कर कटौती से बॉन्ड बाजार और रुपये में बहार, सरकारी उधारी पर नजर | अनूप रॉय / मुंबई September 20, 2019 | | | | |
कर कटौती की सरकारी घोषणा से बॉन्ड का प्रतिफल उछल गया क्योंंकि राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 3.3 फीसदी की सीमा में शायद ही रह पाएगा और इस वित्त वर्ष में सरकार को अतिरिक्त उधार लेना पड़ सकता है। शेयर बाजार से मिले संकेतों के बाद रुपये में हालांकि काफी मजबूती देखने को मिली। 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 6.780 फीसदी पर बंद हुआ, जो गुरुवार को 6.638 फीसदी रहा था। डॉलर के मुकाबले रुपया 70.945 पर बंद हुआ, जो एक दिन पहले 71.325 पर बंद हुआ था। कारोबारी सत्र में प्रतिफल बढ़कर 6.866 फीसदी पर चला गया था और रुपया 70.85 पर। सेंसेक्स 5.32 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 38,014.62 अंक पर बंद हुआ।
कर कटौती से सरकार पर करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये का असर पड़ेगा। सरकार को हाल में भारतीय रिजर्व बैंक से लाभांश व सरप्लस के तौर पर 1.76 लाख करोड़ रुपये मिले हैं। सरकार पहले ही सार्वजनिक बैंकों को 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी देने का ऐलान कर चुकी है। कारोबार के दौरान करीब 20 आधार अंकों की उछाल ने बॉन्ड बाजार की इस चिंता को प्रतिबिंबित किया कि सरकार को इस साल आगे अतिरिक्त उधारी के लिए बाजार में उतरना पड़ेगा। सरकार एक हफ्ते या 10 दिन में उधारी कैलेंडर सामने रखेगी और उस समय काफी हद तक असमंजस दूर हो जाएगा। अभी बॉन्ड बाजार राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी को लेकर चिंतित है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप लिमिटेड के मुख्य अर्थशास्त्री ए प्रसन्ना ने कहा, निश्चित तौर पर राजकोष पर असर पड़ेगा क्योंकि कर कटौती पूरी तरह से खर्च में कटौती को समाहित नहीं कर पाएगा और बजट में खर्च का अनुमान ज्यादा बताया गया था। हमारा अनुमान है कि राजकोषीय घाटा 3.8 फीसदी से 4 फीसदी के स्तर पर पहुंचेगा जबकि बजट में 3.3 फीसदी का ऐलान किया गया था। गुरुवार शाम आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि आरबीआई के पास दरों में और कटौती की गुंजाइश है। प्रसन्ना को उम्मीद है कि अक्टूबर में 25 आधार अंकों की कटौती होगी और रीपो दर 5 फीसदी के निचले स्तर पर आ जाएगा।
प्रसन्ना के मुताबिक, अतिरिक्त उधारी की संभावना काफी ज्यादा बढ़ेगी, लेकिन यह देखना बाकी है कि क्या सरकार विनिवेश पर आगे बढ़ती है। उन्होंने कहा कि विदेशी उधारी के विकल्प पर भी नजर डाली जा सकती है। हमें उम्मीद है कि आरबीआई अक्टूबर से ओपन मार्केट ऑपरेशन शुरू करेगा, ताकि प्रतिफल पर लगाम कसा जा सके। फेडरल बैंक के सीएफओ और कार्यकारी निदेशक आशुतोष खजूरिया ने कहा, पिछले वित्त वर्ष में आरबीआई ने द्वितीयक बाजार से ओएमओ के तहत करीब 3 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे। इसके साथ रीपो दरों में 110 आधार अंकों की कटौती ने बॉन्ड प्रतिफल को करीब 6.50 फीसदी के स्तर पर ला दिया था। इस साल मार्च में 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 7.3 फीसदी था और बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी के कारण कॉरपोरेट की लागत बहुत ज्यादा नहीं बढ़ेगी।
खजूरिया ने कहा, हां, अतिरिक्त उधारी देखने को मिलेगी, लेकिन आज जो वित्त मंत्री ने किया वह काफी समय से बकाया था। आरबीआई पहले ही 110 आधार अंकों की कटौती कर चुुका है, अब वित्त मंत्रालय को अपनी भूमिका निभानी थी। राजकोषीय घाटा 3.8-3.9 फीसदी पर चला जाता है और ज्यादा विनिवेश से इसे सहारा मिलता है तो यह बाजार में घबराहट का माहौल पैदा नहीं करेगा बल्कि बाजार इसे पसंद करेगा। बॉन्ड बाजार कम से कम 70,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी मानकर चल रहा है, जो सरकार की एक महीने की उधारी के बराबर है।
|