देश में 6 वर्ष में पहली बार औसत से ऊपर बारिश | रॉयटर्स / मुंबई September 20, 2019 | | | | |
देश में इस साल छह वर्षों में पहली बार औसत से ज्यादा मॉनसूनी बारिश दर्ज किए जाने की संभावना है, क्योंकि मौसमी बारिश उम्मीद से ज्यादा समय तक बरकरार है, जो देश की सुस्त पड़ रही अर्थव्यवस्था के लिए वरदान है। मौसम विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी है। अतिरिक्त बारिश से किसानों को गेहूं, सफेद सरसों और काबुली चने जैसी जाड़े की फसलों की बुआई का रकबा बढ़ाने में मदद मिलेगी जिससे उनकी आय में सुधार आएगा और कमजोर पड़ी ग्रामीण मांग को बढ़ाने में मदद मिलेगी। लंबे मॉनसून से जलाशयों का स्तर भी बढ़ सकता है और इससे भूजल बढ़ाने में मदद मिलेगी, साथ ही जल संकट से जूझ रहे लोगों के लिए उम्मीद पैदा होगी।हालांकि ज्यादा बारिश से कपास, सोयाबीन और दलहन जैसी गर्मी में बोई जाने वाली फसलों को नुकसान भी पहुंच सकता है जिनकी कटाई नजदीक है। खासकर यदि संक्षिप्त अवधि में भारी बारिश होती है तो इन फसलों को नुकसान पहुंचेगा।
मॉनसून का भारत की सालाना बारिश में लगभग 70 प्रतिशत योगदान है और चावल, गेहूं, गन्ना और तिलहन की पैदावार काफी हद तक मॉनसून पर निर्भर करती है। भारत की 2.5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान लगभग 15 प्रतिशत है, लेकिन इस पर आधी से ज्यादा आबादी निर्भर है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने के अनुरोध के साथ शुक्रवार को कहा, 'औसत से ऊपर बारिश की मजबूत संभावना है। अगले दो सप्ताह में कुछ इलाकों में भारी बारिश के अनुमान के साथ, हम 104 प्रतिशत का आंकड़ा पार कर सकते हैं।'
मौसम विभाग जून से शुरू होने वाले चार महीने के मॉनसून के लिए 89 सेंटीमीटर के 50 वर्षीय औसत के 96 प्रतिशत और 104 प्रतिशत को औसत, या सामान्य बारिश के तौर पर परिभाषित करता है। पिछली बार भारत ने वर्ष 2013 में औसत से ज्यादा बारिश दर्ज की थी। वर्ष 2019 में मॉनसून सीजन शुरू में अस्पष्ट दिखा और जून में पिछले पांच साल में सबसे कम बारिश हुई और जुलाई में बारिश औसत से नीचे रही, जिससे स्काईमेट द्वारा शुरू में सामान्य से कम बारिश रहने की भविष्यवाणी की गई थी। मौसम विभाग ने मई में भी कहा था कि बारिश इस साल एलपीए के 96 प्रतिशत पर रहेगी।
लेकिन अगस्त में भारी बारिश हुई और कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई, तथा इस महीने मॉनसून में और मजबूती आई है। सामान्य तौर पर सितंबर के पहले सप्ताह से मॉनसून की विदाई होने लगती है। अधिकारी ने कहा कि अरब सागर में कम दबाव बनने से महाराष्ट्र और गुजरात में और बारिश हो सकती है तथा मॉनसून की विदाई में विलंब हो सकता है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि भारत 26 सितंबर और 3 अक्टूबर के सप्ताहों में औसत से 20 प्रतिशत और 99 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज कर सकता है। उन्होंने कहा, 'अक्टूबर के पहले सप्ताह में भी हम सामान्य से ज्यादा बारिश होने की उम्मीद कर रहे हैं।' सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि भारत के मुख्य जलाशयों में जलस्तर 19 सितंबर को उनकी कुल भंडारण क्षमता के 85 प्रतिशत पर था, जो पहले 74 प्रतिशत पर था। इस संदर्भ में पिछले 10 वर्षों का औसत 70 प्रतिशत है।
इस साल खरीफ फसल उत्पादन बढ़ेगा : कृषि मंत्रालय
कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि चालू मॉनसून सत्र में बारिश अच्छी होने से देश में खरीफ उत्पादन पिछले साल के 14 करोड़ 17.1 लाख टन से कहीं अधिक रहेगा। मंत्री ने कहा कि बाढ़ की वजह से कुछ राज्यों में खरीफ की फसलें प्रभावित हुई हैं लेकिन इससे कुल उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। रूपाला ने कहा, 'खरीफ की फसल की स्थिति अच्छी है। कुछ स्थानों पर अधिक बारिश के कारण फसल को नुकसान हुआ है। फिर भी हम पिछले साल की तुलना में इस बार खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर करेंगे।' बाढ़ की वजह से कम से कम 12 राज्य प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा 'नियमित अंतराल पर बारिश होते से फसलों की वृद्धि अच्छी है।' फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के चालू खरीफ सत्र में बोई जाने वाली फसलों का रकबा 1,054.13 लाख हेक्टेयर पर अपरिवर्तित बना रहा। ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार, चालू सत्र में धान का रकबा 5.25 लाख हेक्टेयर घटकर 378.62 लाख हेक्टेयर है जबकि दलहन का रकबा 2.41 लाख हेक्टेयर घटकर 132.99 लाख हेक्टेयर रह गया। हालांकि मोटे अनाजों का रकबा 3.1 लाख हेक्टेयर बढ़कर 178.12 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि उक्त अवधि में तिलहन का रकबा 178 लाख हेक्टेयर पर अपरिवर्तित बना रहा।
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