सीएसआर का दायरा बढऩे से शोध को ताकत | विनय उमरजी और गिरीश बाबू / अहमदाबाद/चेन्नई September 20, 2019 | | | | |
शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा भारतीय उद्योग जगत के लिए कर दर कटौती के उपायों के तहत कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) का दायरा बढ़ाए जाने से शोध गतिविधियों को मजबूती मिलेगी और इससे भातीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे संस्थानों की वैश्विक रैंकिंग में सुधार आएगा। दो प्रतिशत सीएसआर खर्च के दायरे में विस्तार के तहत अब सरकार द्वारा सार्वजनिक वित्त पोषित विश्वविद्यालयों, आईआईटी, राष्टï्रीय प्रयोगशालाओं और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग तथा दवा में शोध कर रहीं स्वायत्त इकाइयों को भी शामिल किया गया है। वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा से केंद्र या राज्य सरकारों या किसी एजेंसी द्वारा वित्त पोषित इनक्यूबेटरों पर खर्च को लेकर भी स्थिति स्पष्टï हुई है।
सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुए आईआईटी गांधीनकर के निदेशक सुधीर जैन ने कहा कि आईआईटी अन्य चैनलों के जरिये पैसा जुटाने की कोशिश में लगे हुए थे और अब इस नई घोषणा से प्रमुख संस्थानों में शोध निवेश को लेकर कंपनियों को मदद मिलेगी। जैन ने कहा, 'हमने पहले भी परोपकार से संबंधित रकम जुटाने के प्रयास किए थे, लेकिन यह सरकारी पैसे के जरिये संभव नहीं हो पाया था। शुरू में, शिक्षा के बारे में सीएसआर कानून पर बातचीत सामान्य थी, लेकिन कंपनियां इसे लेकर कुछ हद तक आशंकित रहती थीं। अब सरकार ने कंपनियों के लिए यह स्पष्टï कर दिया है कि आईआईटी में उनका योगदान सीएसआर समझा जाएगा। इससे हमें शोध की गुणवत्ता सुधारने में भी मदद मिलेगी जिससे आगे चलकर वैश्विक रैंकिंग में आईआईटी की स्थिति में सुधार आएगा।'
मौजूदा समय में, आईआईटी हायर एजूकेशन फाइनैंसिंग एजेंसी (एचईएफए) से अपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं स्वीकृत करा सकते हैं, जो ऋणों के तौर पर कोष वितरण करती है। हालांकि जैन के अनुसार, अन्य वैश्विक विश्वविद्यालयों के समान भारत में सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित विश्वविद्यालय को अपना खर्च बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा, 'हमें सामाजिक परियोजनाओं, शोध, स?मेलनों के लिए विदेशी यात्रा खर्च, और फैकल्टी चेयर की स्थापना के लिए कोष की जरूरत है। इन जरूरतों को कुछ हद तक अब सीएसआर द्वारा पूरा किया जा सकेगा।'
दूसरी तरफ, आईआईटी मद्रास इनक्यूबेशन सेल (आईआईटीएमआईसी) का कहना है कि लगभग तीन-चार साल पहले सीएसआर ऐक्ट में संशोधन के बाद से उसे सीएसआर पूंजी पहले से ही मिल रही है। सेल में संचार प्रबंधक प्रिया मोहन ने कहा कि आईआईटीएमआईसी को 10-11 कंपनियों से कोष पहले ही मिल रहा है। हालांकि अब सरकार द्वारा सीएसआर का दायरा बढ़ाए जाने से कई और संस्थानों तथा इनक्यूबेशन केंद्रों को कॉरपोरेट पूंजी तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी। शोध संस्थानों के लिए कोष के विस्तार से भविष्य में नवाचार को भी बढ़ावा मिलने की संभावना है।
इनक्यूबेशन केंद्रों का भी कहना है कि कई कंपनियां इसे लेकर अवगत नहीं हैं कि वे सीएसआर पूंजी के जरिये इनक्यूबेशन केंद्र, शोध एवं नवाचार में भी निवेश कर सकती हैं। वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा से इनक्यूबेटरों और स्टार्टअप के लिए अवसर पैदा हुआ है। उद्योग ने भी इस सरकारी पहल का स्वागत किया है, क्योंकि इससे अब कंपनियों को सार्वजनिक संस्थानों, प्रयोगशालाओं और शोध के लिए इनक्यूबेशन केंद्रों के लिए अपनी पूंजी का योगदान देने में मदद मिलेगी। उद्योग संगठन फिक्की में सहायक महासचिव एवं शैक्षिक परामर्शदाता शोभा घोष ने कहा, 'शुरू में, विश्वविद्यालयों में आने वाले सीएसआर कोष का इस्तेमाल शोध के बजाय अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता था। अब इसमें बदलाव आएगा। हालांकि उद्योग संगठन के तौर पर हम सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों के बीच समानता पर जोर देंगे। जहां सरकारी विश्वविद्यालयों के वित्त पोषण में यह धन मिलना चाहिए, जो सार्वजनिक और निजी संस्थानों के बीच भेदभाव क्यों होना चाहिए? सीएसआर खर्च परिणाम-आधारित होना चाहिए जिससे कि कंपनियों को पता चले कि उनके पैसे का कहां इस्तेमाल हो रहा है।'
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