संकट में फंसी एनबीएफसी सुधार की दिशा में बढ़ीं | हंसिनी कार्तिक / September 15, 2019 | | | | |
एक साल पहले जब नकदी संकट ने वित्तीय व्यवस्था को अपनी चपेट में लिया था तो कुछ ही लोगों को यह अहसास था कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर इसका लंबा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन नकदी संकट के भुक्तभोगियों को बीते महीनों में इससे जूझना पड़ा है और ताजा उदाहरण विदेशी पूंजी समर्थित ऑल्टिको कैपिटल का है। हालांकि आकार में यह बड़ा नहीं लग सकता है, लेकिन इस मामले में चूक का शुक्रवार को कई सूचीबद्घ एनबीएफसी पर प्रभाव दिखा और इनमें 2-3 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। हालांकि व्यापक रूप से देखें तो एल्टिको या दीवान हाउसिंग जैसे मामले बड़ी सूचीबद्घ इकाइयों के लिए स्थिति के तौर पर अपवाद हो सकते हैं।
ऐक्सिस म्युचुअल फंड के प्रमुख (निर्धारित आय) आर शिवकुमार का कहना है कि अच्छी खबर यह है कि पूंजी जुटाने के लिए संघर्ष से जूझ रही एनबीएफसी की संख्या घटी है। वह कहते हैं, 'मौजूदा समय में व्यवस्था में घरेलू और विदेशी पूंजी उपलब्ध है और पूंजी का सख्त दौर पीछे छूट चुका है।' शिवकुमार की राय पर सहमति जताते हुए इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च के सहायक निदेशक पंकज नायक कहते हैं कि खासकर बेहतर पैतृक समर्थन की वजह से चुनौतियों की संख्या भी घटी है। फिर भी बेहतर पूंजी उपलब्धता को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं है। इस संदर्भ में नायक का मानना है कि परिदृश्य सभी के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। बेहद महत्वपूर्ण बात यह है कि उद्योग के लिए दो प्रमुख पहलू- कोष की लागत और ऋण वृद्घि के अवसर - अगले साल किस तरह से अहम योगदान देंगे, यह चिंता का विषय बना हुआ है।
यही वजह है कि विश्लेषकों का मानना है कि भले ही वित्त वर्ष 2020 नकदी के लिहाज से कम चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह एनबीएफसी के लिए व्यवसाय में सुधार या बदलाव वाला वर्ष होगा। साथ ही, जहां कोष आसानी से उपलब्ध है, वहीं कोष की लागत बढ़ी है। जून तिमाही (पहली तिमाही) में कोषों की लागत सभी एनबीएफसी के संदर्भ में 30-70 आधार अंक तक बढ़ी जिससे नायक को यह संभावना जताने में मदद मिली है कि महंगी पूंजी का समय बना रह सकता है। इसे लेकर शिवकुमार की अलग राय है। वह कहते हैं, 'अच्छे पैतृक समर्थन वाली कंपनियां पूंजी जुटाने में सक्षम रही हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ ऊंची कीमतों पर ही पूंजी उपलब्ध हो रही है।' उनके अनुसार, कुछ एनबीएफसी उद्योग की तुलना में तेजी से बढऩे में सक्षम रहे हैं और सुरक्षा पर दांव के बीच बाजार ने उन्हें ज्यादा महत्व दिया है और इससे उन्हें प्रतिस्पर्धी दरों पर पैसा जुटाने में मदद मिल रही है।
भविष्य में, कोष की लागत में कितनी नरमी आएगी, यह इस पर निर्भर करेगा कि बैंक कोष की कम लागत का कितनी तेजी से अपने ग्राहकों को फायदा देंगे। एनबीएफसी किस हद तक ऋण देने को इच्छुक होंगे, यह उनके सामने मौजूद विकल्पों पर निर्भर करेगा। वह कहते हैं, 'परिसंपत्ति देनदारी प्रबंधन एक साल पहले की तुलना में मार्च 2019 में बेहतर स्थिति में था, लेकिन इसका ध्यान पूंजी संरक्षण पर बना हुआ है।' उनका कहना है, 'परिसंपत्ति से संबंधित संकेतक बहुत ज्यादा सुधार का संकेत नहीं दे रहे हैं।'
अनिश्चित उपभोक्ता रुझान और कार, दोपहिया तथा वाणिज्यिक वाहन जैसे प्रमुख खपत-केंद्रित क्षेत्र मंदी का संकेत दे रहे हैं जो एनबीएफसी के लिए अच्छा संकेत नहीं है। इससे कंपनियों की ऊंची उधारी लागत अपने ग्राहकों पर डालने की क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है और इसका असर पहली तिमाही में स्पष्टï रूप से देखने को मिला। रेटिंग समीक्षा भी विभिन्न मानकों पर आधारित है जिनमें मुनाफा, परिसंपत्ति गुणवत्ता और वृद्घि शामिल हैं, लेकिन इन मानकों में किसी तरह का नकारात्मक बदलाव इस क्षेत्र को रेटिंग में गिरावट के लिहाज से और ज्यादा कमजोर बना सकता है। इससे पूंजी जुटाने की उनकी क्षमता प्रभावित हो सकती है।
हालांकि एनबीएफसी शेयरों के लिए खराब समय बीत चुका है। फिर भी, विश्लेषक निवेशकों को 6-9 महीनों के लिए सतर्क बने रहने का सुझाव दे रहे हैं। नोमुरा, क्रेडिट सुइस, मॉर्गन स्टैनली और सीएलएसए जैसे ब्रोकरों ने इस क्षेत्र पर सतर्क रुख अपना रखा है, भले ही एचडीएफसी और बजाज फाइनैंस जैसे क्षेत्र दलाल पथ पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
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