इंडोनेशिया के साथ चीनी के बदले तेल के करार की खबरों से चिंतित खाद्य तेल उद्योग | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली September 22, 2019 | | | | |
देश का खाद्य तेल उद्योग इन खबरों से चिंतित है कि सरकार ने इंडोनेशिया से आयातित आरबीडी पामोलिन तेल पर आयात शुल्क घटाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है ताकि वह देश से इंडोनेशिया को उच्च गुणïवत्ता की चीनी का निर्यात कर सके। इंडोनेशिया के मीडिया की खबरों में वहां के वाणिज्य मंत्री एंगारटीएस्टो लुकोटा का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारत ने इंडोनेशिया से आयातित आरबीडी पामोलिन पर आयात शुल्क घटाने पर सहमति जताई है। हालांकि भारत ने यह आश्वासन मांगा है कि इंडोनेशिया उच्च गुणवत्ता की कच्ची चीनी का भारत से आयात करेगा।
भारत को अतिरेक चीनी के प्रबंधन में कड़ी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। अगले सीजन की शुरुआत में बीते सीजन का बचा स्टॉक रिकॉर्ड 140 लाख टन रहने का अनुमान है। इतना स्टॉक भारत की छह महीने की मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त है। इसके साथ ही नया सीजन शुरू होने से एक महीने पहले गन्ने का बकाया भी काफी ऊंचे स्तर पर है। इस खबर से चीनी उद्योग में रौनक है, जो देश से अतिरेक चीनी के निर्यात के कई ठिकाने तलाश रहा है। सरकार ने चीनी मिलों को अगले सीजन में 60 लाख टन निर्यात के लिए कहा है। केंद्र ने मलेशिया से आयातित आरबीडी पामोलिन पर 45 फीसदी और इंडोनेशिया से आयात पर 50 फीसदी शुल्क लगाया हुआ है। सरकार ने कटाई सीजन से पहले देश के किसानों की मदद के लिए मलेशिया से आयातित रिफाइंड पाम तेल पर 5 फीसदी सेफगार्ड शुल्क लगा दिया। इससे मलेशिया से आयातित रिफाइंड पाम तेल पर शुल्क इंडोनेशिया के समान हो गया है।
इस घटनाक्रम से चीनी उद्योग खुश है, लेकिन खाद्य तेल उद्योग खफा है। खाद्य तेल उद्योग के एक सूत्र ने कहा कि ऐसे समय जब सरकार ने किसानों की मदद के लिए मलेशिया से आयातित आरबीडी पामोलिन पर सेफगार्ड शुल्क लगाया है तब इंडोनेशिया से रिफाइंड तेल के आयात पर शुल्क में कटौती कम से कम अगले छह महीने होने के आसार नहीं हैं। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने एक बयान में कहा कि उनका संगठन वाणिज्य मंत्रालय से आग्रह करेगा कि इस मामले में संदेह दूर करने के लिए एक उपयुक्त स्पष्टीकरण जारी किया जाए। एसईए पेराई और रिफाइनिंग इकाइयों का प्रतिनिधित्व करता है। अगर रिफाइंड तेल का सीधे आयात किया जाता है तो इससे इकाइयों को नुकसान होगा क्योंकि भारत में पाम तेल रिफाइनिंग की पर्याप्त क्षमता है।
मलेशिया को इंडोनेशिया की तुलना में 5 फीसदी कम आयात शुल्क का फायदा मिल रहा था, इसलिए 2019 की पहली छमाही में मलेशिया से आरबीडी पामोलिन तेल का आयात 727 फीसदी बढ़ा है। दूसरी ओर इंडोनेशिया कच्ची चीनी का आयात करता है, लेकिन भारतीय मिलें उसे निर्यात नहीं कर पा रही थीं। इसकी वजह यह है कि भारतीय चीनी में इंटरनैशनल कमीशन फॉर यूनिफॉर्म मेथड्स ऑफ शुगर एनालिसिस (आईसीयूएमएसए) का स्तर 500-600 है, जबकि इसका वैश्विक मानक 1,200 है। अगर भारत इंडोनेशिया से रिफाइंड तेल पर आयात शुल्क घटाता है तो इंडोनेशिया भारत से 1,200 आईसीयूएमएसए से निम्न स्तर की चीनी भी आयात करने को तैयार है। इंडोनेशिया चीनी के बड़े आयातक देशों में से एक है, जहां इसकी सालाना मांग करीब 35 से 45 लाख टन है। इंडोनेशिया अपनी ज्यादातर मांग ब्राजील और थाईलैंड से आयात करके पूरी करता है। अगर भारत इंडोनेशिया के चीनी बाजार में पहुंचने में सफल रहा तो वह 2019-20 में अतिरेक चीनी का एक बड़ा हिस्सा बेच पाएगा।
नैशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा, 'हमें जिस एक क्षेत्र में थाईलैंड और ब्राजील पर बढ़त है वह यह है कि भारतीय चीनी डेक्सरोन-मुक्त है क्योंकि यह ताजा गन्ने से बनाई जाती है, जबकि थाईलैंड और ब्राजील में चीनी में ऐसे गन्ने से बनाई जाती है, जो कटाई के बाद लंबे समय तक खेत में पड़ा रहता है।' भारत की कच्ची चीनी बेहतर है, जिसमें शर्करा की मात्रा 99 फीसदी से अधिक है। वहीं इसका वैश्विक औसत 97 फीसदी है।
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