने से बड़े अस्पताल समूह कतराते रहे हैं।
हालांकि पिछले दिनों मेदांता हास्पिटल ने इस योजना का हिस्सा बनने को लेकर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। अब देश के सबसे बड़े अस्पताल समूह अपोलो ने भी आयुष्मान भारत योजना का हिस्सा बनने का फैसला किया है।अपोलो हास्पिटल्स की प्रबंध निदेशक सुनीता रेड्डी ने बुधवार को बताया कि समूह ने दूसरे एवं तीसरे दर्जे के शहरों में स्थित अपने अस्पतालों में पांच फीसदी बिस्तर आयुष्मान भारत को आवंटित करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि यह भागीदारी अभी प्रायोगिक स्तर पर है और उन राज्यों में लागू होगी जहां स्थानीय स्वास्थ्य योजनाओं को आयुष्मान भारत में मिला दिया गया है।
लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि अपोलो हास्पिटल्स अभी महानगरों में आयुष्मान भारत का हिस्सा नहीं बनने वाली है। बड़े शहरों में अस्पतालों की देखरेख महंगी होने से निजी क्षेत्र के बड़े अस्पताल इससे दूर ही रहे हैं। इस बारे में सुनीता ने कहा कि आयुष्मान भारत के तहत की जाने वाली सर्जरी एवं इलाज की नई दरें तय करने को लेकर केंद्र सरकार के साथ बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दरों से लागत पूरी नहीं हो पाती है। इस बीच कंपनी ने अपने कर्ज चुकाने और वृद्धि जरूरतों के लिए बीमा फर्म एवं फार्मेसी कारोबार में हिस्सेदारी बेचकर फंड जुटाने की रणनीति पर चल रही है। सुनीता रेड्डी ने भी गत दिनों अपने 3.6 फीसदी शेयर बेचकर 748 करोड़ रुपये जुटाए थे।
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