अटकी रकम से विकास को मिलेगी धार | |
इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली 09 16, 2019 | | | | |
► विभिन्न योजनाओं की फंसी राशि जारी करने की योजना पर वित्त मंत्रालय कर रहा काम
► पीएम किसान के तहत किसानों को पैसे बांटने के काम में तेजी लाएगा कृषि मंत्रालय
► बजट पूर्व परामर्श बैठक में केंद्र के साथ राज्यों के राजकोषीय घाटे का भी आकलन करेगा केंद्र
वित्त मंत्रालय अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अन्य मंत्रालयों और विभागों को विभिन्न परियोजनाओं एवं योजनाओं के लिए मंजूर रकम को जारी करने की प्रणाली बनाने पर काम कर रहा है। यह पैसा मंजूर तो किया जा चुका है लेकिन अब तक संबंधित विभागों को नहीं मिल पाया है। इसके साथ ही वित्त मंत्रालय ने कृषि मंत्रालय से पीएम-किसान योजना के तहत पैसे के आंवटन में तेजी लाने को कहा है ताकि किसानों के पास खर्च करने योग्य आय बढ़ सके और मांग में भी सुधार हो सके।
मंत्रालय ने बजट पूर्व परामर्श बैठक से पहले केंद्र और राज्यों की राजकोषीय घाटे पर भी विचार करने की योजना बनाई है। इस बीच, मंत्रालय आर्थिक विकास में सुधार लाने के लिए जल्द ही और प्रोत्साहनों की घोषणा कर सकती है। अगले चरण में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उपक्रमों, टेक्सटाइल्स, वित्तीय क्षेत्र एवं बाजार से संबंधित घोषणा की जा सकती है।
सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अर्थव्यवस्था की स्थिति का आकलन करने के लिए अपने मंत्रालयों के सचिवों के साथ प्रतिदिन बैठकें कर रही हैं। सूत्रों ने कहा कि मंजूरी लेकिन खर्च नहीं की गई राशि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 1.5 फीसदी से कम होने का अनुमान है। वित्त मंत्रालय अन्य मंत्रालयों के साथ उन मसलों पर काम कर रही है जिसकी वजह से रकम अटकी हुई है।
सरकार ने 2019-20 के बजट में पूंजीगत व्यय 6.9 फीसदी बढ़ाकर 3.4 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है। अगस्त तक सरकार 1.07 लाख करोड़ रुपये ही खर्च पाई है, जो कुल बजट अनुमान का 31.8 फीसदी है। सूत्रों ने कहा कि सरकार पूंजीगत व्यय के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी उपाय कर रही है।
पीएम-किसान के तहत पैसों के आवंटन में सुस्ती को लेकर चिंतित वित्त मंत्रालय ने कृषि मंत्रालय से इस काम में तेजी लाने को कहा है। पीएम-किसान योजना की घोषणा अंतरिम बजट में की गई थी और सरकार ने 2 हेक्टर तक भूमि वाले किसानों को सालाना 6,000 रुपये की मदद देने का निर्णय किया था। यह रकम तीन किस्तों में दी जानी है। अनुमान के मुताबिक करीब 12.5 करोड़ लघु एवं सीमांत किसानों के पास 2 हेक्टयर के तक जमीन होने का अनुमान है। हालांकि बाद में इसका दायरा बढ़ाकर सभी 14.5 करोड़ किसानों को इसका लाभ देने का निर्णय किया गया। पीएम-किसान योजना के अंतर्गत किसान परिवारों को कुल 21,600 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है, जिनमें से 15,600 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2019-20 में दिए गए हैं। 2019-20 की शुरुआत से पहले ही करीब 3 करोड़ किसानों को 6,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका था। 2018-19 में केंद्र ने इस योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया था जबकि 2019-20 के लिए 75,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था।
2015-16 की कृषि जनगणना के अनुसार लाभार्थियों की संख्या 14.5 करोड़ होनी चाहिए लेकिन सूत्रों का कहना है कि जमा कराए गए भूमि रिकॉर्ड के आधार पर इनकी संख्या 10 करोड़ से अधिक नहीं होगी। अधिकारियों का कहना है कि भूमि रिकॉर्ड पूरा नहीं होने, कई लोगों के मालिकाना हक, उचित दाखिल-खारिज (म्यूटेशन) आदि नहीं होने की वजह से इनकी संख्या कम हो सकती है। ग्रामीण इलाकों में गरीबी को इस तथ्य से आंका जा सकता है कि अगस्त में टै्रक्टरों की बिक्री 16.5 फीसदी घटी, जो पिछले आठ महीने में सबसे कम है।
सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय बजट पूर्व परामर्श बैठक से पहले पूरे देश (केंद्र और राज्यों) के राजकोषीय घाटे के आंकड़ों को देखेगा। इसके साथ ही मंत्रालय बजट से इतर उधारी को कम से कम रखने का प्रयास करेगा। 15वें वित्त आयोग को प्रस्तुतीकरण में महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने केंद्र के 2017-18 के राजकोषीय घाटे की फिर से गणना की थी, जो 5.85 फीसदी आया था जबकि सरकार ने 3.46 फीसदी दिखाया था। सीएजी के अनुमान के अनुसार बजट से इतर उधारी जीडीपी का 0.96 फीसदी रही जबकि पूंजीगत व्यय 1.43 फीसदी रखा गया था।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के पास पैसे नहीं होने से भुगतान नहीं हो पा रहा है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि प्राधिकरण के पहले इनविट को निवेशकों की अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी और इससे समस्या दूर करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा एनएचएआई को मौजूदा सड़क संपत्तियों को इनविट या टीओटी के माध्यम से विनिवेश करने के लिए कहने के बाद एनएचएआई इनविट पर काम कर रहा है। इस माह तक एनएचएआई सहित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर करीब 60,000 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। व्यय सचिव जीसी मुर्मू ने केंद्रीय पीएसयू के प्रमुखों के साथ 6 सितंबर को बैठक की थी जिसमें उन्होंने वेंडरों, खासतौर पर एमएसएमई को भुगतान में तेजी लाने को कहा था।
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