कर में कमी से मकानों की मांग में आएगी तेजी | राघवेंद्र कामत / मुंबई September 20, 2019 | | | | |
कॉरपोरेट कर में कटौती के बाद रिहायशी प्रॉपर्टी की मांग में तेजी आने की उम्मीद है। शीर्ष प्रॉपर्टी डेवलपरों और सलाहकारों का कहना है कि कर में कटौती के 'गुणक प्रभाव' के कारण मांग में तेजी आने के आसार हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कॉरपोरेट कर दरों को 30 फीसदी से घटाकर 25.71 फीसदी करने की घोषणा की। हीरानंदानी कम्युनिटीज के चेयरमैन निरंजन हीरानंदानी ने कहा, 'पूंजी निवेश रुक गया था जो अब दोबारा शुरू होगा। जब डेवलपर निवेश करते हैं तो वे नई परियोजनाओं, प्रॉपर्टी के निर्माण और रोजगार सृजन में निवेश करते हैं। इसका गुणक प्रभाव दिखेगा।'
हालांकि उन्होंने कहा कि मांग को रफ्तार देने के लिए कीमतों में कटौती की अब कोई गुंजाइश नहीं बची है। उन्होंने कहा कि आयकर नियमों के अनुसार, यदि कोई डेवलपर कीमतों में 5 फीसदी की कटौती करता है तो खरीदार एवं विक्रेता दोनों को कर भुगतान करना पड़ता है। ऊंची कीमत और कमजोर मांग के कारण रिहायशी रियल एस्टेट में अनबिके मकानों की काफी इन्वेंटरी दिख रही है। एक आकलन के अनुसार, देश में तैयार रिहायशी मकानों की इन्वेंटरी 90,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है जो बिक्री के इंतजार में है।
देश की सबसे बड़ी सूचीबद्ध प्रॉपर्टी डेवलपर डीएलएफ के मुख्य कार्याधिकारी राजीव तलवार ने कहा कि जब कंपनियों और लोगों के पास अधिक रकम नहीं होगी तो रियल एस्टेट सहित सभी उत्पादों की बिक्री प्रभावित होगी। तलवार ने कहा, 'आर्थिक प्रगति बढ़ी हुई मांग के रूप में रियल एस्टेट को फायदा पहुंचाएगी। हमें प्रॉपर्टी की आपूर्ति बेहतर करने की जरूरत है ताकि मांग को पूरा किया जा सके।' जेएलएल के सीईओ रमेश नायर ने कहा कि उन कंपनियों के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) को मौजूदा 18.5 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया है जिन्होंने रियायती कर व्यवस्था नहीं अपनाई है। उन्होंने कहा कि इससे सस्ते आवास एवं विशेष आर्थिक क्षेत्र के डेवलपरों को मदद मिलेगी।
नायर ने कहा, 'मैट प्रावधानों से उन आवासीय परियोजनाओं को फायदा होगा जो धारा 80-1बीए के तहत कटौती के लिए पात्र होंगी। धारा 80-1बीए के तहत सस्ती आवासीय परियोजनाओं से प्राप्त मुनाफे पर 100 फीसदी छूट दी गई है जो कुछ शर्तों पर निर्भर करती है।'
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