प्याज पर एमईपी, 2000 टन आयात को मंजूरी | दिलीप कुमार झा / मुंबई September 15, 2019 | | | | |
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने शुक्रवार देर रात एक अधिसूचना के तहत प्याज पर प्रति टन 850 डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) शुल्क लगाया है। इसने अधिकृत एजेंसियों के जरिये 2,000 टन प्याज आयात को भी हरी झंडी दी है। हालांकि एमएमटीसी पहले ही कश्मीर को लेकर गतिरोध के कारण पाकिस्तान से प्याज आयात नहीं करने का फैसला कर चुका है, लेकिन अफगानिस्तान और चीन मौजूदा या अधिक दरों पर भारत को निर्यात कर सकते हैं। व्यापारियों ने एमईपी लगाने और आयात की अनुमति देने के सरकार के फैसले को अनुचित करार दिया है। बढ़ती कीमतों पर रोक लगाने के लिए ये कदम उठाए गए हैं।
सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अगस्त के बाद से प्याज के दाम दोगुने से भी ज्यादा हो चुके हैं। अगस्त की शुरुआत में एशिया की सबसे बड़ी लासलगांव मंडी में 13.20 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहे दाम (मॉडल मूल्य) शुक्रवार को अचानक बढ़कर 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुके हैं। हालांकि इस दौरान लासलगांव में प्याज की कुल आवक बड़े स्तर पर गिरकर 900 टन हो चुकी है, जबकि छह सप्ताह पहले आवक 2,356 टन थी। अन्य मंडियों में भी प्याज के दामों में उछाल आ चुकी है। लालसलगांव की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के चेयरमैन जयदत्त सीताराम होलकर ने कहा कि सरकार की कार्रवाई अनपेक्षित है। किसानों के लिए कुछ पैसा कमाने का ऐसा अवसर तीन-चार साल में एक बार ही आता है। जब प्याज की कीमतें उत्पादन लागत से कम होती हैं तो सरकार हस्तक्षेप नहीं करती। बाजार में नई फसल एक महीने में आने वाली है। जब तक आयात की खेप देश में आएगी, तब तक नई फसल (घरेलू) मंडियों में पहुंच जाएगी। लेकिन मौजूदा घोषणा से निश्चित तौर पर इसकी रफ्तार में कमी आएगी।
इस साल फरवरी से मध्य मई के बीच भी प्याज के दाम चार से नौ रुपये प्रति किलो के बीच रहे। इसके बाद अगस्त के मध्य तक प्याज के दाम मजबूत होने लगे और बढ़कर प्रति किलोग्राम 11-13 रुपये प्रति किलो हो गए। तब से बाढ़ और कोल्ड स्टोर में अधिक नमी की वजह से फसल बरबादी की खबरों के बाद प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों से आपूर्ति में रुकावट के कारण दामों में तेजी से इजाफा हुआ है। डीजीएफटी ने शुक्रवार को कहा कि प्याज निर्यात को केवल साख-पत्र (एलसी) के आधार अनुमति प्रदान की जाएगी। अगले आदेश तक न्यूनतम निर्यात मूल्य प्रति टन 850 डॉलर होगा। पुणे की एपीएमसी के प्रशासक बालासाहेब जयराम देशमुख ने कहा कि सरकारी कार्रवाइयों के बीच किसानों और स्टॉकिस्टों के सतर्क रुख के कारण प्याज की आवक में गिरावट आई है। भारत में प्याज की कोई कमी नहीं है।
नासिक के एक प्याज कारोबारी ने पानी भरे इलाकों में भंडारण की वजह से फसल क्षति का पूर्वानुमान जताया है। उन्होंने कहा कि इस वजह से अगले एक महीने में दामों में मजबूती रहने की संभावना है। मुंबई के खुदरा बाजार में प्याज के दाम 40 रुपये प्रति किलोग्राम बोले गए थे। खुदरा विक्रेताओं का मानना है कि अगले कुछ सप्ताहों में दाम 50 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा सकते हैं। होलकर ने कहा कि न्युनतम निर्यात मूल्य और अन्य देशों के किसानों को फायदा पहुंचाने के स्थान पर सरकार को इस अविध के दौरान घरेलू किसानों को कुछ पैसा कमाने में मदद करनी चाहिए थी। इससे किसानों को अगले साल इस फसल के तहत रकबा बढ़ाने में मदद मिलती। फसल क्षति और कम उत्पादन के अनुमान के भय से प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं।
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