कंपनियों को मिली पुनर्खरीद कर में राहत | समी मोडक / मुंबई September 20, 2019 | | | | |
आम बजट से पहले शेयर पुनर्खरीद की घोषणा कर चुकी कंपनियों पर नया पुनर्खरीद वितरण कर नहीं लगाने के सरकार के फैसले से भारतीय कंपनी जगत को बड़ी राहत मिली है। आम बजट में 20 फीसदी कर लगाने का ऐलान किया गया था, लेकिन यह पिछली तारीख यानी नए वित्त वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से लागू था। विप्रो और अदाणी पोट्र्स ऐंड एसईजेड समेत करीब 20 कंपनियों ने 15,000 करोड़ रुपये की पुनर्खरीद की घोषणा की थी और सरकार के अप्रत्याशित कदम से उन्हें झटका लगा था।
शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 5 जुलाई से पहले पुनर्खरीद का ऐलान कर चुकी कंपनियों को इससे छूट दी जाएगी। विशेषज्ञों ने कहा कि यह कदम पुनर्खरीद के मामले में बहुप्रतीक्षित स्पष्टीकरण मुहैया करा रहा है। बीडीओ इंडिया के पार्टनर (टैक्स ऐंड रेग्युलेटरी सर्विसेज) निरंजन गोविंदेकर ने कहा, 5 जुलाई से पहले घोषित पुनर्खरीद योजना पर कर नहीं लगाने का फैसला स्वागतयोग्य है। यह उन कंपनियों की पुनर्खरीद योजना पर कर लागू होने के मामले में स्पष्टीकरण दे रहा है जिन्होंने इसकी घोषणा बजट प्रस्ताव से पहले की थी।
पीडब्ल्यूसी के पार्टनर व लीडर (कॉरपोरेट व इंटरनैशनल टैक्स) फ्रैंक डिसूजा ने कहा कि पुनर्खरीद कर पर राहत से विगत की चिंता दूर करने में मदद मिलेगी। बजट प्रस्ताव और राहत की घोषणा के बीच की अवधि में हालांकि कई कंपनियां असमंजस में थीं। केपीआर मिल समेत कुछ छोटी कंपनियों को अपनी पुनर्खरीद योनजा वापस लेनी पड़ी थी जबकि कानूनी विशेषत्रों े इस कदम की वैधता पर सवाल उठाए थे। उधर, ग्रीव्स कॉटन और एसकेपी सिक्योरिटीज जैसी कंपनियों ने बाजार नियामक सेबी को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण चाहा था कि क्या वे इसे रद्द कर सकते हैं या फिर पुनर्खरीद की शर्तों को संशोधित कर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि सेबी पिछली तारीख से पुनर्खरीद कर लागू होने के मामला वित्त मंत्रालय के सामने उठाया था। कानूनी विशेषज्ञ ने कहा, कई कंपनियों ने सेबी के सामने पुनर्खरीद कर पर वैध मसले उठाए थे, जिसका समाधान आसान नहीं था। सेबी ने सभी पूछताछ सरकार के पास भेज दी थी। एक ओर जहां कंपनियां इसे रद्द करने के लिहाज से सही थीं, वहीं दूसरी ओर इससे आम शेयरधारकों पर असर पड़ता, जिन्होंने इस घोषणा के बाद कंपनी के शेयर खरीदे थे। उन्होंने कहा कि हालिया कदम से सभी हितधारकों को राहत मिली है।
विशेषज्ञों ने कहा कि कंपनियां एक बार फिर अपनी पुनर्खरीद योजना को आगे बढ़ाने में सक्षम होंगी। साथ ही आगे पुनर्खरीद की घोषणा करने वाली कंपनियां नए कर को ध्यान में रखेंगी। बजट में पुनर्खरीद कर का प्रस्ताव लाभांश व पुनर्खरीद के बीच टैक्स आर्बिट्रेज पर लगाम करने के लिए रखा गया था। 2016-17 में 10 फीसदी अतिरिक्त लाभांश वितरण कर लागू किए जाने के बाद से कई कंपनियों ने अपने शेयरधारकों को पुनर्खरीद के जरिए पुरस्कृत करना शुरू किया था। इस कर के बाद लाभांश पर कर की प्रभावी दर 20.6 फीसदी हो गई थी। कई लोगोंं का कहना है कि नया पुनर्खरीद कर एकसमान मौका उपलब्ध करा देगा।
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