पूंजीगत लाभ पर अधिभार से मिली छूट | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई September 20, 2019 | | | | |
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को एक बार फिर राहत देते हुए सरकार ने ऋण प्रतिभूतियों के पूंजीगत लाभ पर बढ़े अधिभार से छूट दे दी है, जिसे आम बजट में लागू किया गया था। वित्त मंत्रालय के प्रेस नोट में कहा गया है, बढ़ा हुआ अधिभार डेरिवेटिव समेत किसी भी प्रतिभूतियों की बिक्री से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को होने वाले पूंजीगत लाभ पर लागू नहीं होगा। यह घोषणा उसके करीब एक महीने बाद हुई है जब इक्विटी व डेरिवेटिव से अर्जित आय पर अधिभार से छूट दी गई थी। वैसे डेट फंडों को फायदा मिलेगा, जो सरकारी या कॉरपोरेट बॉन्ड में ट्रेडिंग के जरिए पूंजीगत लाभ अर्जित करते हैं। ईवाई इंडिया के पार्टनर (वित्तीय सेवा) तेजस देसाई ने कहा, सरकार ने अब स्पष्ट कर दिया है कि सभी प्रतिभूतियोंं से एफपीआई को होने वाले पूंजीगत लाभ पर बढ़ा हुआ अधिभार नहीं लगेगा, जिसमें ऋण प्रतिभूतियां शामिल हैं। यह ऋण प्रतिभूतियों में काम करने वाले एफपीआई के लिए सकारात्मक है। अगस्त 2019 में ऋण में निवेशित एफपीआई की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 4.34 लाख करोड़ रुपये थी, जो एफपीआई की कुल परिसंपत्तियों का 13.5 फीसदी है। ऋण प्रतिभूतियों से ब्याज आय पर ज्यादा अधिभार जारी रहेगा। डेलॉयट इंडिया के पार्टनर राजेश गांधी ने कहा, डेट पर ब्याज आय को ज्यादा अधिभार चुकाना होगा। 24 अगस्त को सरकार की तरफ से पेश नोट में कहा गया था कि आयकर अधिनियम की धारा 111ए व 112 ए में वर्णित पूंजीगत परिसंपत्तियों पर बढ़ा हुआ अधिभार वापस ले लिया गया है। इनमें इक्विटी शेयर, इक्विटी ओरिएंटेड म्युचुअल फंड के यूनिट और बिजनेस ट्रस्ट के यूनिट शामिल हैं। एफपीआई को डेरिवेटिव के हस्तांतरण से होने वाले लाभ पर भी छूट मिलेगी।
हालांकि ऋण प्रतिभूतियों के लिए छूट का कोई जिक्र नहीं है, जिसका मतलब यह है कि ऋण प्रतिभूतियों की ट्रेडिंग से पूंजीगत लाभ व ब्याज आय पर उच्च अधिभार जारी रहेगा। ट्रस्ट या एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स वाले गैर-कॉरपोरेट एफपीआई ढांचे पर 5 जुलाई से लागू बढ़े अधिभार का असर पड़ा था। बजट में 2 से 5 करोड़ रुपये की करयोग्य आय पर अधिभार 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी और 5 करोड़ ररुपये से ज्यादा आय पर 15 फीसदी से बढ़ाकर 37 फीसदी अधिभार लगाया गया था।
अध्यादेश के जरिये राहत
शुक्रवार की घोषणा के बाद सरकार ने संशोधित अध्यादेश सामने रखा। 24 अगस्त की घोषणा के साथ कोई अध्यादेश नहीं जुड़ा था और बड़ी संख्या में चार्टर्ड अकाउंटेंट व टैक्स कंसल्टेंट असमंजस में थे कि ज्यादा अधिभार लगाया जाए या नहीं। शेयर बेचने वाले एफपीआई को टैक्स कंसल्टेंट व चार्टर्ड अकाउंटेंट कर प्रमाणपत्र जारी करते हैं, जो कर का संकेत देता है। यह कर बैंक रोककर रखते थे और आयकर विभाग को चुकाते थे। एक टैक्स कंसल्टेंट ने कहा, कानूनी तौर पर असमंजस था कि बढ़ा हुआ अधिभार लगाया जाए या नहीं। ज्यादातर बड़ी अकाउंटिंग फर्में नहींं चाहती थी कि उनके क्लाइंट ज्यादा अधिभार चुकाएं।
एक अग्रणी टैक्स फर्म भी अपने सिस्टम में बदलाव कर रही थी ताकि इक्विटी व डेरिवेटिव और ऋण प्रतिभूतियों पर अलग-अलग कर व्यवहार में सक्षम हो सके, जिन पर बढ़ा हुआ अधिभार लगना है। शुक्रवार की घोषणा से कर के अलग-अलग व्यवहार से राहत मिलेगी। कर विशेषज्ञों के मुताबिक, जुलाई में वित्त विधेयक में बढ़ा हुआ अधिभार शामिल किए जाने के बाद टैक्स से जुड़ी अग्रणी फर्मों ने अपने क्लाइंटों से ज्यादा अधिभार वसूलना शुरू कर दिया था। ऐसे एफपीआई को अब रिफंड के लिए आवेदन करना होगा, जो जुलाई व अगस्त में एफपीआई की तरफ से हुई बिकवाली को देखते हुए अच्छा खासा हो सकता है।
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